कांग्रेस के वरिष्ठ नेता दिग्विजय सिंह अपने बयानों को लेकर अक्सर चर्चा में रहते हैं। वहीं हाल ही में कांग्रेस की भारत जोड़ो यात्रा के दौरान दिग्विजय सिंह ने सोमवार को सर्जिकल स्ट्राइक पर विवादित बयान दे डाला। दिग्विजय ने जम्मू में रैली के दौरान सर्जिकल स्ट्राइक के सबूत मांग लिए। हालांकि, अब उन्होंने अपने बयान से किनारा किया है। उन्होंने कहा कि वह भारतीय जवानों का सम्मान करते हैं। वहीं काँग्रेस ने कहा दिग्विजय सिंह की टिप्पणी उनके ‘निजी विचार’ हैं और पार्टी द्वारा इसका समर्थन नहीं किया गया है।
जम्मू में रैली खत्म होने के बाद पत्रकारों ने फिर उनसे सर्जिकल स्ट्राइक को लेकर सवाल किए। इस दौरान दिग्विजय को बयान देने से रोका गया और पत्रकारों का माइक झटक दिया गया। कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने कहा कि हमने सभी सवालों के जवाब दे दिए हैं। आप जाकर प्रधानमंत्री से सवाल पूछें। वहीं भाजपा सहित अन्य दलों ने उनके बयान को सेना के मनोबल को कमजोर करने वाला बताया है।
दरअसल, कांग्रेस नेता दिग्विजय सिंह ने मंगलवार को सर्जिकल स्ट्राइक पर सवाल उठाया था। उन्होंने कहा कि हमारे सीआरपीएफ के 40 जवान पुलवामा में शहीद हुए। एक गाड़ी बिना जांच पड़ताल के उल्टी दिशा से आती है और सुरक्षाकर्मियों के काफिले से टकराती है, जिसमें हमारे सीआरपीएफ के 40 जवान शहीद हो जाते हैं। मगर भाजपा सरकार ने इस घटना की जानकारी लोकसभा और जनता के सामने क्यों नहीं रखी। उन्होंने कहा, आज तक पुलवामा पर संसद के सामने कोई रिपोर्ट नहीं रखी गई। उन्होंने दावा किया कि सर्जिकल स्ट्राइक किया गया, लेकिन सबूत नहीं दिखाया। बीजेपी सिर्फ और सिर्फ झूठ फैलाते हैं। हालांकि दिग्विजय सिंह यही नहीं रुके उन्होंने कहा, पुलवामा हादसे में आतंकवादी के पास 300किलो आरडीएक्स कहां से आई?
हालांकि काँग्रेस नेता का ऐसा बयान अचंभित करनेवाला नहीं लगता क्यूंकी साल 2016 के सर्जिकल स्ट्राइक पर पाकिस्तान के बाद जिसने सबूत मांगे थे वह काँग्रेस की पार्टी ही थी। राजनीति के खेल में इतना मत गिर जाइए कि भारत के सेनाओं का अपमान करते रहो। राजनीति अपनी जगह है पर भारत का गर्व ये सैनिक है आपके चाहनेवाले भी ये बर्दाश्त नहीं करेंगे। बीजेपी पर शक करने का हक आपको है पर जो हमें सुरक्षा प्रदान कर रहे है उनके बारे में इस तरह की विचारधारा रखने में आपको थोड़ी भी शर्म आ रही है।
आइए आज हम आपको आतंकवाद के खात्में के खुफिया मिशन के बारे में बताते हैं। जिनका सबूत दिग्विजय सिंह मांग रहे है। 14 फरवरी, 2019 को कश्मीर के पुलवामा में सीआरपीएफ के काफिले पर आतंकवादियों ने हमला किया था, जिसमें 44 भारतीय सीआरपीएफ जवानों को बलिदान देना पड़ा। 26 फरवरी, 2019 को भारतीय वायु सेना के लड़ाकू विमानों ने पाकिस्तान के बालाकोट में जैश-ए-मोहम्मद के एक आतंकी प्रशिक्षण शिविर को निशाना बनाया। अगले दिन, इस्लामाबाद ने भारतीय सैन्य प्रतिष्ठानों को निशाना बनाने का प्रयास किया, लेकिन भारतीय वायुसेना ने उनके इस प्रयास को विफल कर दिया। वहीं दिग्विजय सिंह सर्जिकल स्ट्राइक का सबूत मांग रहे है। यह हमारे सैनिकों का मनोबल गिराने वाला बयान है। यह दिखाता है कि वे पाकिस्तान के साथ खड़े हैं। विपक्षी दल प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को अपमानित करने के लिए इतना “अंधा” हो गया है कि उन्होंने सशस्त्र बलों का “अपमान” किया है, जबकि इस तरह के बयान कांग्रेस के शीर्ष नेतृत्व के इशारे पर दिए गए हैं।
