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Sunday, November 24, 2024
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नागपुर की लड़ाई मुंबई आई, धीरेंद्र शास्त्री ने ताकत दिखाई

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मूल रूप से मध्य प्रदेश के रहने वाले धीरेन्द्र कृष्ण शास्त्री देश भर में अपने चमत्कार के लिए जाने जाते हैं। माना जाता है कि जो भी व्यक्ति अपनी अर्जी बागेश्वर धाम में लगाता है बाबा उनकी सभी समस्याओं को एक कागज में लिखकर उसका उपाय बताते हैं। कई लोग इसे उनका चमत्कार मानते हैं तो कई लोग इसे मात्र अन्धविश्वास। खैर जो भी हो पर इस बात को नहीं नकारा जा सकता की उनपर कई लोगों की अपार श्रद्धा है।

जनवरी महीने में बागेश्वर धाम सरकार धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री पर चमत्कार के नाम पर अंधविश्वास को बढ़ावा देने के आरोप पर हंगामा मचा हुआ था। ये विवाद जिस शख्स के आरोप लगाने के बाद शुरू हुआ था। उनका नाम था श्याम मानव। जो अपनी पहचान अखिल भारतीय अंधश्रद्धा निर्मूलन समिति के फाउंडर के तौर पर देते थे। श्याम मानव ने बाबा को चुनौती दी थी कि वे नागपुर में आकर उन्हें चमत्कार दिखाएं और अगर वे ऐसा करेंगे तो उन्हें 30 लाख रुपए दिए जाएंगे। हालांकि कई चुनौती देने वालों को जवाब देते हुए धीरेंद्र ने कहा, कि न हम कोई चमत्कारी हैं, न हम कोई गुरू हैं। हम बगेश्वरधाम सरकार बालाजी के सेवक हैं।”

वहीं इस घटना के कुछ दिन बाद ही नागपुर पुलिस की तरफ से धीरेंद्र शास्त्री को क्लीन चिट दे दी गई थी। नागपुर पुलिस ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर कहा था कि पड़ताल करने के बाद वीडियो में ऐसा कुछ भी नहीं पाया गया जो यह साबित करे कि धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री ने कोई अंधविश्वास फैलाया है। इसलिए हम धीरेंद्र शास्त्री पर कोई केस नहीं दर्ज करेंगे। बाबा के ऊपर जो आरोप श्याम मानव की ओर से लगाए गए थे। वे पूरी तरह से निराधार थे। जांच में पाया गया था कि बाबा ने ऐसा कोई काम नहीं किया जिससे कि उनके ऊपर अंधविश्वास फैलाने जैसा आरोप साबित हो।

गौरतलब है कि दिसम्बर माह में मध्यप्रदेश के दमोह जिले में अपनी कथा के दौरान धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री ने 165 परिवारों के 328 लोगों को क्रिसमस के दिन घर वापसी कराई थी। उन्होंने दावा किया था कि लोगों ने अपनी स्वेच्छा से ईसाई धर्म छोड़कर पुनः सनातन धर्म अपनाया है। इस दौरान बाकायदा आशीर्वाद गार्डन में एक बड़े अनुष्ठान का आयोजन किया गया था। इस समारोह में बागेश्वर धाम के महंत और कथा वाचक धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री भी मौजूद थे। समारोह में हिंदू धर्म में वापसी करने वालों का शुद्धिकरण कराने के लिए पुरोहितों के जरिए हवन-पूजन कराया गया। इसके बाद धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री ने सभी को शपथ दिलाई कि दोबारा हिंदू धर्म छोड़कर किसी और मजहब को नहीं अपनाएंगे।

इस दौरान घर वापसी करने वालों ने कहा कि उन्हें व उनके परिजनों को प्रलोभन देकर 2015 से 2017 के बीच ईसाई बनाया गया था। उन्हें अपना धर्म छोड़ने का सदैव दुख रहा। वह घर वापसी करना चाहते थे, पर कोई रास्ता नहीं मिल रहा था। घर वापसी की पहल जब बागेश्वर धाम के पीठाधीश्वर की तरफ से की गई तो उन्हें अपार खुशी हुई। जबकि बागेश्वर धाम में महाशिवरात्रि के मौके पर आयोजित सामूहिक विवाह सम्मेलन में 125 जोड़े विवाह बंधन में बंधे थे। इसमें शामिल हुई 125 लड़कियों में से 58 ऐसी लड़कियाँ थीं, जिनके माता या पिता का निधन हो चुका है, यानी वो अनाथ थीं। । बाबा बागेश्वर धाम के धीरेंद्र शास्त्री की मौजूदगी में एक मुस्लिम महिला ने हिंदू धर्म अपनाया। अब वो सुल्ताना से सुरभि दासी के नाम से जाती है। सुरभि ने कहा था की हिन्दू धर्म श्रेष्ठ है, हिन्दू धर्म से अच्छा कोई धर्म नहीं है। हिंदू धर्म सभ्यता और संस्कारों वाला धर्म है। ये हम नहीं बल्कि एक मुस्लिम महिला का बयान था जो हिन्दू धर्म की श्रेष्टता को प्रदर्शित करता है। यह सब बागेश्वर बाबा के प्रति लगाव रखनेवालों का उत्तम उदाहरण है। और उनका विरोध करनेवालों के गाल पर तमाचा।

