एनसीपी के वरिष्ठ नेता अजित पवार समेत 40 विधायक बागी हो गए हैं| संबंधित विधायकों ने शिंदे-फडणवीस सरकार को समर्थन देने की घोषणा की है| शिंदे-फडणवीस सरकार ने सरकार में शामिल हुए एनसीपी के नौ विधायकों को मंत्री पद दिया है। इससे भाजपा समेत शिंदे गुट के कुछ नेता नाराज हो गए हैं, लेकिन राजनीतिक गलियारों में चर्चा है कि भारतीय जनता पार्टी ने आगामी लोकसभा चुनाव को देखते हुए अजित पवार गुट को सत्ता में शामिल किया है| इस पर ठाकरे समूह के प्रमुख उद्धव ठाकरे ने भी प्रतिक्रिया दी है|
उद्धव ठाकरे ने इस कंटेंट की आलोचना करते हुए कहा है कि अगर 2019 में अमित शाह ने जो बात कही थी, उस पर अमल किया गया होता तो अब बिजनेस करने की जरूरत नहीं पड़ती| उद्धव ठाकरे ने यह भी कहा कि अगर अमित शाह ने अपना वादा नहीं तोड़ा होता तो भाजपा और शिवसेना ढाई-ढाई साल के लिए मुख्यमंत्री बने रहते| वह यवतमाल में एक संवाददाता सम्मेलन में बोल रहे थे।
क्या आपको लगता है कि लोकसभा चुनाव की पृष्ठभूमि में केंद्रीय नेताओं द्वारा महाराष्ट्र में सत्ता संघर्ष रचाया जा रहा है? पूछे जाने पर उद्धव ठाकरे ने कहा, ‘नहीं तो इसका दूसरा मतलब क्या है|अब वे (भाजपा) अपना काम कर रहे हैं| मैं एक-एक करके कुछ चीजों के बारे में बात करने जा रहा हूं। उस वक्त मेरे और अमित शाह के बीच यह तय हुआ था कि ढाई-ढाई साल के लिए मुख्यमंत्री का पद शिवसेना और भाजपा के पास रहेगा| मैंने यह बात पहले भी शिवाजी पार्क में अपने माता-पिता से शपथ लेकर कही थी।”
उन्होंने कहा, ”आज भी पोहरादेवी में शपथ लेते हुए यह तय हुआ कि 2019 में ढाई साल के लिए शिवसेना का मुख्यमंत्री होगा और ढाई साल के लिए भाजपा का मुख्यमंत्री होगा|” अगर अमित शाह ने ऐसा व्यवहार किया होता तो शायद वे ढाई-ढाई साल के लिए बीजेपी या शिवसेना के मुख्यमंत्री बन गए होते, लेकिन आज भाजपा के पुराने कार्यकर्ताओं को दूसरी पार्टी के नेताओं का दामन थामना पड़ रहा है| भाजपा के पुराने, वरिष्ठ नेता या कार्यकर्ता जिन्होंने अपना सारा जीवन भाजपा के लिए बलिदान दिया है। उद्धव ठाकरे ने कहा, “उस गरीब कार्यकर्ता को अब बाहर से आने वाले नेताओं का मनोरंजन करना होगा।”
यह भी पढ़ें-
कांग्रेस नेता दिग्विजय सिंह के खिलाफ इंदौर में FIR दर्ज, ट्वीट से जुड़ा है मामला