इस साल नवरात्रि 26 सितंबर यानी आज से लेकर 4 अक्टूबर तक मनाया जाएगा। और 5 अक्टूबर को दशहरा मनाया जाएगा। देश भर में नवरात्रि के पहले दिन भक्तों में काफी उत्साह देखने को मिल रहा है। माता के भक्त सुबह से ही मंदिरों में लंबी कतार में खड़े होकर दर्शन के लिए पहुंचने लगे हैं। हिन्दू धर्म में मां दुर्गा सबसे पूजनीय देवी में से एक हैं। मां दुर्गा पाप नाशनी, कष्ट हरणी आदि शक्तियों के रूप में भक्तों के बीच प्रख्यात हैं। ऐसे में नवरात्रि के पावन दिनों में मां दुर्गा के भक्त प्राचीन और पवित्र दुर्गा मंदिरों में दर्शन के लिए पहुंचते रहते हैं।
हालांकि माता के जिस मंदिर के बारे में हम यहाँ जिक्र कर रहे हैं उस पवित्र मंदिर का नाम ‘मां शैलपुत्री मंदिर’ है। यह मंदिर शिव की नगरी यानी वाराणसी शहर में मौजूद है। नवरात्रि के पहले ही दिन से इस मंदिर में भक्तों की भीड़ उमड़ने लगती हैं। मान्यता यह है कि इस मंदिर में मां का दर्शन करने से भक्तों की सभी मुरादें पूरी हो जाती हैं।
इस पवित्र मंदिर को लेकर एक पौराणिक कथा है जो कि बेहद ही दिलचस्प है। कहा जाता है कि मां शैलपुत्री एक बार कैलाश नगरी से आकर काशी में बस गईं। जब मां शैलपुत्री काशी में थी तब भगवान शिव उन्हें मनाने के लिए काशी पहुंचें। बहुत कोशिश करने के बाद भी शैलपुत्री नहीं मानी और उन्होंने कहा कि ये जगह बहुत प्रिय है और यहां से वह कहीं नहीं जाना चाहती हूं। शैलपुत्री के नहीं मनाने पर भगवान शिव उन्हें काशी में ही छोड़कर चले गए और कहा जाता ही कि तभी से मां शैलपुत्री काशी में ही बस गईं।
हिमालय की गोद में जन्म लेने वाली मां को शैलपुत्री के अलावा कई अन्य नाम से भी जाना जाता है। माता का वाहन वृषभ है इसलिए उन्हें वृषारूढ़ा देवी के नाम से जाना जाता है। इसके अलावा माता शैलपुरी सती, पार्वती और हेमवती देवी के नाम से भी प्रचलित हैं।
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