वर्ष 2020 में इलाहाबाद हाई कोर्ट ने अपने एक फैसले में कहा था कि लाउडस्पीकर से अजान देना इस्लाम का धार्मिक भाग नहीं है। यह जरूर है कि अजान देना इस्लाम का धार्मिक भाग है। इसलिए मस्जिदों से मोअज्जिन बिना लाउडस्पीकर अजान दे सकते हैं। कोर्ट ने कहा था कि ध्वनि प्रदूषण मुक्त नींद का अधिकार व्यक्ति के जीवन के मूल अधिकारों का हिस्सा है। किसी को भी अपने मूल अधिकारों के लिए दूसरे के मूल अधिकारों का उल्लंघन करने का अधिकार नहीं है। कोर्ट ने मुख्य सचिव को आदेश दिया था कि जिलाधिकारियों से इसका अनुपालन कराएं।
यह आदेश न्यायमूर्ति शशिकांत गुप्ता व न्यायमूर्ति अजित कुमार की खंडपीठ ने गाजीपुर के सांसद अफजाल अंसारी व फर्र्रुखाबाद के सैयद मोहम्मद फैजल की याचिकाओं को निस्तारित करते हुए दिया है। कोरोना महामारी के दौरान लगाए गए देशव्यापी लॉकडाउन के वक्त यूपी में भी सभी प्रकार के आयोजनों व एक स्थान पर भीड़ एकत्र होने पर रोक लगायी गई थी। इसके लिए लाउडस्पीकर बजाने पर भी रोक थी। इसके चलते गाजीपुर के जिलाधिकारी ने मस्जिदों से लाउडस्पीकर से अजान करने पर रोक लगाने का मौखिक निर्देश दिया था।
गाजीपुर से बहुजन समाज पार्टी के सांसद अफजाल अंसारी ने इसका विरोध किया। उन्होंने रमजान माह में लाउडस्पीकर से मस्जिद से अजान की अनुमति न देने को धार्मिक स्वतंत्रता के मूल अधिकारों का उल्लंघन बताते हुए इलाहाबाद हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश को पत्र लिखकर हस्तक्षेप करने की मांग की थी। मुख्य न्यायाधीश गोविंद माथुर ने इसे जनहित याचिका के रूप में स्वीकार करके सरकार का पक्ष पूछा था। कोर्ट ने दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद अपना फैसला सुनाया था।
‘मस्जिदों से लाउडस्पीकर हटाकर मुंबई को करें ध्वनि प्रदूषण से मुक्त’