कभी हिंदुत्व को नकारने वाली कांग्रेस अब उसी हिंदुत्व के शरण में है। ताकि उसे सत्ता मिल सके। एक समय था कि हिंदु आतंकवाद की थ्योरी कांग्रेसी नेता गढ़े थे। अब हिंदुत्व के परोपकार बनकर घूम रहे हैं। कांग्रेसी नेता अब चुनाव जीतने के लिए “चुनावी हिन्दू” बनकर “चुनावी आरती” कर रहें है। कांग्रेस को चुनाव के समय ही भगवान याद आते हैं। कांग्रेस नेता प्रियंका गांधी सोमवार को मध्य प्रदेश में विधानसभा चुनाव से पहले नर्मदा नदी की पूजा अर्चना और आरती की।
सबसे बड़ी बात यह है कि मध्य प्रदेश में प्रियंका गांधी के चुनावी शंखनाद से पहले कांग्रेस भगवा रंग में नजर आई। जबलपुर शहर में 30 फुट की हनुमान जी की गदा रखी गई थी और बजरंगबली के कट लगाए गए थे। अगर, कांग्रेस यह सब चुनाव जीतने के लिए कर रही है तो हिन्दू देवी देवताओं का अपमान है। कहा जा सकता है कि कांग्रेस एक तरह से हिन्दू देवताओं का उपहास कर रही है। इसको लेकर हिन्दू धर्माचार्यों को सजग और जागरूक होना चाहिए।
तो कर्नाटक विधानसभा चुनाव के दौरान जिस तरह से कांग्रेस ने अपने चुनावी घोषणा में बजरंग दल पर बैन लगाने का वादा किया था। वह कोई भुला नहीं होगा। लेकिन, आज उसी बजरंग बली के सहारे कांग्रेस मध्य प्रदेश का चुनावी रण को जीतने की कोशिश में है। पिछले दिनों मध्य प्रदेश में बजरंग दल का विलय कांग्रेस में किया गया। जिस हिंदुत्व का कांग्रेस विरोध करती रही है। अब उसी को अपनाकर सत्ता तक पहुंचने की कोशिश में है। कहा जाता है कि जो लोग सच्चे मन से भगवान से कुछ मांगते है तो उसे देते भी हैं। अब कांग्रेस की इस पूजा से बजरंगबली प्रसन्न होते हैं कि नहीं यह देखना होगा।
गौरतलब है कि मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव के पांच माह पहले ही कांग्रेस ने चुनाव प्रचार शुरू कर दिया। लेकिन सबसे बड़ी बात यह रही कि प्रियंका गांधी ने चुनावी आगाज से पहले गौरी घाट में नर्मदा नदी का पूजन और आरती किया। 101 ब्राह्मणों ने यह कार्यक्रम सम्पन्न कराया।
ऐसे में कई तरह के सवाल उठने लगे है। सवाल यह है कि आखिर कांग्रेस को हिंदुत्व का नकली चोला क्यों पहना ? सत्ता के लिए केवल चुनाव में ही देवी देवताओं के मंदिरों में जाना क्या हिन्दू धर्म का अपमान नहीं है ? गौरतलब है कि मध्य प्रदेश में प्रियंका गांधी द्वारा किये गए आरती पर बीजेपी ने सवाल उठाते हुए उन्हें “चुनावी हिन्दू” बताया।
यह साफ़ है कि कांग्रेस ने कभी हिन्दू धर्म की सराहना नहीं की, बल्कि उसका उपहास ही उड़ाया है। 2014 से पहले आप सभी ने देखा होगा कि कांग्रेस का कोई भी नेता सनातन धर्म में विश्वास नहीं करता था। कोई नेता पूजा पाठ करता था तब भी वह उसे सार्वजनिक नहीं करता था। साफ़ था और साफ है कि कांग्रेसी नेता दोगलेपन का शिकार हैं, लेकिन अब कांग्रेसी नेता पीएम मोदी के हार्ड हिंदुत्व के आगे घुटने टेक दिए है। अब कांग्रेस नेता खुद को हिन्दू साबित करने के लिए मंदिर और पूजापाठ करते हुए अपनीं तस्वीरें सोशल मीडिया पर शेयर करते रहते हैं।
