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Friday, September 20, 2024
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फडणवीस का “सच”, पवार की “फितरत”  

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महाराष्ट्र के उपमुख़्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने सोमवार को बड़ा खुलासा किया। उन्होंने कहा कि 2019 में उन्होंने शरद पवार से बातचीत कर अजित पवार के साथ शपथ लिया था। वैसे यह बात कभी साफ़ नहीं हो पाई कि आखिर क्यों इतने तड़के दोनों नेताओं ने शपथ ली थी। फडणवीस के खुलासे के बाद महाराष्ट्र की राजनीति में जैसे भुचाल आया हुआ है। एनसीपी नेताओं से लेकर संजय राउत तक ने इस बात को झूठ करार दिया है। इन नेताओं से पहले शरद पावर ने भी फड़णवीस के बयान पर अपनी प्रतिक्रिया दी और कहा कि राज्य के उपमुख्यमंत्री झूठ बोल रहे हैं। ऐसे में सवाल उठता है कि अगर फडणवीस झूठ बोल रहे हैं तो शरद पावर को आगे आकर बताना चाहिए की सच क्या है ? शरद पवार के इस खंडन से एक बार फिर इस मामले पर पर्दा गिर गया।

गौरतलब है कि सोमवार को एक टीवी चैनल से बातचीत में फडणवीस ने खुलासा किया कि 23 नवंबर 2019 को तड़के अजित पवार के साथ जो शपथ लिया था। उससे पहले उन्होंने एनसीपी के मुखिया शरद पवार से इस संबंध में बातचित हुई थी। उनकी सहमति के बाद ही शपथ लिया गया। उसके बाद ही उन्होंने मुख्यमंत्री और अजित पवार ने उपमुख्यमंत्री पद की शपथ ली थी।

लेकिन अब  इस मामले में शरद पवार ने कहा कि देवेंद्र फडणवीस झूठ बोल रहे हैं। मै देवेंद्र फडणवीस को सभ्य और समझदार मानता था, लेकिन उन्होंने इस मामले में झूठ का सहारा लिया। इस मामले की हमेशा चर्चा होती रही है। उपमुख्यमंत्री द्वारा उठाये गए मुद्दे पर आशा है कि शरद पवार सच्चाई बताएंगे। लेकिन ऐसा नहीं लगता है कि शरद पवार इस मामले को इतनी आसानी से बताएंगे या खुलासा करेंगे।

क्योंकि, शरद पवार हमेशा किसी मुद्दे पर गोलमोल जवाब देते रहे हैं। उनका राजनीति में एक ट्रैक रहा है जिस पर वे चलते हुए मुख्यमंत्री बने और केंद्र में मंत्री पद को सुशोभित किया। इसलिए उनकी बातों को विश्वास करना मुश्किल है। शरद पवार की फितरत रही है कि वे जो बोलते हैं उसपर कायम कम ही रहते हैं। इस बातचीत में उपमुख्यमंत्री फडणवीस ने कहा कि  मैं नहीं मानता कि अजित पवार पार्टी से बगावत कर सकते हैं।

बल्कि उन्हें इस मामले में बलि का बकरा बनाया गया। उन्होंने कहा कि शरद पवार से सलाह मशविरा करने के बाद ही मैंने इतना बड़ा कदम उठाया,लेकिन बाद में शरद पवार पलट गए। न जाने ऐसी कौन सी बात आ गई कि वे अपना स्टैंड बदल दिया। इसके बाद जो हुआ उसके बारे में सभी जानते हैं।

