युद्धपोत विक्रांत बचाओ मुहिम मामले में हुए कथित घोटाले के आरोपी भाजपा नेता किरीट सोमैया और उनके पुत्र नील सोमैया को मुंबई पुलिस ने क्लीन चिट दे दिया है। पुलिस ने कोर्ट में भी रिपोर्ट दाखिल कर कहा कि इस मामले की जांच में सोमैया परिवार के खिलाफ भ्रष्टाचार के कोई सबूत नहीं मिले। उद्धव ठाकरे सरकार के दौरान सोमैया और उनके बेटे नील के खिलाफ इस मामले में एफआईआर दर्ज की गई थी।
इस मामले में बबन भोसले नाम के पूर्व सैन्यकर्मी ने मुंबई के ट्रांबे पुलिस स्टेशन में शिकायत की थी जिसके आधार पर एफआईआर दर्ज की गई थी। भोसले ने भी विक्रांत को बचाने और उसे संग्रहालय में बदलने के लिए 11 हजार रुपए दिए थे। उनका दावा था कि मुहिम के दौरान 57 करोड़ रुपए जमा किए गए थे। शिकायत में दावा किया गया था कि साल 2014 में युद्धपोत नीलाम कर दिए जाने के बाद सौमैया पिता-पुत्र ने पैसों को राज्यपाल के सचिव कार्यालय में जमा कराने की बजाय उसका दुरुपयोग किया। मामले में उद्धव ठाकरे की अगुआई वाली महाविकास आघाडी सरकार के रहते एफआईआर दर्ज की गई थी जिसे आगे की जांच के लिए आर्थिक अपराध शाखा को सौंपा गया था।
मामला दर्ज होने के बाद किरीट और नील सोमैया ने राहत के लिए बांबे हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया था और अदालत ने दोनों को जमानत दे दी थी। आर्थिक अपराध शाखा के एक पुलिस अधिकारी ने बताया कि मामले में 40 लोगों के बयान दर्ज किए गए और आरोपों की पुष्टि करने वाले कोई सबूत नहीं मिले जिसके चलते मामले की जांच बंद करने का फैसला किया गया।
2024 में सारा हिसाब करेंगेः शिवसेना (उद्धव बालासाहेब ठाकरे) नेता संजय राऊत ने सोमैया पिता-पुत्र को क्लीनचिट मिलने के बाद कहा कि सरकार बदलने के बाद जो चीजें अपेक्षित थीं उनमें से यह भी एक है। लेकिन यह मामला खत्म नहीं हुआ है। सभी ने देखा है कि विक्रांत के लिए पैसे जुटाए गए। एक रुपए जुटाए गए या 50 करोड़, यह बात अहम नहीं है। असली बात यह है कि भ्रष्टाचार हुआ है। बताया जा रहा है कि पैसे राजभवन में दिए गए लेकिन राजभवन की ओर से कहा गया कि हमें पैसे नहीं मिले। यह भ्रष्टाचार का सबसे बड़ा सबूत है। अभी भले ही क्लीनचिट मिल गई है लेकिन ऐसा नहीं है कि 2024 में यह मामला नहीं आएगा। सरकार हमेशा के लिए नहीं रहती। सरकार बदलेगी और सबका पूरा हिसाब किया जाएगा।
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