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2000 रुपए के नोट पर लगी रोक, जानें भारत में कब-कब हुई नोटबंदी

देश में पहली नोटबंदी ब्रिटिश साम्राज्य के दौरान की गई थी।

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भारत रिजर्व बैंक ने दो हजार के नोटों को चलन से बाहर का करने का फैसला किया है। हालांकि केंद्रीय बैंक ने यह साफ किया है कि 2000 के नोट लीगल टेंडर बने रहेंगे, ऐसे में यह फैसला नोटबंदी नहीं है। आरबीआई ने यह भी कहा है कि 2000 के नोट 30 सितंबर तक बैंकों में जमा किए या बदले जा सकेंगे। इसकी प्रक्रिया 23 मई से शुरू होगी। 2000 के नोट वापस लेने का फैसला जाली नोटों पर लगाम लगाने के लिए लिया गया है। ब्लैक मनी के मार्केट को टारगेट करने के लिए ऑपरेशन क्लीन पॉलिसी के तहत ये फैसला लिया गया है। हालांकि ये पहली बार नहीं है जब इस तरह से बड़े नोट को बंद किया गया है। इससे पहले भी कई बार बड़े नोटों को बंद किया जा चुका है।

देश में पहली बार नोटबंदी आजादी के पहले साल 1946 में हुई थी। भारत के वायसराय और गर्वनर जनरल सर आर्चीबाल्ड वेवेल ने 12 जनवरी 1946 को हाई करेंसी वाले बैंक नोटों को डिमोनेटाइज करने का अध्यादेश लाने का प्रस्ताव दिया था। प्रस्ताव पारित करने के 13 दिन बाद यानी 26 जनवरी रात 12 बजे के बाद से ब्रिटिश काल में जारी 500 रुपये, 1000 रुपये और 10000 रुपये के नोटों की वैधता समाप्त कर दी गई थी। सरकार का यह फैसला लोगों के पास कालेधन के रूप में पड़े नोटों को वापस मंगाने के लिए था।

अंग्रेजों से आजादी मिलने के बाद साल 1978 में भी नोटबंदी का फैसला लिया गया। तत्कालीन मोरारजी देसाई सरकार ने बड़े नोटों को डिमोनेटाइज करने की घोषणा की थी। जनता पार्टी के नेतृत्व वाली सरकार ने 16 जनवरी 1978 को 1000 रुपये, 5000 रुपये और 10 हजार रुपये के नोटों को बंद करने की घोषणा की थी। सरकार ने इस नोटबंदी की घोषणा के अगले दिन यानी 17 जनवरी को लेनदेन के लिए सभी बैंकों और उनकी ब्रांचों के अलावा सरकारों के अपने ट्रेजरी डिपार्टमेंट को बंद रखने को कहा गया था।

मोदी सरकार ने 8 नवंबर 2016 को देश में नोटबंदी की थी। इस दौरान सरकार ने एक हजार रुपये के नोट को डिमोनेटाइज करने का ऐलान किया था। पांच सौ के पुराने नोटों को भी चलन से बाहर कर दिया गया था। इस फैसले के बाद 2000 रुपये के नोट जारी किए गए थे। नोटबंदी के विरोध में विपक्ष सुप्रीम कोर्ट तक पहुँच गया था। हालांकि कोर्ट ने 6 महीने लंबी चली सुनवाई के बाद कहा था कि नोटबंदी के फैसले में कोई खामी नहीं थी। नोटबंदी के फैसले पर सरकार को सुप्रीम कोर्ट की संवैधानिक पीठ ने बड़ी राहत दी थी। पीठ ने बहुमत से माना है कि नोटबंदी का उद्देश्य सही था।

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