शरद पवार का अपना स्टैंड बदलने का रिकॉर्ड है। 1999 में महाराष्ट्र हुए विधानसभा में उनकी पार्टी ने जीत दर्ज की थी और वे कांग्रेस के साथ जाकर राज्य में सरकार बना ली थी। इससे पहले शरद पवार कांग्रेस में थे और उन्होंने सोनिया गांधी के खिलाफ विदेशी मूल का मुद्दा उठाकर पार्टी को छोड़ दिया था। इसके बाद उन्होंने एनसीपी बनाई और चुनाव लड़ा था। शरद पवार ने उस समय भी केवल राजनीति की थी। भले वे कांग्रेस से अलग हुए थे, लेकिन पार्टी बनाकर  चुनाव लड़ा और फिर कांग्रेस के साथ जाकर सरकार बना ली थी। यह घटना शरद पवार के गोलमोल रवैये का उदाहरण हैं। जिसकी जानकारी उपमुख्यमंत्री फडणवीस ने दी है।

वहीं, शिवसेना नेता संजय राउत ने फडणवीस के बयान को फेंक बताया है। ऐसे में एक बात बड़ी प्रचलित है कि अगर आप किसी व्यक्ति की ओर एक अंगुली दिख़ाओगे तो आप की ओर तीन अंगुलियां उठती हैं। उद्धव ठाकरे और संजय राउत कई बार कह चुके हैं कि गृह मंत्री अमित शाह ने बंद कमरे में कहा था कि शिवसेना और बीजेपी ढाई ढाई साल सरकार चलाएंगे। ऐसे में सवाल उठता है कि फिर राउत या उद्धव ठाकरे की बात कैसे सच मान लिया जाए। अगर फडणवीस की बात झूठ हो सकती है तो फिर संजय राउत और उद्धव ठाकरे की भी बात गप्प क्यों नहीं हो सकती।

जब 2019 में दोनों पार्टी साथ मिलकर महाराष्ट्र का विधानसभा चुनाव लड़ा था। उस समय बीजेपी ने 105 सीट पर विजयी हुई थी, जबकि शिवसेना ने 56 सीटें जीती थी। बाद में शिवसेना ने बीजेपी से अलग हो गई थी। उसने मुख्यमंत्री पद की मांग रखी थी। इसके बाद माह भर चले घटनाक्रम में एनसीपी और कांग्रेस ने शिवसेना को समर्थन देकर राज्य में सरकार बनाई थी। इस गठबंधन को महाविकास अघाड़ी का नाम दिया गया था।

शरद पवार को राजनीति का चाणक्य कहा जाता है। इस घटना के बाद महाराष्ट्र की राजनीति में हुई उठापटक आज भी कायम है। कई मीडिया रिपोर्ट में यह भी कहा गया कि अजित पवार को शरद पवार ने ही बीजेपी के साथ हाथ मिलाने को भेजा गया था। उस समय एनसीपी और कांग्रेस उपेक्षित थे, लेकिन जब शिवसेना के साथ जाने की बात सामने आई तो दो पार्टियां सक्रिय हो गई। अगर फडणवीस ने शरद पवार से बातचीत की बात कही है तो कहीं न कहीं सच्चाई तो जरूर होगी। शरद पवार इमरजेंसी के बाद इंदिरा गांधी से बगावत कर चुके हैं। उनका कांग्रेस में आना जाना नया नहीं है।

बहरहाल, जो कहानी शरद पवार ने शुरू की थी। उसका अंत फडणवीस ने की। महाराष्ट्र की राजनीति में अभी देवेंद्र फडणवीस का ही बोलबाला है। जून 2022 में जिस तरह से महाराष्ट्र की राजनीति ने करवट बदली उसकी टीस तीनों पार्टियों को है। यही वजह है कि उद्धव ठाकरे और आदित्य ठाकरे शिंदे गुट को गद्दार कहता रहता है. उद्धव गुट ही नहीं कांग्रेस और एनसीपी के नेता भी शिंदे गुट पर हमेशा हमलावर रहते है। वैसे महाराष्ट्र के राजनीति की नई पटकथा लिखी जा चुकी है। ऐसे में देखना होगा कि आने वाले समय में राज्य की राजनीति में  क्या और नए खुलासे होते हैं ?

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