ओबीसी आरक्षण के बिना स्थानीय स्वराज्य संस्थाओं का चुनाव होगा यह सर्वोच्च न्यायालय के आज के आदेश से स्पष्ट हो गया है। शिवसेना- कांग्रेस- राष्ट्रवादी कांग्रेस की महाविकास आघाडी सरकार ने ओबीसी समाज के साथ धोखाधड़ी की और पीठ में खंजर घोपा है। लेकिन, आनेवाले चुनाव में भाजपा 27 प्रतिशत टिकट ओबीसी समाज को देकर इस समाज के साथ न्याय करेगी। प्रदेश भाजपा अध्यक्ष चंद्रकांत दादा पाटील ने कोल्हापुर में पत्रकारों में यह बात कही।
चंद्रकांतदादा पाटील ने कहा कि, सर्वोच्च न्यायालय के आदेश के कारण स्थानीय स्वराज्य संस्थाओं का चुनाव का रास्ता साफ हो गया है। भाजपा चुनाव के लिए सदैव तैयार है। हम चुनाव लड़ेंगे और उसमें भाजपा की उम्मीदवारी देते समय प्रत्येक स्थानीय स्वराज्य संस्थाओं की कुल जगह में से 27 प्रतिशत स्थान पर ओबीसी समाज को टिकट देकर भाजपा की ओर से समाज को न्याय देंगे।
उन्होंने कहा कि, कुछ समय पहले छह जिला परिषदों में ओबीसी का आरक्षित स्थान रद्द होकर चुनाव हुए थे। भाजपा ने इन सामन्य हुई सीटों पर ओबीसी उम्मीदवार उतारे थे। उन्होंने कहा कि, सर्वोच्च न्यायालय ने 4 मार्च 2021 के दिन ओबीसी के राजनीतिक आरक्षण को रद्द किया था। न्यायालय द्वारा सुझाए गए ट्रिपल टेस्ट को पूर्ण करके इस आरक्षण को फिर से लागू करना संभव है। महाविकास आघाडी सरकार ने इस सुझाव के अनुसार एम्पीरिकल डेटा जमा करके ट्रिपल टेस्ट को पूरा किया होता तो ओबीसी समाज को उनका राजनीतिक आरक्षण उन्हें फिर से मिला होता। लेकिन यह सरकार केवल लापरवाही व ढिलाई करती रही जिसके परिणाम स्वरूप ओबीसी समाज का स्थायी रूप से नुकसान हुआ है। महाविकास आघाडी सरकार ने ओबीसियों से धोखाधड़ी की है
लाउडस्पीकर उतारने को तैयार है मुस्लिम समाज
लापडस्पीकर विवाद पर पाटील ने कहा कि मुस्लिम समाज के लोगों द्वारा समझदारी पूर्वक स्वयं से मस्जिदों से लाउडस्पीकर उतारने के लिए तैयार होने पर भी महाविकास आघाडी सरकार उन्हें लाउडस्पीकर के लिए अनुमति लेने का आग्रह कर रही है। इस तरह से साल भर के लिए अनुमति नही दी जा सकती है, लेकिन तब भी पुलिस आग्रह कर रही है। आघाडी सरकार के मुस्लिम तुष्टिकरण की राजनीति के कारण समाज में तनाव का निर्माण हो रहा है व मुसलमानों का दीर्घकालीन नुकसान हो रहा है। उन्होंने कहा कि, मनसे अध्यक्ष राज ठाकरे ने सही मुद्दे को उठाया है। सर्वोच्च न्यायालय के आदेश का पालन हो ऐसी उनकी मांग है। ऊंची आवाज में हनुमान चालीसा बजाने के उनके आवाहन को सरकार की ओर से मिल रही प्रतिक्रिया के कारण दो समुदायों को अलग अलग न्याय मिल रहा है यह स्पष्ट हो रहा है।
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