भारत में मुगल शासन को समाप्त हुए लगभग 500 साल हो चुके हैं, लेकिन उनकी कई परंपराएं बदस्तूर जारी हैं। मध्य प्रदेश के सतना जिले के चित्रकूट में आयोजित होने वाला गधा मेला मुगल शासन का प्रतीक है। यह मेला हर साल चित्रकूट के रामघाट के पास लगता है। यह तीन दिनों तक चलता है। यह मेला मुगल शासक औरंगजेब के शासनकाल के दौरान शुरू हुआ था।
राम की नगरी के नाम से मशहूर चित्रकूट में हर साल लगने वाले इस मेले में गधों के अलावा घोड़े और खच्चर भी दूर-दूर से आते हैं। लेकिन इसे गधा मेला या बाजार के नाम से जाना जाता है। दिलचस्प बात यह है कि गधों का नाम फिल्म अभिनेताओं के नाम पर रखा गया है। इस मेले में शाहरुख, सलमान और आमिर के नाम की बोली लगती है। यह बोली लाख में है।
यह मेला पिछले दो साल से कोविड-19 के कारण स्थगित था, लेकिन इस बार मेले में एक से बढ़कर एक गधे नजर आ रहे हैं। मध्य प्रदेश और उत्तर प्रदेश के आसपास के जिलों के व्यापारी और पशुपालक मेले में अपने गधों, घोड़ों और खच्चरों को लाते हैं।
स्थानीय लोगों का कहना है कि 16वीं शताब्दी में मुगल बादशाह औरंगजेब अपने कारवां के साथ चित्रकूट पर हमला करने आया था। यहां उसके बेड़े के कई घोड़े और गधों की बीमारी से मृत्यु हो गई। जब बेड़े में गधों की कमी होती थी, तो कमी को पूरा करने के लिए स्थानीय स्तर पर पशु बाजारों का आयोजन किया जाता था। तब से लेकर आज तक मंदाकिनी तट पर दिवाली के दूसरे दिन यह ऐतिहासिक गधों का मेला लगता है।
यह मेला चित्रकूट नगर परिषद, जिला सतना द्वारा आयोजित किया जाता है। इस वर्ष भी इस मेले में हजारों गधों, घोड़ों, खच्चरों को बिक्री-खरीद के लिए लाया गया है। इन जानवरों का नाम फिल्म अभिनेताओं के नाम पर रखा गया है। इनकी कीमत लाखों में है। मेले में काफी भीड़ होती है, क्योंकि इसे देखने के लिए पशु खरीदारों के अलावा दिवाली मेले में जाने वाले कई लोग आते हैं।