भारत-चीन सीमा पर तनातनी अब भी जारी है। कई मुद्दों पर दोनों देशों के बीच मतभेद दूर नहीं हो रहे हैं। 2020 में गलवान में भारतीय सेना और चीनी सेना के बीच हिंसक झड़प हुई थी। इसमें भारत के 20 जवान शहीद हो गए थे। चीन का काफी नुकसान हुआ था। इसके बाद से कांग्रेस चीन के मुद्दे पर मोदी सरकार को घेरती रही है। कांग्रेस का आरोप है कि भारत सरकार और विदेश मंत्रालय चीन के खिलाफ खुलकर नहीं बोलते है।
इसके जवाब में मंगलवार को विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने एक साक्षात्कार के दौरान चीन सीमा पर विवाद पर खुलकर अपनी बात रखी। उन्होंने कहा कि एलएसी पर अब तक की सबसे बड़ी सेना की तैनाती पीएम मोदी के नेतृत्व में हुई है, राहुल गांधी के नहीं। इसी के साथ चीन का नाम लेने से डरने के आरोपों पर भी पलटवार करते हुए उन्होंने कहा, CHINA.. मैं चीन का नाम ले रहा हूं।
विदेश मंत्री ने बीबीसी डॉक्यूमेंट्री के प्रसारण के समय पर भी सवाल उठाया। उन्होंने कहा कि यह टाइमिंग महज एक संयोग है। बीबीसी की डॉक्युमेंट्री अभी क्यों रिलीज हुई? 1984 में भी बहुत कुछ हुआ था, उस पर डॉक्युमेंट्री क्यों नहीं बनी? दिल्ली या भारत में चुनावी साल शुरू हुआ कि नहीं, यह तो पता नहीं, लेकिन लंदन और न्यूयार्क में जरूर शुरू हो चुका है। दरअसल साल 2023 को ब्रिटिश ब्रॉडकास्टर बीबीसी ने India: The Modi Question शीर्षक से दो पार्ट में एक नई सीरीज बनाई गई। इस सीरीज में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के शुरुआती दौर के राजनीतिक सफर पर बातें की गईं थी। पूरे सीरीज में सबसे ज्यादा चर्चा मोदी के मुख्यमंत्री रहते गुजरात में हुए दंगों का किया गया। हालांकि भारत में ये सीरीज प्रसारित नहीं हुई, लेकिन लंदन समेत दुनिया के कई देशों में इसे बीबीसी ने चलाया। इस डॉक्यूमेंट्री को लेकर विवाद भी खड़ा हो गया था।
डॉ एस. जयशंकर ने आगे कहा, कभी कहा जाता है सरकार रक्षात्मक है, कभी कहा जाता है कि सरकार उदार हो रही है। अगर हम उदार हैं तो वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर आर्मी को किसने भेजा? राहुल गांधी ने आर्मी को नहीं भेजा, नरेंद्र मोदी ने भेजा।उन्होंने कहा, मैं सबसे लंबे समय तक चीन का राजदूत रहा और बॉर्डर मु्द्दों को डील कर रहा था। मैं ये नहीं कहूंगा कि मुझे सबसे अधिक ज्ञान है मगर मैं इतना कहूंगा कि मुझे इस चीन विषय पर काफी कुछ पता है। अगर राहुल गांधी चीन पर ज्ञान होगा तो मैं उनसे भी सीखने के लिए तैयार हूं।