बांबे हाईकोर्ट की जज न्यायमूर्ति भारती डांगरे ने महाराष्ट्र के पूर्व गृह मंत्री अनिल देशमुख द्वारा दायर उस अर्जी पर सुनवायी से स्वयं को अलग कर लिया जिसमें उन्होंने मनी लांड्रिंग मामले में जमानत का अनुरोध किया है। न्यायमूर्ति डांगरे ने कहा कि वह ‘व्यक्तिगत कारणों’ से याचिका पर सुनवाई नहीं कर पाएंगी। डांगरे मूलरुप से देशमुख के गृह नगर नागपुर की रहने वाली हैं।
देशमुख को प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने 2 नवंबर, 2021 को गिरफ्तार किया था और फिलहाल वह न्यायिक हिरासत में हैं। इस साल मार्च में एक विशेष अदालत द्वारा जमानत याचिका खारिज किए जाने के बाद राकांपा नेता ने उच्च न्यायालय में याचिका दायर की थी। उन्होंने अपने खराब स्वास्थ्य के आधार पर जमानत मांगी है और ईडी के मामले को ‘‘झूठा और गढ़ा हुआ’’ करार दिया है।
अधिवक्ता अनिकेत निकम और इंद्रपाल सिंह के जरिये उच्च न्यायालय में दायर अपनी जमानत अर्जी में देशमुख ने कहा कि उन्हें ईडी ने झूठे और गढ़े हुए मामले में फंसाया है और आरोप लगाया कि एजेंसी अपने अधिकार का दुरुपयोग कर रही है। याचिका में धनशोधन के आरोपों का खंडन किया गया और कहा गया कि याचिककाकर्ता (देशमुख) 73 साल के हैं और उम्र से संबंधित विभिन्न बीमारियों से पीड़ित हैं।
इसमें अदालत से उदारता दिखाने और देशमुख को जमानत पर रिहा करने का अनुरोध करते हुए कहा गया है। ये बीमारियां उनके प्रतिरक्षा स्तर को प्रभावित करती हैं, जिससे उन्हें निरंतर समर्थन और मदद पर निर्भरता की आवश्यकता होती है।’’ ईडी ने अपने हलफनामे में जमानत याचिका का विरोध किया और कहा कि देशमुख साजिश के पीछे के मुख्य षड्यंत्रकर्ता हैं और उन्होंने गृह मंत्री के रूप में अपने आधिकारिक पद का दुरुपयोग किया।
केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) द्वारा भ्रष्टाचार और आधिकारिक पद के दुरुपयोग के आरोप में देशमुख के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज किये जाने के बाद ईडी ने देशमुख और उनके सहयोगियों के खिलाफ जांच शुरू की थी। ईडी का मामला यह है कि देशमुख ने राज्य के गृह मंत्री के रूप में कार्य करते हुए कथित तौर पर अपने आधिकारिक पद का दुरुपयोग किया और पुलिस अधिकारी सचिन वाजे के जरिये मुंबई में विभिन्न बार से 4.70 करोड़ रुपये एकत्रित किये।
वाजे को उद्योगपति मुकेश अंबानी के आवास ‘एंटीलिया’ के बाहर एक वाहन में विस्फोटक सामग्री मिलने और मनसुख हिरन की हत्या के मामलों के बाद गिरफ्तारी के बाद सेवा से बर्खास्त कर दिया गया था। ईडी ने कहा कि उक्त धनराशि नागपुर स्थित श्री साईं शिक्षण संस्थान को दी गई थी, जो देशमुख परिवार द्वारा नियंत्रित एक शैक्षिक ट्रस्ट है।
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