बता दें कि बीते फरवरी माह को बागेश्वर धाम में चल रहे धार्मिक आयोजन के आखिरी दिन बड़ी संख्या में लोगों की घर वापसी कराई गई थी। धाम के पीठाधीश्वर पंडित धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री ने हजारों श्रद्धालुओं की मौजूदगी में 220 लोगों को पीली पट्टिका पहनाकर सनातन धर्म में वापसी कराई थी। इनमें से कई लोग मिशनरियों के संपर्क में आकर ईसाई बन गए थे और चर्च जाने लगे थे। बागेश्वर धाम पीठाधीश्वर धीरेंद्र शास्त्री ने घर वापसी करने वाले लोगों को आशीर्वाद स्वरूप पीली पट्टिका पहनाई और उनसे प्रतिदिन मंदिर जाने की अपील की थी। ईसाई से हिंदू धर्म में वापसी करने वालों ने बताया कि वह मिशनरी के लालच और प्रलोभन में ईसाई बन गए थे। लेकिन मिशनरियों ने घर देने का जो वादा किया था, उसे उन्होंने पूरा नहीं किया। इसी वजह से अब वह सब सनातन धर्म में वापस अपनी मर्जी से आए। यह उदाहरण बागेश्वर बाबा की प्रसिद्धि को बताता है।

बागेश्वर धाम के पीठाधीश्वर और कथावाचक पंडित धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री को लेकर विवाद थमने का नाम ही नहीं ले रहा है। भारत को हिंदू राष्ट्र बनाने की बात करने वाले धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री अब महाराष्ट्र मुंबई में होने वाले अपने कार्यक्रम को लेकर सुर्खियों में हैं। दरअसल बागेश्वर धाम के पंडित धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री का मुंबई में दिव्य दरबार लगनेवाला है। 18 और 19 मार्च को मुंबई के मीरा-भायंदर में बाबा का दरबार सजेगा। 18 मार्च को बागेश्वर सरकार दिव्य दरबार लगाएंगे और 19 मार्च को आशीर्वाद और भभूत वितरण का कार्यक्रम होगा। यह आयोजन सेंट्रल पार्क मैदान, एसके स्टोन, मीरा रोड (ईस्ट) मुंबई में होगा। बागेश्वर धाम के ट्विटर हैंडल से ट्वीट कर इसकी जानकारी दी गई है।

हालांकि दरबार लगने से पहली ही एक बार फिर विवाद शुरू हो गया है। इस बार कांग्रेस पार्टी ने दिव्य दरबार पर सवाल उठाए हैं। महाराष्ट्र कांग्रेस के अध्यक्ष नाना पटोले ने आरोप लगाया है कि दिव्य दरबार से लोगों में अंध विश्वास को बढ़ावा मिलेगा। नाना पटोले ने चिट्ठी लिखकर सरकार से मांग की है कि महाराष्ट्र सरकार बागेश्वर सरकार के कार्यक्रम पर रोक लगाए। आइए जानें आखिर क्या है पूरा विवाद?

बता दें कि महाराष्ट्र कांग्रेस अध्यक्ष नाना पटोले ने बागेश्वर सरकार के कार्यक्रम पर रोक लगाने के लिए महाराष्ट्र सरकार को जो चिट्ठी लिखी है उसमें उन्होंने कहा है कि महाराष्ट्र प्रगतिशील विचारों वाला राज्य है। ऐसे में अंधश्रद्धा फैलाने वाले और संत तुकाराम महाराज का अपमान करने वाले बाबा बागेश्वर के कार्यक्रम को इजाजत नहीं दी जानी चाहिए। अगर धीरेंद्र शास्त्री के कार्यक्रम को इजाजत दी गई, तो जनता को गुमराह कर उनकी भावनाओं और श्रद्धा से खिलवाड़ होगा। मेरी विनती है कि ऐसे कार्यक्रमों को इजाजत ना दें।

