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70 करोड़ बनाने में, 20 करोड़ ढहाने में

भारत का सबसे बड़ा विस्फोट मिशन

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लगभग 1 साल पहले 31 अगस्त 2021 को देश की सबसे बड़ी अदालत ने नोएडा सेक्टर 93ए में बने सुपरटेक ट्विन टावर को अवैध घोषित कर दिया था। सुप्रीम कोर्ट का कहना था कि ट्विन टावर को बनाने में नियमों की उल्लंघन हुआ है। वहीं इस मामले में नोएडा अथॉरिटी के भ्रष्टाचार में लिप्त होने पर सुप्रीम कोर्ट ने सख्त आदेश देते हुए 3 महीने में यानी नवंबर 2021 तक टावर को गिराने की बात कहीं थी। इस ट्विन टावर को लेकर रियल स्टेट के सेक्टर में बायर और बिल्डर के बीच एक बड़ा संग्राम था, हालांकि इस फैसले को एमराल्ड कोर्ट सोसायटी के बायर्स की बड़ी जीत मानी गई थी।

दरअसल, ट्विन टावर के बगल में बनी सोसाइटी के दूसरे टावर के लोगों का मानना था ये टावर अवैध तरीके से बनाया जा रहा है। इसलिए इन लोगों ने ट्विन टावर के खिलाफ कानूनी लड़ाई लड़ी थी, जो आसान नहीं थी। पहले पहल ये नोएडा अथॉरिटी से शुरू हुई इसके बाद हाईकोर्ट पहुंची और अंत में मामला सुप्रीम कोर्ट तक पहुंचा लेकिन सोसाइटी के आरडब्ल्यूए ने हार नहीं मानी। यह लड़ाई तब तक चली जब तक टावर को अवैध घोषित करके इसे गिराने का आदेश नहीं दिया गया। वहीं अवैध घोषित के होने बाद सुप्रीम कोर्ट ने ट्विन टावर को गिराने के लिए 3 महीने का समय दिया था। हालांकि एक साल बाद अब जाकर 28 अगस्त को अवैध तरीके से बने ट्विन टावर को ढहा दिया जाएगा। 70 करोड़ की लागत से बनी इन इमारतों को मात्र 9 सेकेंड में मलबे में तब्दील कर दिया जाएगा। ट्विन टावरों को गिराने के लिए 3,700 किलोग्राम विस्फोटक लगाया गया है। वहीं इसे ध्वस्त करने में करीब 20 करोड़ रुपये का खर्च आएगा। क्योंकि इसमें बहुत अधिक विस्फोटक, जनशक्ति और उपकरण की आवश्यकता होगी।

इमारतों को गिराने में लगने वाली 20 करोड़ रुपये की लागत में से 5 करोड़ रुपये का भुगतान सुपरटेक करेगी। जबकि मलबे को बेचकर शेष 15 करोड़ की राशि प्राप्त की जाएगी। विस्फोटक के बाद इसमें 4,000 टन स्टील और लगभग 55,000 टन आयरन निकलने की संभावना है। इसके अलावा इमारतों को गिराने के बाद आसपास के क्षेत्र में किसी भी हानि के लिए 100 करोड़ रुपये का बीमा कवर करने की जिम्मेदार कंपनी एडिफिस इंजीनियरिंग ने लिया है।

28 अगस्त को जब ये टावर गिराए जाएंगे, उस समय एक्सप्रेस-वे पर कुछ देर के लिए ट्रैफिक बंद किया जाएगा। इसके अलावा, आसपास की बिल्डिंग में रहने वाले लोगों को दिनभर के लिए अपने घर खाली कर देने की सूचना दी गई हैं।  जब विस्फोट होगा उसके बाद धूल ऊपर उठेगी और आसपास की सोसाइटी और सड़कों पर भी गिरेगी। ट्विन टावर के बगल में बनी हुई सोसाइटी, आसपास की सड़कों और एक्सप्रेस-वे पर भी 15 मिनट बाद धूल मिट्टी नजर आने का अनुमान लगाया जा रहा है। धूल काम करने के लिए नोएडा अथॉरिटी और सीबीआरआई ने एडिफिस एजेंसी से टावर को ढकवाया है।

क्या है पूरा मामला-

23 नवंबर 2004 को नोएडा अथॉरिटी ने सेक्टर 93ए में ग्रुप हाउसिंग का प्लॉट नंबर 4 एमराल्ड कोर्ट को आवंटित किया। इस प्रोजेक्ट के तहत प्राधिकरण ने ग्रुप हाउसिंग सोसाइटी को 14 टावर का नक्शा आवंटित किया। जिसमें सभी टावर ग्राउंड फ्लोर के साथ 9 मंजिल तक पास किए गए। इसके बाद 29 दिसंबर 2006 को नोएडा अथॉरिटी ने ग्रुप हाउसिंग सोसायटी के प्रोजेक्ट में पहला संशोधन करते हुए दो मंजिल और बढ़ाने का नक्शा पास किया। जिसके तहत 14 टावर मिलाकर ग्राउंड फ्लोर के अलावा 9 मंजिल की जगह 11 मंजिल बनाने का नक्शा पास हो गया। कुछ समय बाद टावर 15 का भी नक्शा पास किया गया। इसके बाद नोएडा अथॉरिटी ने 16 टावर का नक्शा पास किया जिसके तहत अब कुल 16 टावर के लिए 11 मंजिल की इजाजत दी गई और इसकी ऊंचाई 37 मीटर तय की गई।

26 नवंबर, 2009, को नोएडा अथॉरिटी ने टावर नंबर 17 का नक्शा पास किया, जिसमें टावर नंबर 16 और 17 पर 24 मंजिल निर्माण का नक्शा बनाया गया और इसकी ऊंचाई 73 मीटर तय कर दी गई। नोएडा अथॉरिटी यहीं नहीं रुकी। टावर के नक्शे में 2 मार्च 2012 को तीसरा संशोधन किया गया जिसमें टावर नंबर 16 और 17 के लिए एफएआर (फ्लोर एरिया रैशन) और बढ़ा दिया गया। जिसमें इन दोनों टावर को 40 मंजिल तक करने की इजाजत देते हुए 121 मीटर ऊंचाई तय की गई थी।

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