24 C
Mumbai
Sunday, November 24, 2024
होमब्लॉगपटना में विपक्षी एकता की बैठक का क्या फायदा? बिहारियों का पलायन...

पटना में विपक्षी एकता की बैठक का क्या फायदा? बिहारियों का पलायन रुकेगा?   

आजकल बिहार की राजधानी पटना की खूब चर्चा हो रही है। लोग बिहार का इतिहास निकालकर बता रहे हैं कि कैसे बिहार से इंदिरा गांधी के खिलाफ हुंकार भरी गई। अब नीतीश भी जेपी नारायण के रास्ते पर चल रहे हैं।  

Google News Follow

Related

आजकल बिहार की राजधानी पटना की खूब चर्चा हो रही है। हो भी क्यों न? लोग बिहार का इतिहास निकालकर बता रहे रहे हैं कि कैसे बिहार से इंदिरा गांधी के खिलाफ हुंकार भरी गई। अब नीतीश भी जेपी नारायण के रास्ते पर चल रहे हैं। लेकिन यह नहीं बताया जा रहा है बिहार की धरती शिक्षा का केंद्र थी। विश्वविख्यात नालंदा विश्वविद्यालय यहीं स्थित था, लेकिन, यहीं अंगूठा छाप मुख्यमंत्री बिहार के लोगों पर शासन किया। बिहार भ्रष्टाचार का केंद्र बना हुआ है। पीएम का सपना देखने वाले नीतीश कुमार के राज्य में भी अपराध और भ्रष्टाचार चरम पर है।  बावजूद इसके नीतीश कुमार इस ओर से मुंह मोड़ लिया है।

17 सौ करोड़ में बन रहा पुल गिर गया, नीतीश कुमार भ्रष्टाचार पर लगाम लगाने के बजाय विपक्षी एकता पर जोर दे रहे है। जो विपक्ष के नेता महंगी शिक्षा, महंगाई, बेरोजगारी का रोना रोते हैं अब उनके मुंह में दही जम गई है। वे यह नहीं पूछ रहे हैं कि बिहार में इस पर कितना काम हुआ है। सवाल यह भी है कि आखिर बिहार को विपक्ष की एकता से क्या लाभ मिलेगा? इस एकता से बिहार में हो रहे भ्रष्टाचार पर क्या लगाम लगेगी ? क्या विपक्ष आगामी लोकसभा चुनाव में जीत हासिल करेगा तो बिहार की तकदीर बदल जायेगी। ये वे सवाल है जो बिहार के लोगों को नीतीश कुमार से पूछना चाहिए। मगर झूठ पर झूठ बोलकर नीतीश कुमार जनता में अपने लिए भौकाल बना रहे है। बता दें कि विपक्षी दलों की बैठक 23 जून को पटना में होने वाली है। जिसमें बीजेपी का विरोध करने वाली पार्टियों के नेता शामिल होंगे। इसके साथ ही आगे की रणनीति पर चर्चा और से जुड़े मसलों पर बात होने की संभावना है।

क्या बिहार की जनता 2024 के लोकसभा चुनाव से कुछ फ़ायदा मिलने वाला है यह बिहार और बिहारियों से पूछना जाना चाहिए। जिस धरती पर शिक्षा की अलख जगती रही। एक समय था जब नालंदा विश्वविद्यालय शिक्षा के लिए जाना जाता था। आज उस राज्य की ऐसी दुर्गति कि हर कदम पर जातिवाद, भ्रष्टाचार मुंह फाड़े खड़ा है। वह बिहार जहां हर साल करोड़ो लोग दूसरे राज्यों में रोजगार के पलायन कर जाते हैं। और वहां बिहारियों को बेइज्जत किया जाता है। उनके साथ मारपीट की जाती है।

