महाराष्ट्र की राजनीति में इतना भ्रम और इतना धोखा मैंने आज तक नहीं देखा। मनसे अध्यक्ष राज ठाकरे ने अपना गुस्सा जाहिर किया है कि उन्होंने इतने सालों में राजनीति में ऐसा भ्रम नहीं देखा कि कौन किसके साथ जा रहा है और कौन सरकार बना रहा है,कौन विपक्षी दल में बैठा है।
राज ठाकरे पांच दिवसीय विदर्भ दौरे पर हैं और आज उनके दौरे का दूसरा दिन है| वे नागपुर में आयोजित संवाददाता सम्मेलन में बोल रहे थे। इस बीच इस बार उन्होंने उस मुद्दे पर भी टिप्पणी की जिसके कारण भाजपा-शिवसेना गठबंधन टूट गया। उन्होंने यह भी याद दिलाया कि मुख्यमंत्री पद का फॉर्मूला 1989 में भाजपा-शिवसेना गठबंधन में तय हुआ था।
राज ठाकरे ने राज्य की राजनीति गतिविधियों व उठापटक को लेकर तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुये कहा कि आप गठबंधन, गठबंधन करके चुनाव लड़ते हैं, वादे करते हैं और मतदाता दो घंटे खड़े होकर मतदान करते हैं। उसके बाद जब परिणाम घोषित होता है तो कोई सुबह राज्यपाल के पास जाता है और शपथ दिलाता है। फिर भाजपा, राकांपा एक साथ आए। दो घंटे बाद शिवसेना, राकांपा और कांग्रेस एक साथ आए। मुझे इस बारे में पता नहीं था|
अमित शाह और मैं एक कमरे में बैठे थे, उन्होंने कहां कहा कि हमें ढाई साल के लिए मुख्यमंत्री का पद दिया जाएगा? 1989 में मातोश्री या होटल में हुई बैठक में बालासाहेब ठाकरे, मनोहर जोशी, प्रमोद महाजन, गोपीनाथ मुंडे और दोनों पार्टियों के अन्य नेता मौजूद थे| उस समय फार्मूला यह था कि जिसके पास ज्यादा विधायक होंगे वह मुख्यमंत्री होगा।
अब 1995 से 1999 तक गठबंधन सरकार के दौरान शिवसेना के पास ज्यादा विधायक थे। मुझे याद नहीं है कि उस समय भाजपा ने मुख्यमंत्री पद का दावा किया था। ऐसा ही कुछ 1999 में हुआ था। लेकिन, अगर यह फॉर्मूला तय हो गया है, तो आप परिणाम के बाद अचानक क्या कह रहे हैं? राज ठाकरे ने पूछा कि आपने सार्वजनिक रूप से यह क्यों नहीं कहा कि चारदीवारी में क्या तय हुआ था?
उन्होंने आगे कहा, “अगर उस समय उद्धव ठाकरे मंच पर थे, नरेंद्र मोदी, अमित शाह कह रहे थे कि देवेंद्र फडणवीस अगले मुख्यमंत्री होंगे, तो उन्होंने तब आपत्ति क्यों नहीं की? चुनाव हुए, नतीजे आए और फिर उन्हें याद आया।
राजनीति के पतन के लिए कौन जिम्मेदार है? इस बारे में पूछे जाने पर उन्होंने कहा, ‘लोग जब इस तरह से बेइज्जत होने के बाद भी उन्हें वोट देते हैं तो उन्हें लगता है कि हमने जो किया है वह सही है| यह तभी सुधरेगा जब लोगों को उन पर शासन करने, उन्हें चुनाव में धकेलने की जरूरत होगी। अगर इस तरह का अपमान है, तो इसे न्याय के दायरे में लाया जाना चाहिए।
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