कांग्रेस समर्थित यूपीए की सरकार भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ गई। लेकिन इससे कोई राजनीतिक दल सबक नहीं लिया। आज भ्रष्टाचार की कार्रवाई पर राजनीति खूब फलफूल रही है। जबकि आम जनता अपने प्रतिनिधियों को इसलिए संसद या विधानसभा भेजती ताकि उनके लिए अच्छी योजनाएं बनाई जाएं, उनके प्रतिनिधि जनता के दुःख दर्द को सुने और उसका निदान करें। लेकिन ऐसा नहीं हो रहा है। वे अपनी झोली भर रहे हैं। जब उन पर गलत काम करने का आरोप लगता है तो वे इस मामले को सियासी रंग देकर जनता को गुमराह करते हैं।
इस कुछ समय से देखा जा रहा है कि राजनीतिक दल यही कर रहे हैं। चाहे कांग्रेस हो या अन्य दल भ्रष्टाचार में फंसे अपने नेताओं को पाक साफ़ घोषित करने के लिए धरना प्रदर्शन किया। या अपने जाति धर्म से जोड़कर इस तूल देकर बचने की कोशिश करते हैं। पिछले साल जब झारखंड के मुख्यमंत्री को ईडी ने पूछताछ के लिए बुलाया था तो उन्होंने खुद को आदिवासी होने का हवाले देकर हंगामा खड़ा कर दिया था। इसी तरह अब महाराष्ट्र में एनसीपी नेता हसन मुश्रीफ ने धर्म का कार्ड खेला है। ईडी की कार्रवाई को उन्होंने धर्म से जोड़ दिया है। जिससे महाराष्ट्र की राजनीति गरमा गई है।
दरअसल, बुधवार को सुबह ईडी ने एनसीपी के नेता हसन मुश्रीफ के घर और कंपनी पर छापा मारा। हसन पर 100 करोड़ रुपये का घोटाले का आरोप है। उन पर बीजेपी नेता किरीट सोमैया ने आरोप लगाया है कि हसन ने अप्पा साहेब नलावडे शुगर मिल से जुड़े मामले में घोटाला किया है। 2020 में अप्पासाहेब नलावडे शुगर मिल को फर्जी तरीके से बेच दिया गया।
यह एक तरह से हसन के दामाद की कंपनी को फ़ायदा पहुंचाया गया। मालूम हो कि हसन एनसीपी के पहले नेता नहीं हैं जिन पर भ्रष्टाचार का आरोप लगा है। इससे पहले अनिल देशमुख और नवाब मलिक भ्रष्टाचार का आरोप लग चुका है। हाल ही में अनिल देशमुख को जमानत मिली है। जबकि नवाब मलिक अभी भी जेल की हवा खा रहे हैं। वहीं, प्रफुल्ल पटेल पर भी कार्रवाई हुई थी। बीते साल उनकी दो मंजिला इमारत को जब्त कर लिया गया था।
अभी हाल ही में जब एनसीपी नेता अनिल देशमुख को जमानत मिली थी तो एनसीपी कार्यकर्ताओं ने पटाखा फोड़कर उनका स्वागत किया था। इतना ही नहीं बाइक रैली भी निकाली गई थी। ऐसा लग रहा था की अनिल देशमुख बहुत बड़ा काम करके आएं। अपराधियों का महिमामंडन करना देश और समाज के लिए घातक है।
अगर हम अनिल देशमुख केस की बात करें तो उन पर वसूली का आरोप मुंबई के पूर्व कमिश्नर परमबीर सिंह ने लगाया था। सबसे बड़ी बात यह है कि अनिल देशमुख को कोर्ट ने जमानत दी थी उन्हें आरोप मुक्त नहीं किया था। लेकिन जिस तरह एनसीपी के नेता और कार्यकर्ता ने जश्न मनाया उसे कतई स्वीकार नहीं किया जा सकता है।
इसी तरह,कांग्रेस ने भी नेशनल हेराल्ड केस में ऐसा ही किया था। जब ईडी ने सोनिया गांधी और राहुल गांधी से पूछताछ कर रही थी तो उस समय कांग्रेस के कार्यकर्ताओं ने देश भर में आंदोलन किया था। जबकि सोनिया गांधी और राहुल गांधी से पूछताछ सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर की गई थी। बावजूद इसके जिस तरह से कांग्रेस नेताओं ने आंदोलन और प्रदर्शन किया उसे सही नहीं ठहराया जा सकता है। कांग्रेस ने ऐसा माहौल बनाया था उसने ऐसा कुछ नहीं किया है। जबकि नेशनल हेराल्ड केस में सुप्रीम कोर्ट ने मां बेटे को जमानत दिया है। बावजूद इसके आरोपियों की यह नौटंकी अजीबोगरीब लगती है।
2022 में जब दिल्ली सरकार के उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया से जब सीबीआई और ईडी ने पूछताछ के लिए बुलाया था और उनके घर पर छापा मारा तब भी ऐसा ही कुछ देखने और सुनने को मिला। शराब नीति घोटाले में मनीष सिसोदिया कटघरे में हैं। जब ईडी ने सिसोदिया को पूछताछ के लिए बुलाया था तो वे अपने समर्थकों के साथ ईडी कार्यालय पहुंचे थे। उस समय आप के समर्थकों ने खूब नौटंकी की थी।
बीते साल देश उस समय दंग रह गया था जब टीएमसी नेता पार्थ चटर्जी की करीबी अर्पिता मुखर्जी के घर भारी मात्रा में कैश बरामद किया था। उस समय ईडी ने अर्पिता मुखर्जी के दो आवास पर कार्रवाई की थी। जिस पर ममता बनर्जी ने आपत्ति जताई थी और आरोप लगाया था कि केंद्र की सरकार लोगों को डराने और धमकाने का काम कर रही है। बाद में ममता बनर्जी ने पार्थ चटर्जी को पार्टी से निलंबित कर दिया था।
अब ऐसा ही महाराष्ट्र में एनसीपी नेता ने धर्म को आधार बनाकर ईडी की कार्रवाई पर सियासीरंग चढ़ा दिया। हसन ने इस मामले को राजनीति रंग देते हुए कहा कि बीजेपी विशेष समुदाय के लोगों को निशाना बना रही है। उन्होंने एक तरह से मुस्लिम समुदाय को उकसाते हुए कहा कि अब कांग्रेस के नेता असलम शेख पर भी ऐसी ही कार्रवाई हो सकती है। सवाल यह कि हसन जब पाक साफ हैं तो ईडी की कार्रवाई से डर क्यों रहे हैं ? जब उन्होंने कुछ गलत किया ही नहीं है तो किस बात से डर रहे है ?
वहीं, हसन के खिलाफ हुई कार्रवाई पर एनसीपी नेताओं ने भी हां ने हां मिलाया। एनसीपी नेताओं का आरोप है कि यह कार्रवाई धर्म के आधार पर की जा रही है। वहीं, संजय राउत ने भी कहा है कि बीजेपी एक समुदाय के लोगों को टारगेट कर रही है और उनके पीछे जांच एजेंसियों को लगा दिया है। ऐसे में सवाल उठता है कि क्या सही में जांच एजेंसियां एक समुदाय को टारगेट कर रही है ? इतना ही नहीं, विपक्ष ने यह भी आरोप लगाता रहा है कि विपक्षी नेताओं को जानबूझकर निशाना बनाया जा रहा है। जबकि ईडी ने इन दावों को नकारते हुए कहा कि यह आरोप निराधार हैं। ईडी का कहना हैं पहले से ही दर्ज केसों को ही ईडी संज्ञान लेती है।
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