रूस और यूक्रेन के बीच 19वां दिन भी भीषण जंग जारी है| प्रति दिन मरने वालों की संख्या बढ़ती ही जा रही है| रूस को रोकने के लिए अमेरिका की अगुवाई में पश्चिमी देशों ने उस पर तमाम तरह के प्रतिबंध लगाए हैं| फिर भी रूस पर पाबंदियों का कोई असर नहीं पड़ता दिखाई दे रहा है| इस युद्ध से दुनिया में भारतीय गेहूं की मांग तेजी से बढ़ गई है| इसके चलते गेहूं के मूल्यों में भी उछाल आया है और किसानों को न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) से भी ज्यादा दाम मिलने लगा है|
यूक्रेन के खिलाफ स्पेशल मिलिट्री ऑपरेशन शुरू करने के बाद पश्चिमी देशों ने रूस पर अनेक पाबंदियां लगा दी हैं, जिससे उसके गेहूं निर्यात का रास्ता लगभग बंद हो गया है| वहीं जंग में बुरी तरह बर्बाद हो चुका यूक्रेन भी अब गेहूं निर्यात की स्थिति में नहीं रहा है| ऐसे में दुनिया में एकदम से 100 टन गेहूं की कमी हो गई है, जिसके चलते दुनिया में गेहूं की कीमतें बढ़ने लगी हैं और भारत समेत गेहूं उगाने वाले दूसरे देशों के किसानों के लिए अवसर के नए मौके खुल गए हैं|
रूस-यूक्रेन युद्ध के चलते अमेरिका जैसे गेहूं निर्यातक देश में गेहूं की कीमत 3 मार्च तक 2,1000 से 22,000 रुपए टन थी| वहीं 7 मार्च को गेहूं की कीमत प्रति टन (10 क्विंटल) 40,212 रुपए पहुंच गई| भारतीय मूल्य में देखें तो कीमत 2,500 से 4,000 रुपए प्रति क्विंटल रही है| अमेरिका ही नहीं ऑस्ट्रेलिया, अजेंटीना, कनाडा जैसे देशों में भी गेहूं की कीमत में भारी उछाल आया हुआ है|
भारत में गेहूं का न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) 2,015 रुपए प्रति क्विंटल है| मध्य प्रदेश की खंडवा, हरदा जैसी मंडियों में गेहूं की कीमत एमएसपी से ऊपर चल रही है| वहां पर किसानों को रूस-यूक्रेन युद्ध की वजह से गेहूं का दाम 2700 से 3000 रुपये तक मिल रहा है, जो MSP से कहीं ज्यादा है|
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