महाराष्ट्र कांग्रेस के प्रमुख नाना पटोले के इस पत्र पर फिलहाल सीएम एकनाथ शिंदे ने कोई प्रतिक्रिया नहीं दी है। लेकिन शिवसेना (शिंदे गुट) की विधायक गीता जैन ने नाना पटोले के पत्र के जवाब में सोशल मीडिया पर एक वीडियो जारी किया। वीडियो जारी कर गीता जैन ने कहा, ”मुझे लगता है कि बागेश्वर धाम के संत तुकाराम पर दिए जिस बयान से वारकरी संप्रदाय आहत हुआ था, उसपर धीरेंद्र शास्त्री ने माफी मांग ली है। इसलिए इस बात को खत्म कर देना चाहिए।

वहीं नाना पटोले पर पलटवार करते हुए बीजेपी नेता राम कदम ने कहा कि कॉंग्रेस दल और कांग्रेस नेताओं को हिंदू समाज और साधु तब याद आते हैं जब चुनाव पास होते हैं। चुनाव बीत जाने के बाद इनकी नौटंकी खत्म हो जाती है। हिंदू धर्म और हिंदू साधुओं का विरोध करती है। अध्ययन के आधार पर अगर विरोध हो तो उसपर चर्चा की जा सकती है। केवल हिंदु साधु के नाम पर कांग्रेस जो विरोध कर रही है, वह दर्शाता है कि प्रखर हिंदू विरोधी हैं।

हालांकि, महाराष्ट्र में कांग्रेस की सियासी भागीदार शिवसेना उद्धव गुट बागेश्वर सरकार के मुंबई आने पर बाहें खोल कर स्वागत कर रही है। दरअसल उद्धव गुट के नेता आनंद दुबे ने कहा कि अगर सनातन धर्म का प्रचार प्रसार हो रहा है, तो हम खुशी जाहिर करते हैं. समय-समय पर हमारे महापुरुषों ने ज्ञान दिया है, उसी क्रम में कोई भी हमारे समाज को दिशा देने का काम करता है तो हम हमेशा उनके साथ खड़े रहते है।

बता दें कि बागेश्वर धाम के पीठाधीश्वर पंडित धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री हिंदुत्व और सनातन के पुजारी है। भारत को हिंदू राष्ट्र बनाने की शपथ लेने के बाद से वो कई ऐसे बयान दे चुके हैं। उन्होंने रामचरित मानस को राष्ट्रीय ग्रंथ बनाने की मांग की थी। इतना ही नहीं, उनका ‘कायदे में रहोगे, तो फायदे में रहोगे’ वाला बयान भी खूब चर्चा में रहा था। उन्होंने हमेशा ही कहा कि वो किसी पंथ के विरोधी नहीं, लेकिन अपने धर्म के कट्टर हैं। उन्होंने हमेशा ही स्पष्ट कहा कि राजनीतिक पार्टियाँ आशीर्वाद के अलावा उनसे और कोई अपेक्षा न रखें।

सवाल यह है कि नेता या हस्तियों द्वारा बागेश्वर बाबा को लेकर की जानेवाली अभद्र टीका टिप्पणी अशोभनीय है। सनातन धर्मों पर विवादित बयान देने में इन पाखंडियों को कौन सी खुशी मिलती है पता नहीं। पर आपका यह बयान किसी एक व्यक्ति का नहीं बल्कि सम्पूर्ण सनातन धर्म का अपमान कर रहा है। सोचनेवाल बात यह है कि हिंदुओं पर हमेशा वार क्यों फिल्मों से लेकर राजनीति में हमेशा ही हिन्दू धर्म का अपमान किया जाता है। किसी और धर्म को लेकर बात करना ये पाखंडी नहीं जानते। नाना पटोले जैसे कई लोग है जिन्हें सनातन धर्म का अपमान करने में मजा आता है। बागेश्वर बाबा का मुंबई आना यह मुंबईवासियों के लिए बहुत बड़ी खुशी है। नाना पटोले जैसे नेता बयानबाजी देकर स्वयं का ही अपमान कर रहे है। सनातन धर्म का मजाक बनाने वालों को बाताना जरूरी है कि मुंबईवासियों की आस्था है तभी बागेश्वर बाबा अपने दर्शन देने आ रहे है। इसलिए धर्म को लेकर विवाद करना यह बेहद शर्मनाक है। बागेश्वर बाबा के प्रति श्रद्धा यह भारत ही नहीं दुनिया में भी है। इसलिए नाना पटोले जैसे मानसिकता वालों को कोई हक नहीं की वो धर्म को लेकर टिप्पणी करें और सनातन धर्म को आहत करें।

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