कलवा के छत्रपति शिवाजी महाराज अस्पताल में एक ही रात में 18 मरीजों की मौत हो गई है|दो दिन पहले इस अस्पताल में पांच मरीजों की मौत हो गई थी| इसके बाद 18 मरीजों की मौत की खबर से पूरा ठाणे और पालघर जिला सदमे में है| इस घटना से मृतक के परिजन आक्रोशित हो गये हैं और गिरफ्तार कर लिया गया है| मनसे और ठाकरे समूह ने इस अस्पताल में जाकर डीन का घेराव किया और उनसे जवाब मांगा| एनसीपी नेता जीतेंद्र आव्हाड भी अस्पताल पहुंचे और अपना गुस्सा जाहिर किया| बेशर्मी की हद हो गई है| जितेंद्र आव्हाड ने नाराजगी व्यक्त करते हुए कहा है कि यदि मेरे पास अधिकार होता तो मैं डीन की बात अनसुनी कर देता।
जितेंद्र आव्हाड ने अस्पताल जाकर मरीजों के परिजनों से पूछताछ की और उन्हें सांत्वना दी| इसके बाद उन्होंने डॉक्टर से भी चर्चा की| इसके बाद आव्हाड ने मीडिया से बातचीत की। बेशर्म महत्वाकांक्षा की अपनी सीमाएं होती हैं। पांच मौतों के बाद भी कोई सुध नहीं ली गई। हम आये और बस बातें कीं। प्रशासन का अधिकार नगर पालिका के पास है। प्रशासन को कुछ पता नहीं है| जीतेन्द्र आव्हाड ने इस बात पर नाराजगी व्यक्त की कि अस्पताल खराब है।
अंडे नहीं परोसे जाते: 17 मौतों का दावा किया जाएगा। आपको जवाब देना होगा. ये गरीबों की बेल्ट है. वाडा, मोखाडा और पालघर बेल्ट से आदिवासी लोग इलाज के लिए आते हैं। गरीब हैं प्रशासन भी इनका खाता है| यहां खाने के लिए दो अंडे दिए जाएं| प्रोटीन देना चाहिए| कुछ नहीं देता अवध ने कहा कि वे एक कटोरे में चावल और दाल परोसते हैं।
ऊपर जाने का एकमात्र रास्ता: लोग तभी आते हैं जब वे गंभीर होते हैं। अगर नहीं होता तो मैं घर पर ही रहता| अस्पताल प्रशासन कोई बहाना नहीं बना रहा है| उन्होंने कहा कि नगर पालिका अस्पताल पर ध्यान नहीं देती है, इस अस्पताल में जाने के लिए एक बड़ा दरवाजा है, लेकिन बाहर निकलने का एकमात्र रास्ता ऊपर ही है। इसलिए लोग ऊपर जा रहे हैं| बेशर्म प्रशासन| एक अस्पताल में एक नर्स|डॉक्टर कम हैं|इसकी जिम्मेदारी कौन लेगा या नहीं? ठाणे प्रशासन नहीं जागता| रंग-बिरंगी रोशनी पर ही जोर है। उन्होंने इस बात पर भी हमला बोला कि बिल निकालने पर जोर दिया जा रहा है|
कांशील लाल ने ऐसा किया होगा: मुख्यमंत्री ठाणे से हैं। भाग्य है लेकिन दिल में गरीबों के लिए थोड़ी कोमलता, प्यार, स्नेह, करुणा होनी चाहिए। पांच मौतों के बाद मुख्यमंत्री को तत्काल बैठक करनी चाहिए थी| ये उनका शहर है| उन्होंने यह भी कहा कि उनसे उम्मीद है| एक फोन कॉल पर हम यहां आये|प्रशासन की कुंजी किसके पास है? अगर यह मेरे वश में होता तो मैं डीन के कान लाल कर देता। यहां तक कि डीन के चेहरे की रेखाएं भी नहीं बदलीं| लोग मर चुके हैं| जीवित रोगी करवट लेकर सोता है। किसी मृत व्यक्ति को रोगी के पास सोते हुए कैसा महसूस होगा? उन्होंने ये सवाल पूछा|
रातोंरात मौत नहीं: भाजपा विधायक संजय केलकर ने भी इस पर प्रतिक्रिया दी है| यह घटना दर्दनाक और दुखद है| एक रात में इतनी मौतें नहीं हुईं| यह घटना अलग-अलग समय पर घटी है|सिविल हॉस्पिटल फुल फ्लेज खुला नहीं है। इससे अस्पताल पर दबाव बढ़ गया| ग्रामीण क्षेत्रों से भी मरीज इस अस्पताल में पहुंच रहे हैं। ऐसे में मरीजों के इलाज के लिए जगह नहीं है। अगर सवाल हैं भी तो उन पर काबू पाना जरूरी है| डीपीडी की बैठक में यह मुद्दा उठा था,लेकिन कुछ नहीं हुआ, विधायक संजय केलकर ने कहा|
यह भी पढ़ें-
पुणे में भाजपा के गुस्से के ड्रामे से नितिन गडकरी ने बनाई राह, पर्दे के पीछे क्या हुआ?