भाजपा-शिवसेना (शिंदे गुट) गठबंधन सरकार में 60-40 के ‘फॉर्मूले’ के बावजूद गढ़चिरौली जिला योजना समिति में शिवसेना के किसी नेता को मौका नहीं दिया गया| हाल ही में इस संबंध में एक सूची प्रकाशित हुई है और शिवसेना इसका विरोध कर रही है क्योंकि इसमें भाजपा के 11 नेताओं का जिक्र किया गया है।
राज्य में भाजपा-शिवसेना (शिंदे समूह) गठबंधन सरकार बनने के बाद से कई नेता निजी तौर पर शिकायत करते नजर आ रहे हैं कि शिवसेना नेताओं के साथ दोयम दर्जे का व्यवहार किया जा रहा है| राज्य या जिला स्तर पर विभिन्न समितियों में भाजपा नेताओं का वर्चस्व है। शिवसेना नेताओं के नाम मांगे जाते हैं लेकिन सही समय पर हटा दिए जाते हैं। गढ़चिरौली जिला योजना समिति के विशेष आमंत्रित सदस्यों के लिए भाजपा-शिवसेना नेताओं के नाम भी 60-40 सूत्र के रूप में भेजे गए थे|
हालांकि घोषित सूची में सिर्फ भाजपा नेताओं के नाम हैं। इसमें शिवसेना के एक भी नेता को जगह नहीं दी गई। इस घटना से जिले के शिवसेना नेता आहत हैं और उन्होंने आरोप लगाया है कि भाजपा ने गठबंधन का पालन नहीं किया है| हमने 60-40 ‘सूत्र’ के अनुसार जिला योजना समिति के नाम भी भेजे। लेकिन अंतिम सूची में शिवसेना के किसी व्यक्ति का नाम नहीं है। सभी ग्यारह सीटें भाजपा नेताओं द्वारा भरी गई थीं।
शिवसेना नेता हेमंत जंबेवार ने कहा कि हम इसका विरोध कर रहे हैं| भाजपा जिलाध्यक्ष किसान नागदेव, प्रदेश कार्यकारिणी सदस्य बाबूराव कोहले, शहरी सहकारी बैंक अध्यक्ष व वरिष्ठ सहकारी नेता प्रकाश सावकर पोरेदीवार, पूर्व जिला परिषद अध्यक्ष रवींद्र ओल्लालवार, जिला महासचिव प्रशांत वाघरे, भाजपा नेता गोविंद शारदा, पार्षद प्रमोद पिपरे, पूर्व जिला परिषद अध्यक्ष योगिता भांडेकर, कलाम पीर मोहम्मद, सदानंद कुठे, सुनील विश्वास शामिल हैं।
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