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Sunday, November 24, 2024
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कौन हैं तुलसी गौड़ा और सुकरी बोम्मगौड़ा जिसके आगे झुके PM मोदी 

तुलसी गौड़ा का जन्म अंकोला के होन्नाली गांव में हुआ है। वे बहुत कम उम्र में ही पर्यावरण संरक्षण के लिए काम करना शुरू कर दिया था।

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कर्नाटक दौरे के दौरान नरेंद्र मोदी बुधवार को अंकोला पहुंचे। यहां उन्होंने आयोजित एक सार्वजनिक सभा में शामिल हुए। यहां पीएम मोदी ने पद्म पुरस्कार से सम्मानित तुलसी गौंडा और सुकरी बोम्मगौड़ा से मुलाक़ात की। इस दौरान पीएम मोदी ने कहा कि हम आपके सेवक हैं। आप जो भी हुकुम करेंगे उसे हम मानेंगे . हमारा कोई रिमोट कंट्रोल नहीं है। हमारे रिमोट 140 करोड़ हिन्दुस्तानी हैं। उन्होंने आकूड़ा कचरा साफ करने में ही निकल गए गे कहा कि बीजेपी की डबल इंजन की सरकार को कर्नाटक को आगे बढ़ाने के लिए तीन साल मिले थे। लेकिन, तीन साल कूड़ा कचरा साफ़ करने में ही चला गया। हमने कर्नाटक को देश का नंबर एक राज्य बनाने का संकल्प लिया है।

बहरहाल, आइये जानते है कौन हैं तुलसी गौड़ा और सुकरी बोम्मागौड़ा। तुलसी गौड़ा को  “Encyclopedia Of Forest” से जाना जाता है। उनका जन्म अंकोला के होन्नाली गांव में हुआ है। वे बहुत कम उम्र में ही पर्यावरण संरक्षण के लिए काम करना शुरू कर दिया था। उन्हें 2012 में देश का चौथा सर्वोच्च नागरिक सम्मान पद्मश्री से नवाजा गया था। तुलसी गौड़ा हलक्की जनजाति से संबंध रखती हैं। वे आज भी परम्परागत पोषक ही पहनती हैं। गौरतलब है कि तुलसी गौड़ा ने अब तक तीस हजार से ज्यादा पेड़ पौधे लगाए हैं और उनका देखभाल की हैं। उनको कर्नाटक में कई पुरस्कार से नवाजा जा चुका है।

PM Modi Tulsi Gowda Sukri Bommagowda 3

जब 2021 में तुलसी गौड़ा ने राष्ट्रपति भवन में पद्मश्री पुरस्कार लेने के लिए पहुंची थी तो उनका पीएम मोदी ने हाथ जोड़कर अभिवादन किया था। इस दौरान तुलसी गौड़ा पुरस्कार अपने पारम्परिक भेषभूषा में लेने आई थीं। इसके इतर पीएम मोदी ने उनके कार्यों की सराहना की थी।सुकरी बोम्म गौड़ा की बात करें तो वह भी लोक गायिका हैं। वे भी अंकोला से ही तालुक रखती हैं। उन्हें भी परम्परागत जनजातीय संगीत को सहेजने के लिए पद्मश्री से नवाजा गया था। बताया जाता है कि सुरकी ने लगभग 1 हजार पारंपरिक हलक्की गीत गाए हैं। उन्होंने लोक संगीत अपनी मां से सीखा है। सुकरी आदिवासियों और उनके कल्याण के लिए बहुत काम किया है।

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