खुद राहुल गांधी अपने को ब्राह्मण कहते हुए फिरते हैं। 2014 से पहले यही राहुल गांधी न खुद को ब्राह्मण बताया था और न ही जनेऊ पहनकर मंदिर गए थे। उसी तरह प्रियंका गांधी को कभी भी मंदिर में न तो पूजा करते देखा गया था और न ही कभी नर्मदा नदी या अन्य नदियों की पूजा अर्चना करते देखा गया था। इसलिए यह सवाल उठता है कि क्या सत्ता के लिए गांधी परिवार हिंदुत्व का नकली चोला पहनकर हिन्दू भाई बहनों को लुभाने की कोशिश कर रहा है।
अगर देखा जाए तो 2014 से पहले हर राज्य के मुख्यमंत्री केवल ईद के मौके पर इफ्तार पार्टी देते थे। ऐसा क्यों? क्या कोई बताएगा कि ऐसा क्यों किया जाता रहा। 2014 के बाद से राष्ट्रपति भवन में आयोजित होने वाली इफ्तार पार्टी भी बंद हो गई। जिस पर सवाल खड़े किये जाते है। लेकिन क्या हिन्दुओं के लिए ऐसा कोई आयोजन किया जाता था। यह भारत के हिन्दुओं के साथ दोयम दर्जे का व्यवहार था। सवाल है कि जब सब सेक्युलर थे, तो मुस्लिमों के लिए इस तरह की इफ्तार पार्टी क्यों दी जाती थी। यह किसी भी नेता या जनता ने कभी नहीं पूछा।
यह भी कहा जा सकता है कि जिस तरह से कांग्रेस नेताओं ने मुस्लिमों का वोट बटोरने के लिए उनका इस्तेमाल किया। और उनके लिए तमाम तरह की योजनाएं और वादे करते रहे। अब वे ही नेता हिंदुओं को छलने की चाल चल रहे हैं और उनका वोट के लिए इस्तेमाल कर रहे हैं। भारत के हिन्दुओं को सजग और कांग्रेस के जाल में फंसने से बचना चाहिए। कांग्रेस का इतिहास बताता है कि कांग्रेस ने हमेशा हिन्दुओं को नीचा दिखाने की कोशिश की है। कांग्रेस नेताओं ने कभी भी राम मंदिर का समर्थन नहीं किया। कांग्रेस के नेता कभी भी ये नहीं कहे कि भगवान राम अयोध्या में जन्मे। लेकिन उनका उपहास जरूर उड़ाया गया।
हिन्दुओं को खुद से सवाल करना चाहिए कि आखिर उनके साथ दोयम दर्जे का व्यवहार क्यों किया गया। क्या हिन्दू होना गुनाह है ? भारत का हिन्दू कभी भी कांग्रेस के राज में सिर उठा कर नहीं जिया। उसे हमेशा नीचा दिखाने की कोशिश की गई। लेकिन आज भारत का हर हिन्दू गर्व से कहता है की हम हिन्दू हैं। अब वह डरता नहीं है। बल्कि उसमें निडरता होती है वह आत्मविश्वास से भरा हुआ है। आज ऐसा समय आ गया है कि नरेंद्र मोदी के पीएम बनते ही उनके विरोधी नेता खुद को हिन्दू साबित करने के लिए जनेरू पहनने लगे। सोशल मीडिया पर अपने पूजा पाठ की तस्वीरें शेयर कर रहें है।
भारत का कोई बच्चा गांधी परिवार या कांग्रेसी नेताओं से उनके हिन्दू होने का सबूत नहीं मांगता है। मगर ये नेता आज खुद बताते हैं कि हम हिंन्दू हैं, हम ब्राह्मण हैं ,हम जनेऊ पहनते है। कहा जा रहा है कि मध्य प्रदेश के कांग्रेस नेता कमलनाथ हनुमान भक्त हैं। सवाल यह है कि क्या 2014 से पहले कमलनाथ अपनी हनुमान भक्त की छवि बनाई थी। इतना ही नहीं, उन्होंने कभी भी सार्वजनिक तौर पर मंदिर में पूजा करते हुए अपनी तस्वीर साझा नहीं की है। लेकिन अब कमलनाथ सोशल मीडिया पर अपनी ऐसी फोटो साझा करते रहते हैं। सवाल यही है कि गांधी परिवार या अन्य नेताओं ने ऐसा पहले क्यों नहीं किया, ऐसी कौन सी वजह रही की वे मुस्लिमों के रहनुमा बनते रहे और हिन्दुओं को दुत्कारते रहे, उन्हें बताना चाहिए। क्या हिन्दू भी मुस्लिमों की तरह कांग्रेस के जाल में फंस रहे है। क्या कांग्रेस के नेता सच में पूजा पाठ में विश्वास रखते है, अगर ऐसा था तो 2014 से पहले ऐसा क्यों नहीं करते थे ? अब हिन्दू बनने की होड़ क्यों ?
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