पिछले साल एकनाथ शिंदे के साथ शिवसेना के 40 विधायकों ने बगावत कर दी थी| इसके बाद ठाकरे समूह के एकनाथ शिंदे समेत 16 विधायकों के खिलाफ अयोग्यता याचिका दायर की गई थी|सुप्रीम कोर्ट दो महीने पहले इस पर फैसला दे चुका है| कोर्ट ने संबंधित विधायकों को अयोग्य ठहराने का अधिकार विधानसभा अध्यक्ष राहुल नार्वेकर को दिया है| इसके बाद अब राहुल नार्वेकर ने शिंदे गुट के साथ-साथ ठाकरे गुट के विधायकों को भी अयोग्यता का नोटिस भेजा है|
राहुल नार्वेकर ने सभी शिवसेना विधायकों को कारण बताओ नोटिस भेजकर पूछा है कि क्यों न आपको अयोग्य घोषित कर दिया जाए| अब इसके कई तरह के राजनीतिक मायने निकाले जा रहे हैं| इस बीच, राहुल नार्वेकर के नोटिस पर ठाकरे समूह के प्रमुख उद्धव ठाकरे ने प्रतिक्रिया दी है।
विधानसभा अध्यक्ष को सुप्रीम कोर्ट द्वारा दिए गए फैसले के दायरे में ही फैसला लेना होगा| अगर वे कोर्ट के दायरे से बाहर जाकर कोई फैसला देंगे तो वह लोकतांत्रिक नहीं होगा| अगर ऐसा होता है तो सुप्रीम कोर्ट के दरवाजे हमारे लिए खुले रहेंगे, ऐसा उद्धव ठाकरे ने कहा। वह यवतमाल में एक संवाददाता सम्मेलन में बोल रहे थे।
राहुल नार्वेकर द्वारा शिवसेना विधायकों को भेजे गए नोटिस के क्या होंगे राजनीतिक मायने? ऐसा सवाल पूछे जाने पर उद्धव ठाकरे ने कहा, ”चाहे इसका मतलब कुछ भी हो, सुप्रीम कोर्ट ने जो मतलब दिया है, उससे आगे कोई नहीं जा सकता| सुप्रीम कोर्ट ने बहुत साफ और स्पष्ट शब्दों में अपना फैसला सुनाया है| उस फैसले के ढांचे के भीतर ही अध्यक्ष (राहुल नार्वेकर) को निर्णय लेना होगा।