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​97वां साहित्य सम्मेलन साने गुरुजी की कर्मभूमि, निगम बैठक में अमलनेर के नाम पर लगी मुहर

सतारा, सांगली में औडुम्बर और जलगांव जिले में अमलनेर इस प्रतियोगिता के लिए प्रतिस्पर्धा कर रहे थे। जालना का भी प्रस्ताव था​|​​ इसमें से आख़िरकार अमलनेर को चुना गया. अमलनेर साने गुरुजी की कर्मभूमि है। 96वां अखिल भारतीय मराठी साहित्य सम्मेलन वर्ध्य में आयोजित किया गया।

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7वां अखिल भारतीय मराठी साहित्य सम्मेलन अमलनेर में आयोजित किया जाएगा। पुणे में साहित्य निगम की बैठक में इस पर मुहर लगी|सतारा, सांगली में औडुम्बर और जलगांव जिले में अमलनेर इस प्रतियोगिता के लिए प्रतिस्पर्धा कर रहे थे। जालना का भी प्रस्ताव था|​​ इसमें से आख़िरकार अमलनेर को चुना गया|अमलनेर साने गुरुजी की कर्मभूमि है। 96वां अखिल भारतीय मराठी साहित्य सम्मेलन वर्ध्य में आयोजित किया गया।

समिति का हुआ था गठन: निगम की ओर से साहित्यिक समिति का गठन किया गया था इस समिति में अखिल भारतीय मराठी साहित्य महामंडल के डाॅ. उज्ज्वला मेहेंदाले, साहित्य निगम उपाध्यक्ष रमेश वंशकार, प्रदीप दाते, डाॅ. किरण सागर, सुनीताराज पवार एवं डाॅ. यहां नरेंद्र पाठक थे इस समिति ने ऑडुम्बर और अमलनेर का दौरा किया और अवलोकन किया इसके बाद सभी ने सर्वसम्मति से मराठी साहित्य मंडल, अमलनेर की अनुशंसा की। फिर निगम की बैठक में इस पर मुहर लगा दी गयी​|
बैठक सफल होगी- जोशी: अमलनेर तालुका में साहित्य, संस्कृति और इतिहास है|​​ अमलनेर शहर में औद्योगिक विकास की एक लंबी परंपरा थी। इसी कारण मराठी साहित्य मंडल सभी के सहयोग से अखिल भारतीय साहित्य सम्मेलन का दायित्व पूरा कर पा रहा है। मराठी साहित्य मंडल के अध्यक्ष डॉ. अमलनेर ने कहा कि यह बैठक सफल रहेगी|​ ​अविनाश जोशी ने कहा|
अमलनेर में दूसरी बार बैठक: पहली बैठक 1878 में पुणे शहर में हुई उस बैठक के अध्यक्ष  महादेव थे गोविंद रानाडे|​​ 1936 में जलगाँव जिले में एक सभा हुई। उस बैठक के अध्यक्ष माधव त्रिंबक पटवर्धन थे|1952 में कृष्णाजी पांडुरंग कुलकर्णी की अध्यक्षता में अमलनेर में एक बैठक हुई। उसके बाद यह बैठक अमलनेर शहर में दूसरी बार हो रही है|1984 में जलगाँव शहर में एक सम्मेलन आयोजित किया गया था। उस बैठक की अध्यक्षता शंकर रामचंद्र खरात ने की|​ ​ यानी 1984 अब यह बैठक जलगांव जिले में हो रही है|​ ​
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