पूरे कोरोना काल में अंग्रेजी में सारे आदेश जारी करने वाली ठाकरे सरकार को अब मराठी की याद आई है। अब राज्य की सभी महानगर पालिकाओं, नगर पालिकाओं, नगर पंचायतों आदि स्थानीय निकायों में सारा कामकाज मराठी में होगा। इसके लिए विधानमंडल में विधेयक पेश पारित किया गया है।
मराठी भाषा मंत्री सुभाष देसाई ने विधानसभा में महाराष्ट्र स्थानीय प्राधिकरण (राजभाषा) विधेयक, 2022 विधानसभा में पेश करते हुए कहा कि साल 1964 के कानून में स्थानीय प्राधिकरण शब्द का उल्लेख नहीं किया गया था। इसके चलते एमएमआरडीए संस्थानों में मराठी का इस्तेमाल नहीं हो रहा था। महानगर पालिकाओं, नगरपरिषदों से भी ऐसी ही शिकायतें आ रहीं थीं। मनपा आयुक्त हिंदी और अंग्रेजी में ट्वीट कर जानकारियां दे रहे थे।
देसाई ने कहा कि मुंबई महानगर पालिका ने फेसबुक पर हिंदी में जानकारियां साझा की। उन्होंने कहा कि मेट्रों की परीक्षाएं भी हिंदी और अंग्रेजी में ली गई। बड़ी संख्या में लोग मराठी भाषा विभाग में इसकी शिकायत कर रहे थे जिसे नजरअंदाज नहीं किया जा सकता था। देसाई ने कहा कि महाराष्ट्र में मराठी ही अग्रणी भाषा होनी चाहिए। भाजपा के आशीष शेलार और योगेश सागर ने विधेयक का समर्थन किया लेकिन कहा कि सरकार स्थानीय निकाय चुनावों में फायदा हासिल करने के लिए इस विधेयक को लाई है।
इससे पहले राज्य सरकार ने सभी दुकानों और व्यावसायिक प्रतिष्ठानों पर भी मराठी भाषा में बोर्ड लगाने को अनिवार्य कर दिया गया है। मराठी को आधिकारिक भाषा के रूप में अपनाने के बाद वर्ष 1964 के महाराष्ट्र राजभाषा अधिनियम के अनुसार 1 मई1966 से राज्य में सभी सरकारी कार्यालयों में मराठी भाषा को अनिवार्य किया गया है। इसके तहत विधानमंडल कामकाज और सरकारी कार्यालय का कामकाज मराठी में होता है।
लेकिन निकाय संस्थाओं और योजना प्राधिकरण के सरकारी कार्यालयों में मराठी भाषा की सख्ती नहीं की जा सकती थी। वर्तमान में राज्य में निकाय संस्थाओं में मराठी का उपयोग सुविधानुसार किया जाता है और अंग्रेजी का व्यापक रूप से उपयोग किया जाता है। मुंबई महानगर क्षेत्र विकास प्राधिकरण, राज्य सड़क विकास निगम, औद्योगिक विकास निगम, सिडको, म्हाडा के कामकाज में अंग्रेजी का इस्तेमाल ज्यादा होता है।
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