उत्तराखंड के जोशीमठ में लगातार हो रहे भू-धंसाव ने लोगों की चिंता बढ़ा दी है। घरों पर दरारें आने को लेकर प्रधानमंत्री कार्यालय ने एक उच्च स्तरीय बैठक बुलाई है। वहीं सीएम पुष्कर सिंह धामी ने आज पीएम मोदी को फोन पर जोशीमठ के ताजा हालात के बारे में बताया। जिसे लेकर प्रधानमंत्री ने जोशीमठ के संदर्भ में दूरभाष के माध्यम से बातचीत कर प्रभावित नगरवासियों की सुरक्षा व पुनर्निर्माण के लिए उठाए गए कदमों एवं समस्या के समाधान के लिए तात्कालिक और दीर्घकालिक कार्य योजना की प्रगति के विषय में जानकारी ली।
लगातार धंसते जा रहे जोशीमठ को बचाने को लेकर टीम निरीक्षण कर रही है। जोशीमठ के डेढ़ किलोमीटर भू-धंसाव प्रभावित क्षेत्र को आपदाग्रस्त घोषित किया गया है। भू-धंसाव का अध्ययन करके आई विशेषज्ञ समिति ने सरकार को सौंपी रिपोर्ट में ऐसे भवनों को गिराए जाने की सिफारिश की है, जो पूरी तरह से असुरक्षित हैं। नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ हाइड्रोलॉजी को जोशीमठ में रिस रहे पानी की जांच करने का जिम्मा दिया गया है। वह पानी के मूल स्रोत का पता लगाएगा।
जोशीमठ की पथरीली जमीन और पहाड़ के किनारों से जिस तरह पानी का रिसाव हो रहा है ठीक वैसा ही रिसाव एनटीपीसी की तपोवन टनल के नीचे देख विशेषज्ञ चौंक गए। जोशीमठ से करीब 18 किमी. दूर इस टनल के बाहर यह रिसाव ऋषिगंगा नदी के मुहाने पर हो रहा है। वहीं जोशीमठ में तेजी से हो रहे भू-धंसाव के पीछे स्थानीय लोग एनटीपीसी की तपोवन-विष्णुगाड़ परियोजना की टनल निर्माण को जिम्मेदार मान रहे हैं। जोशीमठ नगर में घरों और व्यावसायिक भवनों में दरारें आने और जगह-जगह पानी का रिसाव होने के बाद राज्य सरकार ने वहां सभी तरह के निर्माण कार्यों पर रोक लगाने के आदेश दिए है।
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