शरद पवार के इस्तीफे के बाद से महाराष्ट्र की राजनीति में हड़कंप मचा हुआ है। जहां एक ओर राजनीति गलियारे में अजित पवार या सुप्रिया सुले को एनसीपी का अध्यक्ष बनाये जाने की अटकलें लगाई जा रही हैं। वहीं, दूसरी ओर एनसीपी, कांग्रेस और ठाकरे गुट की शिवसेना को लेकर बनी महाविकास अघाड़ी के अस्तित्व को लेकर सवाल खड़ा हो गया है। शरद पवार ने अपनी आत्मकथा ” लोक माझे संगाती” में उद्धव ठाकरे पर सवाल खड़ा किया है।
उन्होंने अपनी पुस्तक में उद्धव ठाकरे को अनुभवहीन बताया है। ऐसे में यह सवाल उठता है कि क्या केवल एनसीपी सत्ता की भूखी थी। पहले यही एनसीपी उद्धव ठाकरे को अच्छा मुख्यमंत्री बता रही थी। लेकिन अब शरद पवार अपनी आत्मकथा में उद्धव ठाकरे राजनीति का कच्चा खिलाड़ी बता कर नई बहस छेड़ दी है।
दरअसल, 2 मई को शरद पवार ने अपनी आत्मकथा “लोक माझे सांगाती” के संशोधित पुस्तक का विमोचन किया। जिसमें 70 नए पन्ने जोड़े गए हैं। इसमें 2019 में हुए घटनाक्रम का भी जिक्र किया गया है। इस बारे में उन्होंने लिखा है कि जब बीजेपी और अविभाजित शिवसेना का गठबंधन टूटा तो राज्य में सरकार गठन को लेकर कई सवाल थे। इतना ही नहीं उन्होंने लिखा है कि इस दौरान बीजेपी से एनसीपी के नेता संपर्क में थे।
ऐसे कई मुद्दे है जिस पर शरद पवार ने अपनी राय रखी है। उन्होंने 2019 में पीएम मोदी से मुलाक़ात का भी जिक्र किया है। लेकिन सबसे बड़ी बात यह है कि शरद पवार ने उद्धव ठाकरे के बारे में जो बात लिखी है। उसका क्या ? ऐसा लगता है कि महाराष्ट्र के लोगों पर ठाकरे सरकार केवल थोपी गई थी। जिस तरह से तोड़जोड़ के साथ महाविकास अघाड़ी की सरकार बनाई गई थी। उसका वजूद अब खतरे में है।
जहां एक ओर संजय राउत और कांग्रेस नेता नाना पटोले में तू तू मै मै जारी है। वहीं, महाविकास अघाड़ी की व्रजमूठ रैलियां रद्द कर दी गई है। बताया जा रहा है कि कोल्हापुर, पुणे और नासिक में होने वाली रैलियों को कैंसिल कर दिया गया है। पुणे और कोल्हापुर में होने वाली रैलियों की तैयारी एनसीपी करने वाली थी। लेकिन, शरद पवार के एनसीपी के अध्यक्ष पद से इस्तीफा देने के बाद से अब ये रैलियां खटाई में पड़ गई है।
बता दें कि अब तक महाविकास अघाड़ी ने छत्रपति संभाजी महानगर, नागपुर और मुंबई में रैलियां कर चुकी हैं। अंतिम दो रैलियां मुंबई में ही आयोजित की गई थी। वहीं नाना पटोले ने संजय राउत को नसीहत देते हुए कहा कि वे बेवजह की बकबक करते हैं। उन्हें दूसरे की पार्टी के बारे में बात नहीं करनी चाहिए। संजय राउत ने कहा था कि नाना पटोले से ज्यादा वे राहुल गांधी से बात करते हैं।
संजय राउत की नाना पटोले से ही बहस नहीं हुई है। बल्कि इससे पहले अजित पवार भी संजय राउत की लताड़ लगा चुके हैं। उन्होंने नसीहत देते हुए कहा था कि संजय राउत शिवसेना के प्रवक्ता है एनसीपी के नहीं, इसलिए वे शिवसेना के ही प्रवक्ता बने रहें। बता दें कि संजय राउत ने कहा था कि बीजेपी जांच एजेंसियों के जरिये एनसीपी नेताओं पर दबाव बनाकर पार्टी में शिवसेना की तरह तोड़फोड़ करना चाहती है।
हालांकि, संजय राउत और अन्य नेता कह रहे हैं कि महाविकास अघाड़ी पर शरद पवार के इस्तीफा का कोई असर नहीं होगा। वहीं, गुरूवार को उद्धव ठाकरे ने भी कहा कि भले शरद पवार ने अपनी आत्मकथा में उन्हें अनुभवहीन बताया हो। लेकिन वे इस संबंध ऐसा कुछ भी नहीं बोलेंगे जिससे महाविकास अघाड़ी में दरार आये। उन्होंने कहा कि अपनी आत्मकथा में अपना विचार रखने का सबको अधिकार है। वैसे, बता दें कि शरद पवार ही नहीं बल्कि अजित पवार भी कह चुके हैं कि उद्धव ठाकरे अनुभवहीन है। यह बात उन्होंने एक कार्यक्रम में कही थी।
बहरहाल, शरद पवार ने जो बातें कही है, उसका महाविकास अघाड़ी पर कितना असर होगा। यह तो आने वाला समय ही बताएगा। अब सवाल यह है कि महाविकास अघाड़ी का नेतृत्व कौन करेगा। हालांकि, शरद पवार कह चुके हैं कि वे अध्यक्ष पद छोड़ हैं लेकिन राजनीति से दूरी नहीं बनाएं हैं। तो क्या शरद पवार महाविकास अघाड़ी बचाये रखेंगे यह बड़ा सवाल है। क्योंकि अभी तक तो यही देखा गया कि तीनों पार्टियां एनसीपी शिवसेना या कांग्रेस बीजेपी को अपना दुशमन मानकर उसके खिलाफ खड़ी होती रही हैं। तो क्या आगे भी ये तीनों पार्टियां एकजुट रहेंगी। यह भविष्य के गर्भ में है। लेकिन जिस तरह तीनों दलों के नेता एक दूसरे पर टीका टिप्पणी कर रहे हैं उससे तो यह दिख रहा है कि महाविकास अघाड़ी का अस्तित्व खतरे में हैं। क्या एक बार फिर शरद पवार नई भूमिका में दिखाई देंगे।
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