भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन के सेनानी और प्रखर राष्ट्रवादी नेता वीर सावरकर की आज 140वीं जयंती है। वीर सावरकर का जन्म आज ही के दिन यानी 28 मई को 1883 में महाराष्ट्र के नासिक जिले के ग्राम भगूर में हुआ था। हिन्दू राष्ट्रवाद की राजनीतिक विचारधारा (‘हिन्दुत्व’) को विकसित करने का बहुत बड़ा श्रेय सावरकर को जाता है। वे एक वकील, राजनीतिज्ञ, कवि, लेखक और नाटककार भी थे।
सावरकर को बचपन से ही कविता लिखने का काफी शौक था। उन्होंने शिवाजी हाईस्कूल, नासिक से 1901 में मैट्रिक की परीक्षा पास की। आजादी के लिए काम करने के लिए उन्होंने एक गुप्त सोसायटी बनाई थी, जो ‘मित्र मेला’ के नाम से जानी गई। 1905 के बंग-भंग के बाद उन्होंने पुणे में विदेशी वस्त्रों की होली जलाई। फर्ग्युसन कॉलेज, पुणे में पढ़ने के दौरान भी वे राष्ट्रभक्ति से ओत-प्रोत ओजस्वी भाषण देते थे। उन्होंने ‘इंडियन सोसियोलॉजिस्ट’ और ‘तलवार’ में उन्होंने अनेक लेख लिखे, जो बाद में कोलकाता के ‘युगांतर’ में भी छपे। वे रूसी क्रांतिकारियों से ज्यादा प्रभावित थे।
वीर सावरकर 1911 से 1921 तक अंडमान जेल में रहे। 1921 में वे स्वदेश लौटे और फिर 3 साल जेल भोगी। जेल में ‘हिन्दुत्व’ पर शोध ग्रंथ लिखा। 1937 में वे हिन्दू महासभा के अध्यक्ष चुने गए। 1943 के बाद वे दादर, मुंबई में रहे। 9 अक्टूबर 1942 को भारत की स्वतंत्रता के लिए चर्चिल को समुद्री तार भेजा और आजीवन अखंड भारत के पक्षधर रहे। उनका संपूर्ण जीवन स्वराज्य की प्राप्ति के लिए संघर्ष करते हुए ही बीता। वहीं 28 मई को पीएम मोदी विनायक दामोदर सावरकर की जयंती पर नए संसद भवन का उद्घाटन करेंगे।
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