गोधरा हत्याकांड और उसके बाद गुजरात में हुई हिंसा और दंगों से सैकड़ों परिवार प्रभावित हुए थे। ऐसे कई मामले अदालतों में सुने गए हैं और अन्य अभी भी लंबित हैं। ऐसा ही एक मामला है बिलकिस बानो गैंगरेप केस। इस मामले में आरोपियों को उम्रकैद की सजा भी सुनाई गई थी।
हालांकि कुछ दिन पहले इन आरोपियों को समय से पहले रिहा कर दिया गया था। इस मुद्दे को लेकर देश में माहौल गरमा गया है| गुजरात सरकार के इस फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में तीन याचिकाएं दायर की गई हैं और अब सुप्रीम कोर्ट ने गुजरात सरकार को नोटिस जारी किया है| इन आरोपियों को किस आधार पर छोड़ा गया? इस संबंध में कोर्ट से सवाल किया गया है।
Bilkis Bano case | SC says – question is, under Gujarat rules, are the convicts entitled to remission or not? We've to see whether there was application of mind in this case while granting remission, SC says.
SC directs petitioners to make 11 convicts party in the case here. pic.twitter.com/sMTa4ZxruS
— ANI (@ANI) August 25, 2022
गुजरात सरकार के इस फैसले का विरोध करने वाली कुल तीन याचिकाएं सुप्रीम कोर्ट में दाखिल की गई हैं| इनमें सीपीएम नेता सुभाषिनी अली, तृणमूल कांग्रेस सांसद महुआ मोइत्रा और एक अन्य याचिकाकर्ता शामिल हैं। 11 अपराधियों को रिहा करने के गुजरात सरकार के फैसले पर आपत्ति जताते हुए याचिका में इस फैसले को वापस लेने की मांग की गई है|
मुख्य न्यायाधीश एन. वी इन याचिकाओं की सुनवाई रमना की अध्यक्षता वाली पीठ के समक्ष चल रही है| इन सभी मामलों में सवाल यह है कि क्या गुजरात सरकार के कानून में अपराधियों की इतनी जल्दी रिहाई का प्रावधान है या नहीं? हमें यह भी देखना होगा कि क्या इन अपराधियों को बरी करते समय पूरे मामले पर पूरी तरह से विचार किया गया है। इसके अलावा, अदालत ने याचिकाकर्ताओं को निर्देश दिया कि 11 आरोपियों को भी मामले में याचिकाओं में प्रतिवादी बनाया जाए।
यह भी पढ़ें-
महाराष्ट्र में लड़कियों के धर्म परिवर्तन के लिए बनाया रेट कार्ड