संसद का मानसून सत्र 18 जुलाई से शुरू होगा। इसी बीच संसद में असंसदीय शब्दों पर रोक लगाने की खबर सामने आई। हालांकि लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने सफाई जारी की है। लोकसभा के सदस्यों को अपने विचार व्यक्त करने की स्वतंत्रता है। साथ ही ओम बिरला ने समझाया है कि संसद में किसी भी शब्द पर प्रतिबंध नहीं लगाया गया है।
जब कोई सदस्य संसद में बहस के दौरान अनुचित शब्दों का प्रयोग करता है, तो पीठासीन अधिकारी उस शब्द को असंसदीय घोषित कर देता है। फिर हम उन सभी शब्दों को संकलित करते हैं। ओम बिरला ने कहा कि पहले इस तरह के शब्दों की एक किताब प्रकाशित होती थी लेकिन अब कागज के इस्तेमाल को कम करने के लिए सूची को ऑनलाइन प्रकाशित किया जाता है।
लेकिन संसद में किसी भी शब्द पर प्रतिबंध नहीं लगाया गया है। 1954, 1986, 1992, 1999, 2004 और 2009 में भी कई शब्द एकत्र किए गए थे। लेकिन 2010 के बाद हर साल ऐसे शब्द जमा होने लगे। ओम बिरला ने कहा कि कोई भी किसी भी सदस्य को बोलने के अधिकार से वंचित नहीं कर सकता है, लेकिन विनम्र भाषा में चर्चा होनी चाहिए।
इसके अलावा, उन्होंने कहा, लोकसभा सचिवालय द्वारा जारी सूची, लोकसभा सचिवालय ने असंसदीय शब्द 2021 शीर्षक के तहत ऐसे शब्दों और वाक्यांशों की एक सूची जारी की है। जिन्हें लोकसभा और राज्यसभा सहित राज्य विधानसभाओं में असंसदीय घोषित किया गया है। इस सूची में शामिल शब्दों को असंसदीय अभिव्यक्तियों के रूप में वर्गीकृत किया गया है।
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