रूस और यूक्रेन का विवाद समूचे विश्व को युद्ध की ओर ढकेलता दिखाई दे रहा है| इस बीच पूर्वी यूक्रेन में कई धमाके हुए हैं। ये धमाके रूस समर्थित अलगाववादियों के नियंत्रण वाले शहर दोनेस्क में हुए हैं। वहीं अलगाववादियों के हमले में यूक्रेन के दो सैनिकों की मौत की खबर है। इस बीच रूस ने बैलेस्टिक और क्रूज मिलाइलों के परीक्षण के साथ परमाणु युद्धाभ्यास शुरू कर दिया है। अमेरिका ने रूस के इस परीक्षण को यूक्रेन पर हमले का काउंटडाउन करार दिया है।
आशंका जताई जा रही है कि अगर ये युद्ध हुआ तो इसके गंभीर परिणाम पूरी दुनिया को झेलने पड़ेंगे। रूस पर यूक्रेन के अलगाववादियों को पैसे और हथियारों से मदद करने का आरोप लगता रहा है, जिसे रूस खारिज करता रहा है। यूक्रेन की रूस के साथ 2 हजार किलोमीटर से ज्यादा लंबी सीमा है। रूस को डर है कि अगर यूक्रेन नाटो से जुड़ा तो नाटो सेनाओं की पहुंच रूसी सीमा तक हो जाएगी।
यूक्रेन से लड़ाई की सूरत में नाटो के देश रूस के खिलाफ युद्ध छेड़ सकते हैं, जो रूस की सुरक्षा के लिए कतई अच्छा नहीं होगा।अगर यूक्रेन NATO में शामिल हो गया, तो रूस की राजधानी मॉस्को की पश्चिमी देशों से दूरी केवल 640 किलोमीटर रह जाएगी। अभी ये दूरी करीब 1600 किलोमीटर है। यही वजह है कि रूस यूक्रेन के नाटो से जुड़ने को लेकर चेतावनी जारी करता रहा है।
रूस और यूक्रेन के बीच जंग छिड़ने पर इससे न केवल ये दोनों देश प्रभावित होंगे बल्कि पूरी दुनिया पर इसका असर नजर आने की संभावना है। भारत ने रूस-यूक्रेन विवाद में अब तक किसी भी पक्ष का समर्थन नहीं किया है, बल्कि उसने तटस्थ रुख अपना रखा है। भारत ने दोनों पक्षों से मामले के शांतिपूर्ण ढंग से निपटारे की अपील की है। भारत ने 2014 में रूस के क्रीमिया पर कब्जे के दौरान भी खुलकर रूस का विरोध नहीं किया था। यूक्रेन में 18 हजार मेडिकल स्टूडेंट्स समेत 20 हजार भारतीय फंसे हैं, जिन्हें सुरक्षित निकालना भारत की प्राथमिकता है।
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