महानगर के लिए महत्वपूर्ण रोड परियोजना में अनियमितता पर महालेखा परीक्षक (कैग) की अपनी रिपोर्ट में टिप्पणी करने से इस संदर्भ में मुख्यमंत्री, पर्यावरण मंत्री और मुंबई महापालिका आयुक्त के साथ ही महापालिका में सत्ताधारी शिवसेना खुलासा करे, ऐसी मांग भारतीय जनता पार्टी के विधायक आशीष शेलार ने मंगलवार को पत्रकार परिषद में किया। इस परियोजना में कॉन्ट्रक्टरों के साथ ही सलाहकारों को 215 करोड़ रुपये गैरकानूनी तरीके से दिया गया है ऐसा कैग की रिपोर्ट से स्पष्ट हुआ है ऐसा विधायक शेलार ने उल्लेख किया ।
प्रदेश भाजपा कार्यालय में पत्रकारों से बातचीत में विधायक शेलार ने कहा कि कोस्टल रोड परियोजना में अनियमितता के संबंध में हमने 6 सितंबर और 2 अक्टूबर के दिन पत्रकार परिषद ली थी। इस परियोजना के कॉन्ट्रैक्टरों, सलाहकारों को गैरकानूनी तरीके से अधिक राशि दी गई है, जिस आरोप से महापालिका ने इनकार किया था। लेकिन महालेखा परीक्षक ने 23 अप्रैल 21 के दिन अपनी रिपोर्ट में इस परियोजना में अनेक अनियमितताओं के बारे में प्रकाश डाला है। इस परियोजना का डीपीआर गलत है, इसमें अनेक गडबडी है, डीपीआर में यातायात के मुद्दे का विस्तारपूर्वक विश्लेषण नही किया गया है, ऐसा कैग ने उल्लेख किया है। पर्यावरण से संबंधित मुद्दे पर इस परियोजना का कार्यान्वयन करते समय ध्यान नही दिया गया है इसका निरीक्षण भी इस रिपोर्ट में दर्ज है।
इस परियोजना में 90 हेक्टेयर जितनी जगह को भरा जाना है।इस जगह का उपयोग निवासी और व्यापारिक कामों के लिए नही किया जाएगा ऐसा हलफनामा मुंबई महापालिका दे, ऐसी शर्त केंद्रीय पर्यावरण मंत्री ने लगाई थी। लेकिन 29 महीने गुजर जाने पर भी ऐसा हलफनामा मुंबई महापालिका ने नही दिया। इस जगह का गैरकानूनी रूप से उपयोग नही हो इसके लिए इस जगह के संरक्षण की योजना को प्रस्तुत करने के लिए मुंबई महानगरपालिका को कहा गया था। लेकिन महापालिका ने अभी तक केंद्रीय पर्यावरण मंत्री के सामने ऐसी योजना को प्रस्तुत नही किया।
इस कारण से जगह का उपयोग किस तरीके से होगा इस बारे में अनेक शंका निर्माण होने से मुंबई महापालिका आयुक्त का इस संबंध में खुलासा करना आवश्यक है। इस परियोजना के कारण बाधित होनेवाले मछुआरों के पुनर्वसन की योजना को लागू करने के आदेश की ओर भी महापालिका ने ध्यान नहीं दिया है, ऐसा शेलार ने कहा।विधायक शेलार ने कहा कि, इस परियोजना के कॉन्ट्रक्टरों को 215 करोड़ 63 लाख रुपये गैरकानूनी तरीके से दिए जाने का उल्लेख कैग ने किया है। जिसमें से 142 करोड़ 18 लाख रुपये का काम न होने पर भी कॉन्ट्रक्टरों को दिया गया है ऐसा कैग की रिपोर्ट में दर्ज है। इस रिपोर्ट के कारण इस परियोजना में गैरकानूनी आरोपों पर मुहर लग गई है।
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