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Saturday, September 21, 2024
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“… अब दो हजार का नोट के फैसले पर”, अजित पवार ने की मोदी सरकार की आलोचना !

राज्य के नेता प्रतिपक्ष अजित पवार ने भी अपने ही अंदाज में इस मुद्दे पर केंद्र सरकार की आलोचना की है| साथ ही कोई भी चांदी की थाली लेकर पैदा नहीं हुआ था। यह कहते हुए राज्य सरकार ने भी कड़े शब्दों में बयान दिया है। अजीत पवार कोल्हापुर में एक कार्यक्रम के दौरान यह भाषण में दिया है|

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केंद्र सरकार ने 2000 रुपए के नोट को चलन से वापस लेने का फैसला किया है। इसकी कड़ी आलोचना होती है। राज्य के नेता प्रतिपक्ष अजित पवार ने भी अपने ही अंदाज में इस मुद्दे पर केंद्र सरकार की आलोचना की है| साथ ही कोई भी चांदी की थाली लेकर पैदा नहीं हुआ था। यह कहते हुए राज्य सरकार ने भी कड़े शब्दों में बयान दिया है। अजीत पवार कोल्हापुर में एक कार्यक्रम के दौरान यह भाषण में दिया है|

क्या कहा है अजित पवार ने?: एक बार सरकार ने कहा था कि 500 और 1000 के नोट बंद कर दिए जाएंगे| कल फतवा जारी होने के बाद 2000 का नोट बंद कर दिया गया| इसका मतलब क्या है? अब दो हजार का नोट दो और बदल लो। हमारे देश ने इंदिरा गांधी का जमाना देखा, वाजपेयी का जमाना देखा, मोदी से पहले मनमोहन सिंह प्रधानमंत्री थे, वो जमाना हमने भी देखा।

कुछ निर्णय शासकों के रूप में लेने पड़ते हैं। इसमें कोई संदेह नहीं है कि नकली नोट, जाली नोट, बाहरी लोगों ने मुद्रा को अस्थिर करने की कोशिश की है और बदलाव करना होगा। लेकिन इसे उसी तरह क्यों करना पड़ता है? अजित पवार ने मोदी सरकार की आलोचना करते हुए कहा है कि इस पर आत्ममंथन से विचार किया जाना चाहिए|

अगर देश की भलाई के लिए कोई फैसला होता है, तो हम कुछ नहीं कह सकते। मैं आपको बताना चाहता हूं कि राष्ट्रहित महत्वपूर्ण है। मैंने राज्य के वित्तीय खातों को देखा है, जयंत पाटिल ने राज्य के वित्त मंत्री के रूप में भी काम देखा है। हमने एक तरह का आर्थिक अनुशासन रखा था, हमें सिर्फ यही लगा था कि विकास होना चाहिए। मैं कोरोना संकट के दौरान राज्य का वित्त मंत्री भी था।

उस समय हमारे पास एंबुलेंस, कोरोना वैक्सीन की खुराक, जंबो अस्पताल की कमी नहीं थी। आय कम थी लेकिन हम राज्य को आगे ले जा रहे थे। आज राज्य में 31 मार्च से पहले के 1 लाख करोड़ रुपये के बिलों का भुगतान नहीं किया गया है। धन कहां चला गया? आर्थिक अनुशासन क्यों नहीं? अजित पवार ने भी सवाल पूछे हैं| वर्तमान राज्य सरकार 11 महीने से सत्ता में है। वे लोग जानते हैं कि आपने अलग-अलग तरीकों से क्या किया है। इस साल देशद्रोही शब्द पचास पेटी जनता ने स्वीकार किया है। इस सरकार को आत्मनिरीक्षण करना चाहिए।

मविआ के जमाने में जो काम रुका हुआ था, वह अब तक नहीं हो पाया है। कारण क्या है? यह हमारा होमवर्क नहीं था। सत्ता बदल जाती है, उस कुर्सी पर हमेशा के लिए कोई नहीं बैठता। कल के विधानसभा चुनाव में जनता दिखाएगी। यह कर्नाटक में कैसे दिखा? अजित पवार ने शिंदे फडणवीस सरकार को बताया है। अजित पवार हों या कोई और सत्ता का चांदी के बर्तन के साथ कोई पैदा नहीं होता। अजित पवार ने यह भी कहा कि जब सरकार बदली तो हमने किसी का काम नहीं रोका|

हम यह भी महसूस करते हैं कि इस बात से असहमत होने का कोई कारण नहीं है कि विकास होना चाहिए। अजित पवार ने यह भी कहा है कि कोल्हापुर का विकास करते हुए यहां की मिट्टी और प्रकृति का संरक्षण जरूरी है|
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