खालिस्तानी समर्थक अमृतपाल सिंह की मुश्किलें लगातार बढ़ती जा रही हैं। दरअसल पंजाब पुलिस ने ‘वारिस पंजाब दे’ के मुखिया अमृतपाल को नकौदर के पास से हिरासत में लिया है। इससे पहले पुलिस ने अमृतपाल के 6 साथियों को गिरफ्तार किया था। तब अमृतपाल फरार हो गया था, जिसको पकड़ने के लिए पुलिस की कई टीमें लगी थीं। बताया जा रहा है कि पुलिस ने गिरफ्तार लोगों से हथियार और 2 गाड़ियां बरामद की हैं।
इसके साथ ही पंजाब के कई जिलों में रविवार रात 12 बजे तक इंटरनेट सेवाएं बंद कर दी है। सूत्रों के अनुसार, अमृतपाल की गिरफ्तारी से माहौल न बिगड़े, इसलिए नेट सेवाएं बंद की गई हैं। इसको लेकर राज्य सरकार की ओर से कहा गया है, “सार्वजनिक सुरक्षा के हित में मोबाइल इंटरनेट सेवाएं, सभी एसएमएस सेवाएं (बैंकिंग और मोबाइल रिचार्ज को छोड़कर) और वॉयस कॉल को छोड़कर मोबाइल नेटवर्क पर प्रदान की जाने वाली डोंगल सेवाएं 18 मार्च 12:00 बजे से 19 मार्च को 12:00 बजे तक निलंबित रहेंगी।
खालिस्तान समर्थक संगठन ‘वारिस पंजाब दे’ के प्रमुख अमृतपाल के खिलाफ 3 केस दर्ज हैं। जिनमें से एक जालंधर में और दो अजनाला थाने में दर्ज हैं। अपने एक करीबी की गिरफ्तारी से नाराज होकर अमृतपाल ने 23 फरवरी को समर्थकों के साथ मिलकर अजनाला थाने पर हमला कर दिया था। विरोध के बीच छह पुलिसकर्मी घायल हो गए थे। इस केस में उस पर कार्रवाई नहीं होने के चलते पंजाब पुलिस की काफी आलोचना हो रही थी।
वहीं आज पुलिस की 50 से ज्यादा गाड़ियां अमृतपाल और उसके साथियों का पीछा कर रही थीं। पुलिस की करीब 100 टीम उसके पीछे लग गईं। पुलिस ने अमृतपाल की गाड़ियों को टक्कर मारने की भी कोशिश की। उसकी लोकेशन के आधार पर उसे नकौदर के पास से हिरासत में लिया गया है। अमृतपाल का कार में बैठकर भागते हुए एक वीडियो भी सामने आया। इसमें अमृतपाल गाड़ी की अगली सीट पर बैठा नजर आ रहा है और अपने समर्थकों से इकट्ठा होने की अपील कर रहा है। गाड़ी में मौजूद अमृतपाल के समर्थक यह कहते हुए नजर आ रहे हैं कि पुलिस उनके पीछे लगी है।
कौन है अमृतपाल- खालिस्तानी ताकतों को एकजुट करने वाला 30 वर्षीय अमृतपाल सिंह पंजाब में ‘वारिस पंजाब दे’ संगठन संचालित करता है। ये संगठन एक्टर-ऐक्टिविस्ट दीपू सिद्धू ने बनाया था। 15 फरवरी 2022 को दीप सिद्धू की सड़क हादसे में मौत हो गई थी, जिसके बाद इस संगठन की कमान कुछ महीने पहले ही दुबई से लौटे अमृतपाल सिंह ने संभाली और वो इसका प्रमुख बन गया। उसने किसान आंदोलन में भी रुचि दिखाई थी। उसके बाद ‘वारिस पंजाब दे’ वेबसाइट बनाई और लोगों को जोड़ना शुरू कर दिया।
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