दिग्विजय सिंह ने बीजेपी से सर्जिकल स्ट्राइक का सबूत मांगकर एक बार फिर कांग्रेस के लिए आगामी चुनाव से पहले ही गड्ढा खोद दिया है। हालांकि पार्टी ने इस बयान से खुद को अलग कर लिया है लेकिन माना जा रहा है कि राज्य में होने वाले विधानसभा चुनाव के दौरान बीजेपी भुनाने की कोशिश करेगी।
ऐसा इसलिए क्यूंकी ऐसी ही भूल काँग्रेस ने साल 2017 के लोकसभा चुनाव से पहले किया था जिसका खामियाजा काँग्रेस को भुगतान पड़ा था। दरअसल 18 सितबर 2016 को आतंकवादियों ने जम्मू कश्मीर के उरी में किया एक ऐसा हमला। जिसमें भारत के 19 वीर जवानों को शहादत देनी पड़ी थी। उसके जवाब में 29 सितंबर 2016 को इसी दिन भारतीय जाबांजों ने पाकिस्तानी सीमा में दाखिल होकर आतंकवादी ठिकानों को नेस्तनाबूद कर दिया था। सर्जिकल स्ट्राइक का ऑपरेशन इतना गोपनीय था कि इसकी जानकारी सिर्फ सात लोगों को थी। भारत के इतिहास में पहली बार इस तरह का ऐतिहासिक कदम उठाया गया था, जो कि प्रशंसनीय हैं। हालांकि भारतीय सेना की सर्जिकल स्ट्राइक पर सिर्फ पाकिस्तान ने ही नहीं, बल्कि भारत के कई राजनीतिक दलों ने सवाल उठाए थे। कांग्रेस नेता संजय निरुपम ने स्ट्राइक को फर्जी बताया था, तो दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने इसके सबूत मांगे थे। हालांकि 2018 में वीडियो भी जारी किया गया, हालांकि इस सर्जिकल स्ट्राइक का फायदा बीजेपी को साल 2017 के लोकसभा चुनाव में मिला था। सात राज्यों में चुनाव हुए, जिनमें से पंजाब को छोड़कर सब जगह बीजेपी की सरकार बनी। यह आम जनता द्वारा सच्चे देशभक्तों को समर्थन देने की मिशाल थी।
दिग्विजय सिंह के इस बयान के बाद इसका मुद्दा बनाना शुरू हो गया है। जहां एक तरफ केंद्रीय मंत्री ज्योतिराज सिंधिया ने दिग्विजय सिंह पर हमला बोला है। तो वहीं दूसरी ओर मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने भी दिग्विजय सिंह को घेरा है। उन्होंने इस मामले में राहुल गांधी से सफाई मांगी है। इतना ही नहीं बीजेपी नेता ने कांग्रेस के ‘डीएनए में पाकिस्तानी प्रेम’ की बात कही है।
वहीं पूर्व सेना प्रमुख जनरल वीपी मलिक ने ट्वीट कर कहा, भारत के सुरक्षा मुद्दों पर कुछ राजनेताओं को लगातार अपराधी बनते देख दुख हो रहा है। ये लोग बार-बार हमारे अपने सशस्त्र बलों के सफल अभियानों पर सवाल उठा रहे हैं। कॉंग्रेस के नेता इन सशस्त्र बलों के खिलाफ बोलते हैं तो भारत बर्दाश्त नहीं करेगा। राहुल गांधी और कांग्रेस पीएम मोदी से नफरत करते हैं, लेकिन ऐसा लगता है कि वे नफरत से इस हद तक अंधे हो गए हैं कि देश के प्रति उनका समर्पण खत्म हो गया है।
जिस भारतीय सेना के प्रयासों, उनकी देश भक्ति और बलिदान के कारण आज आप और पूरा देश सुरक्षित है, उन्हीं पर सवाल उठाकर आपने उनका अपमान किया। नेता दिग्विजय सिंह की तरफ से दिए गए बयान का खामियाजा संभवतः काँग्रेस को झेलना ही पड़ेगा। इस बयान से आम जनता से लेकर सेना में आक्रोश भर गया है। वहीं इस साल के विधानसभा चुनाव और अगले साल होनेवाले लोकसभा चुनाव में काँग्रेस को भारी भरकम नुकसान झेलने पड़ सकते है। काँग्रेस पार्टी की तरह कई अन्य पार्टियां और हस्तियाँ है जो समय समय पर भारतीय सेनाओं को लेकर विवादित बयान देते ही रहते है। और ऐसे कई लोग जिन्होंने भारतीय सेनाओं पर उंगली उठाई वो राहुल गाँधी के भारत जोड़ों यात्रा में देखने मिले है। इससे कयास लगाया जा सकता है कि सत्ता के लालच में ये लोग खुद के स्तर को कितना गिरा रहे है। तो कई हस्तियां खुदकी टीआरपी के लिए ऐसे घिनौना काम करते है। हालांकि इस तरह के विचारधारा वाले लोगों को प्रसंशा तो नहीं पर विरोध स्वरूप बदनामी और अपमान जरूर झेलना पड़ता है। इसलिए सतर्क रहे सावधान रहे।
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