मराठी फिल्मों की गुणवत्ता के बावजूद मराठी निर्माता शिकायत करते हैं कि उन्हें अपने ही राज्य में स्क्रीन नहीं मिलती| इसको लेकर पिछले कुछ दिनों से लगातार विवाद देखा जा रहा है। अब राज्य के सांस्कृतिक विभाग ने इस पर एक अहम फैसला लिया है|
मराठी फिल्मों को सिनेमाघरों में प्राइम टाइम देने के संबंध में हाल ही में एक बैठक हुई थी|बैठक का आयोजन सांस्कृतिक मामलों के मंत्री सुधीर मुनगंटीवार की अध्यक्षता में किया गया। इस बैठक में गृह विभाग के प्रधान सचिव दिनेश वाघमारे, दादासाहेब फाल्के चित्रनगरी के संयुक्त प्रबंध निदेशक कुमार खैरे, संस्कृति विभाग के उप सचिव विद्या वाघमारे, मराठी फिल्मों के निर्माता, निर्देशक, सिनेमाघर मालिक और संबंधित अधिकारी उपस्थित थे| सांस्कृतिक मामलों के राज्य मंत्री सुधीर मुनगंटीवार ने घोषणा की है कि यदि कोई थिएटर साल में चार सप्ताह तक मराठी फिल्में नहीं दिखाता है, तो उस पर 10 लाख रुपये का जुर्माना लगाया जाएगा।
अब देखने में आया है कि मराठी फिल्मों को प्राइम टाइम पर उपलब्ध कराने और पर्याप्त स्क्रीन दिलाने के लिए राज्य सरकार ने पहल की है|इसके तहत साल में चार सप्ताह तक मराठी फिल्में नहीं दिखाने पर थिएटर मालिकों पर लाइसेंस नवीनीकरण के समय 10 लाख रुपये का जुर्माना लगाने का निर्णय लिया गया है|इस संबंध में गृह विभाग को सूचित करने का निर्णय लिया गया। सिंगल स्क्रीन सिनेमाघरों में किराया नहीं बढ़ाने का भी निर्णय लिया गया।
भारतीय स्वतंत्रता के अमृत महोत्सव समारोह के दौरान सिनेमा हॉल में मराठी फिल्में दिखाने की अलग व्यवस्था होगी। सांस्कृतिक मामलों के मंत्री ने कहा कि मराठी फिल्म निर्माता अगले 15 दिन में अपना बयान दें, ताकि 15 जून के बाद मामले पर व्यापक बैठक की जा सके| इस दौरान मुनगंटीवार ने यह भी सुझाव दिया कि जहां कई फिल्में ओटीटी प्लेटफॉर्म पर रिलीज हो रही हैं, वहीं यह देखने के लिए अध्ययन किया जाना चाहिए कि क्या इस संबंध में कुछ नियम तैयार किए जा सकते हैं।
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