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Sunday, November 24, 2024
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anti-social activities on the border: ज्यादा चेक पोस्ट की जरूरत ! 

वर्ष 2018 में जिन एकीकृत चेक पोस्ट को मंजूरी मिली थी उनमें से भी कुछ में भूमि अधिग्रहण सहित अन्य वजहों से काम पूरा नहीं हो पाया है।

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भारत-बांग्लादेश और भारत-नेपाल सीमा पर आतंकियों व अपराधियों के खिलाफ कार्रवाई, जाली नोटों की तस्करी रोकने के लिए और ज्यादा चेक पोस्ट की जरूरत बताई गई है। इस बीच पहले से स्वीकृत कई एकीकृत चेक पोस्ट यानी आईसीपी का निर्माण कार्य भूमि अधिग्रहण व अन्य मंजूरियों के इंतजार में लंबित है। इससे अपराधियों पर लगाम लगाने में सुरक्षाबलों को कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है।

गृह मंत्रालय की एक रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत-नेपाल सीमा का इस्तेमाल आतंकी व अपराधी छिपने के लिए करते हैं, इसलिए ज्यादा संख्या में आईसीपी बनाई जानी चाहिए।

आईसीपी के लिए वर्ष 2020-21 में 200 करोड़ रुपये, वर्ष 2021-22 में 216 करोड़ रुपये, 2021-22 के संशोधित अनुमान में 630 करोड़ रुपये और जमीनी स्थिति का आकलन करने के बाद फिर से वर्ष 2022 -23 के लिए 300 करोड़ आवंटित किए गए।

वर्ष 2018 में जिन एकीकृत चेक पोस्ट को मंजूरी मिली थी उनमें से भी कुछ में भूमि अधिग्रहण सहित अन्य वजहों से काम पूरा नहीं हो पाया है।

सुरक्षा मामलों की कैबिनेट समिति (सीसीएस) ने तीन एकीकृत चेक पोस्ट यूपी के रूपैडीहा, असम के सुतारकंडी और यूपी के सुनौली में आईसीपी की मंजूरी दी थी। इसकी अनुमानित लागत 847.72 करोड़ रुपये है।

रूपैडीहा, (भारत-नेपाल सीमा) पर आईसीपी का लगभग 58 प्रतिशत काम किया गया है। सुतारकांडी (भारत-बांग्लादेश सीमा) पर आईसीपी का एक हिस्सा चालू हो गया है। सुनौली (भारत-नेपाल सीमा) पर आईसीपी के लिए 46.782 हेक्टेयर के अधिग्रहण की प्रक्रिया जारी है।

सुरक्षा मामलों की कैबिनेट समिति ने भूमि अधिग्रहण और तैयारी के लिए 10 अन्य स्थानों पर आईसीपी के लिए सैद्धांतिक अनुमोदन किया था। इन 10 स्थानों में से सात पश्चिम बंगाल और एक मिजोरम में भारत बांग्लादेश सीमा पर जबकि एक-एक उत्तराखंड और बिहार में भारत नेपाल सीमा पर प्रस्तावित हैं। इनमें से ज्यादातर में भूमि स्थानांतरित करने व कुछ जगहों पर भूमि की लागत पर सहमति न बन पाने से देरी हो रही है।

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