दिल्ली की एक अदालत ने ऑल्ट न्यूज़ के सह-संस्थापक मोहम्मद जुबैर को शुक्रवार जमानत दे दी। हालांकि, ज़ुबैर अभी जेल में ही रहेगा। कुछ जगहों पर दर्ज केसों में अभी जमानत नहीं मिली है। जुबैर पर हिंदू देवता के खिलाफ 2018 में किए गए एक ट्वीट के मामले में गिरफ्तार किया गया था। जुबैर कुल सात प्राथमिकी दर्ज है। छह यूपी में ,जबकि एक दिल्ली में दर्ज है।
गौरतलब है कि मोहम्मद जुबैर को 27 जून को दिल्ली पुलिस ने एक ट्वीट के जरिए धार्मिक भावनाओं को आहत करने के आरोप में गिरफ्तार किया था। जिसके बाद जुबैर को उसी दिन निचली अदालत पेश किया गया जहां से उसे एक दिन की पुलिस हिरासत में रखने का आदेश दिया गया था। बताते चलें कि जुबैर पर भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 153 (दंगा भड़काने के इरादे से उकसाना) और 295ए (किसी भी वर्ग की धार्मिक भावनाओं को आहत करने के इरादे से जानबूझकर और दुर्भावनापूर्ण कृत्य) के तहत आरोप लगाया गया था।
इसके बाद दिल्ली पुलिस ने विदेशी चंदा लेने के आरोप में भी भारतीय दंड संहिता की धारा 201 (सबूत मिटाना ), 120बी (आपराधिक साजिश रचना ) और विदेशी अंशदान नियमन अधिनियम (एफसीआरए) की धारा 35 लगा था। जुबैर पर कुल सात प्राथमिकी दर्ज है, जिनमें से छह यूपी और एक दिल्ली में दर्ज है। जुबैर को दिल्ली, सीतापुर, हाथरस और लखीमपुर खीरी मामले में उसे हिरासत में लिया गया था।
इन चार मामलों में से उसे सीतापुर और आज दिल्ली के मामले में अंतरिम जमानत मिली है। उसे लखीमपुर खीरी और हाथरस मामले में जमानत मिलनी बाकी है। जुबैर ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर यूपी में दर्ज छह एफआईआर को रद्द करने की मांग की थी। इतना ही नहीं यूपी सरकार द्वारा गठित एसआईटी की संवैधानिकता पर भी सवाल खड़ा किया गए है।
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