देश के प्रगतिशील राज्यों में से महाराष्ट्र की सरकारी बस सेवा एसटी के कर्मचारी वेतन के मामले में सबसे फिसड्डी हैं। देश के 10 बड़े राज्यों में एसटी के बस ड्राईवर और कंडक्टर को सबसे कम वेतन मिलता है। इसके बावजूद महाराष्ट्र राज्य परिवहन सेवा 6500 करोड़ रुपए के घाटे में है। समय पर वेतन न मिलने के कारण पिछले कुछ दिनों में 30 से अधिक एसटी ड्राईवर-कंडक्टर ने खुदकुशी कर ली है।
वर्ष 1973 में महाराष्ट्र सरकार ने महाराष्ट्र राज्य सड़क परिवहन निगम की स्थापना की थी। फिलहाल एसटी के बेडे में 18 हजार बस और एक लाख से अधिक कर्मचारी हैं। पर यह सरकारी बस सेवा दिन प्रतिदिन घाटे में डूब रही है। एसटी की खराब माली हालत सुधारने के लिए एसटी के कर्मचारी चाहते हैं कि एसटी महामंडल का राज्य सरकार में विलय कर दिया जाए। एसटी की खस्ताहाली के चलते देश के अन्य राज्यों की तुलना में एसटी बसों के ड्राईवर और कंडक्टर को बहुत कम वेतन मिलता है।
पंजाब में जहां सरकारी बस सेवा के ड्राईवर और कंडक्टर को 25600 रुपए मूल वेतन मिलता है, वहीं महाराट्र की सरकारी बस सेवा एसटी के ड्राईवर का 12080 और कंडक्टर का 11180 रुपए मूल वेतन है। देश के पिछड़े राज्यों में शुमार उत्तर प्रदेश की सरकारी बस सेवा उत्तर प्रदेश परिवहन के ड्राईवरों को भी एसटी से ज्यादा वेतन मिलता है। उत्तर प्रदेश में ड्राईवर व कंडक्टर को 19900 मूल वेतन मिलता है। पूर्व राज्य मंत्री व विधान परिषद सदस्य सदाभाऊ खोत कहते हैं कि पंजाब, हिमाचल, हरियाणा, दिल्ली, आंध्रप्रदेश, तेलंगाना, गोवा, उत्तर प्रदेश, गुजरात की तुलना में महाराष्ट्र की सरकारी बस सेवा में सबसे कम वेतन मिलता है। खोत सवाल करते हैं कि आखिर इतने कम वेतन में कैसे गुजारा होगा।
राज्य चालक (मूल वेतन) कंडक्टर
पंजाब रोडवेज 25600 रुपए 25600
हिमाचल परिवहन 25600 20200
हरियाणा रोडवेज 25500 19900
दिल्ली परिवहन 21700 19900
आंध्रप्रदेश 21390 19580
तेलंगाना राज्य परिवहन 20690 19930
गोवा परिवहन 19900 19900
उत्तर प्रदेश परिवहन 19900 19900
गुजरात परिवहन 19900 18000
महाराष्ट्र राज्य परिवहन 12080 11180