मुंबई-पुणे महामार्ग लोगों के लिए महाकाल बनता दिखाई दे रहा है| हाइवे पुलिस विभाग की ओर से महामार्गों पर तेजी से बढ़ती दुर्घटनाओं के पीछे तेज गति व लापरवाही से गाड़ी चलाना और अचानक लेन बदलना आदि मुख्य कारण बताये जा रहे है| गत दिन पहले मुंबई-पुणे एक्सप्रेस-वे पर शिव संग्राम एसोसिएशन के अध्यक्ष व विधायक विनायक मेटे की सड़क दुर्घटना से हुई मौत के कारण महामार्ग विवादों के घेरे में है।
एक्सप्रेस-वे पर दुर्घटना और उसमें में हुई मौत के आंकड़ा यह स्पष्ट करता है कि इन महामार्गों पर बढ़ती दुर्घटनाओं को लेकर अभी तक कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया है, जिसके कारण – 2018 से अब तक मुंबई-पुणे एक्सप्रेस-वे पर 337 भीषण में 400 लोगों की मौत हो चुकी है और 265 दुर्घटनाओं में 626 लोग घायल हो चुके हैं। मुंबई-पुणे एक्सप्रेस-वे पर घाट यानि पहाड़ी क्षेत्र में वाहनों की गति सीमा 50 किमी प्रति घंटा और अन्य स्थानों पर 100 किमी प्रति घंटा निर्धारित की गई है। इसमें और पांच प्रतिशत की छूट दी गई है| हालांकि इस हाईवे पर तय की गई गति सीमा का वाहन चालक पालन नहीं करते हैं।
परिणाम स्वरूप तेज गति के वाहन से चालक अपना नियंत्रण खो देता है और दुर्घटनाएं होती हैं। हाईवे पुलिस विभाग वाहनों पर लगे सीसीटीवी कैमरों के जरिए स्पीड लिमिट का पालन नहीं करने वाले वाहन चालकों के खिलाफ कार्रवाई करती है| इसके बावजूद वाहन चालक नियमों का पालन नहीं करते दिखाई देते हैं|इसके अलावा, वाहनों के लिए निर्धारित मार्गों का उपयोग किए बगैर ही वाहन चालकों द्वारा अपने वाहनों को लापरवाही से चलाया जाता है। एक रास्ते से दूसरे रास्ते में घुसकर नियमों का उल्लंघन किया गया जाता है। भारी वाहनों के चालक बड़े पैमाने पर ऐसा करते हैं।
मुंबई-पुणे एक्सप्रेसवे पर लापरवाही से वाहन चलाना, लेन उल्लंघन, शराब पीकर गाड़ी चलाना जैसे विभिन्न कारणों से बड़ी संख्या में दुर्घटनाएं हो रही हैं। मुंबई-पुणे एक्सप्रेस-वे पर 2018 से जून 2022 तक हुए 337 भीषण दुर्घटनाओं में 400 लोगों की मौत हो गई। 2018 में 100 दुर्घटनाओं में 114 लोगों की मौत हुई और 2021 में 71 भीषण दुर्घटनाओं में 88 लोगों की मौत हुई। जनवरी से जून 2021 के बीच 41 भीषण सड़क दुर्घटना में 50 लोगों को अपनी जान गंवानी पड़ी। हाईवे पुलिस के अनुसार जनवरी से जून 2022 के बीच 30 दुर्घटनाएं हुई हैं, जिसमें 40 लोगों की जान चली गयी|
मुंबई-पुणे एक्सप्रेस-वे पर वाहनों की गति सीमा का उल्लंघन, बिना सीट बेल्ट के गाड़ी चलाना आम होता जा रहा है| इसके खिलाफ हाइवे पुलिस ने 17 जुलाई से 3 अगस्त तक विशेष कार्रवाई अभियान चलाया था| इन दोनों मामलों में कुल 6,500 से अधिक वाहन चालक दोषी पाए गए, जिसमें गति सीमा के उल्लंघन के 4,777 मामले शामिल हैं।
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