कोरोना महामारी के दौरान श्रीलंका की अर्थव्यवस्था पूरी तरह से चरमरा गई थी और यह देश दिवालिया घोषित हो गया था। श्रीलंका इससे पहले लंबे समय से आर्थिक तंगी से जूझ रहा था, लेकिन कोरोना में आकर इसने पूरी तरह दम तोड़ दिया। इसकी वजह ये थी कि श्रीलंका की अर्थव्यवस्था पर्यटन और खेती पर ज्यादा निर्भर है, लेकिन कोविड-19 की वजह से इन दोनों कामों पर काफी बुरा असर पड़ा।
वहीं अब श्रीलंका ने अपनी आर्थिक स्थिति को ठीक करने के लिए प्रभु श्री राम का सहारा लिया है। दरअसल श्रीलंका ने रामायण से जुड़े स्थलों की पहचान की है जिनका उपयोग वह भारत से आने वाले लक्षित पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए करेगा। श्रीलंका टूरिज्म प्रमोशन के एक अधिकारी जीवन फर्नांडो ने बताया कि भारत से द्वीप पर पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए रामायण से जुड़े 50 स्थलों की पहचान की गई है। उन्होंने कहा कि द्वीप राष्ट्र विविधतापूर्ण है और इसके कई स्थान हैं जो भारत और अन्य बौद्ध देशों के तीर्थयात्रियों को आकर्षित कर सकते हैं।
भारत से बड़ी संख्या में लोग श्रीलंका में रामायण स्थल पर घूमने आते हैं। 2022 में श्रीलंका में करीब 7.2 लाख पर्यटक आए, जिसमें से भारत से 1.23 लाख पर्यटक थे। यह संख्या सबसे अधिक है। ऐसे में उन्हें लगता है कि यह संख्या और बढ़ सकती है। वहीं पिछले कुछ वर्षों के दौरान श्रीलंका ने रामायण पर्यटन के लिए भारत में कई प्रचार किए।
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