बिहार के लोगों को हेय दृष्टि से देखा जाता है। उन्हें हर बात पर दुत्कारा जाता है। उनकी खिल्ली उड़ाई जाती है। उन्हें अपमानित किया जाता है. ऐसे में यह सवाल उठता है कि क्या 2024 के लोकसभा चुनाव में विपक्ष जीत दर्ज करता है तो क्या उनके दिन फिर जाएंगे ?  क्या बिहारियों का सम्मान बढ़ जाएगा ? क्या उनको दूसरे राज्यों में रोजगार के लिए पलायन नहीं करना होगा ? क्या उनका दूसरे राज्यों में सम्मान होगा। क्योंकि, महाराष्ट्र से लेकर तमिलनाडु तक के नेता इस विपक्षी एकता के मंच के साझेदार बनने वाले हैं। इन राज्यों में उनके साथ बहुत बुरा सलूक किया जाता है। उन्हें अनपढ़ गंवार कहा जाता है।

लोग जिस जय प्रकाश नारायण का नाम लेकर विपक्ष एकता का दावा कर रहे हैं। क्या विपक्षी एकता की बात करने वाली राजनीति पार्टियों आपस में विलय होगा। जैसा की 1977 में हुआ था इंदिरा गांधी को हराने के लिए सभी दल साथ आये थे और उनका विलय कर जनता दल बना था  क्या ऐसा 2024 के लोकसभा चुनाव से पहले विपक्षी दल ऐसा कर पाएंगे। सत्ता के भूखे ये दल केवल अपना स्वार्थ दे रहे हैं। देश या समाज से कुछ भी नहीं लेना है। सबसे बड़ा सवाल तो यही है कि जिस कांग्रेस के खिलाफ खड़ा होकर नीतीश कुमार और लालू यादव अपनी बिहार में राजनीती चमकाई अब उसी के साथ गलबहियां डाल रहे हैं और 2024 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी को हराने की बात कर रहे है।

मगर सवाल यही है कि क्या  बिहार की जनता और देशभर की जनता नीतीश के बातों को मानेगी। यह अपने आप में बड़ा यक्ष प्रश्न है क्योंकि 33 सालों तक नीतीश कुमार और लालू यादव ने केवल बिहार की जनता को छला है। कभी बीजेपी से मिलकर, तो कभी अलग होकर सरकार बनाकर सत्ता का मजा लेते रहे। उन्हें केवल बिहार की जनता वोट नजर आती रही। लेकिन बिहार में क्या बदलाव हुआ। यह नीतीश कुमार बताएँगे। बहरहाल, बताया जा रहा है कि विपक्ष  पूरे देश में पांच सौ तिरालीस सीटों में से 450 सीटों पर चुनाव लड़ेगा। इन सीटों पर विपक्ष का एक उम्मीदवार बीजेपी के सामने होगा। कहा जा रहा है कि विपक्ष इस यह कोशिश करा रहा है कि मतों का बंटवारा न हो।

वहीं बताया जा रहा है कि कांग्रेस 350 सीटों पर अपना उम्मीदवार उतारना चाहती है। लेकिन उसे भी मना लिया गया और कहा जा रहा है कि कांग्रेस भी पीएम मोदी को हराने के लिए त्याग करने के लिए तैयार हो गई है। बहरहाल देखना होगा कि विपक्षी एकता आगामी लोकसभा चुनाव में क्या गुल खिलाता है। क्या बिहार के नेता नीतीश कुमार जेपी नारायण जैसा इतिहास दोहराएंगे। क्या इसके साथ बिहार का कुछ भला होगा ? यह आने वाला समय बताएगा।

 

ये भी पढ़ें 

 

प्रियंका गांधी की एमपी में “चुनावी आरती”,2014 से पहले कहां थे “चुनावी हिन्दू”

पिता के नक्शेकदम पर चल रहे हैं PM जस्टिन ट्रूडो भारत से पाल रखें हैं खुन्नस   

गुजरात के तट से टकराएगा बिपारजॉय,जलवायु परिवर्तन का नकारात्मक प्रभाव .. 

लेखक से अधिक

कोई जवाब दें

कृपया अपनी टिप्पणी दर्ज करें!
कृपया अपना नाम यहाँ दर्ज करें

The reCAPTCHA verification period has expired. Please reload the page.

हमें फॉलो करें

98,295फैंसलाइक करें
526फॉलोवरफॉलो करें
195,000सब्सक्राइबर्ससब्सक्राइब करें

अन्य लेटेस्ट खबरें