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सत्ता के लिए उद्धव ने हिंदुत्व से किया “किनारा”! राम मंदिर उद्घाटन पर राजनीति? 

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आजकल सनातन धर्म का विरोध करने वालों की फ़ौज बढ़ती जा रही है। कभी अविभाजित महाराष्ट्र की शिवसेना हिंदुत्व पर अपना एकाधिकार समझती थी। लेकिन, बाला साहेब ठाकरे के निधन के बाद से उद्धव ठाकरे के विचार भी बदल गए। उद्धव ठाकरे हिंदुत्व की परिभाषा राहुल गांधी जैसे ही गढ़ने लगे है। पहले शिवसेना यह कहते हुए नहीं थकती है कि अयोध्या में राम मंदिर पर बने गुंबद शिवसेना के कार्यकर्ताओं ने गिराई। मगर आज उद्धव ठाकरे उसी राम मंदिर के लिए उनके विचार बदल गए। आज उनका कट्टर हिंदुत्व सिर्फ जुबानों पर है और दिखावा के लिए है।

जी हां ,उद्धव ठाकरे ने रविवार को कहा कि राम मंदिर के उद्घाटन के समय गोधरा जैसा दंगा हो सकता है। सवाल यह है कि ऐसा उद्धव ठाकरे क्यों बोल रहे हैं ? आज उनके विचार क्यों बदल गए है ? क्या वे नरेंद्र मोदी से डर गए है ? क्या उन्हें यह डर सता रहा है कि बीजेपी राम मंदिर के सहारे एक बार फिर सत्ता में वापसी करेगी। तो दोस्तों आज हम इन्हीं सवालों के जवाब ढूंढेंगे। अगर आप हमारे चैनल पर नए है तो आपसे रिक्वेस्ट है कि हमारे चैनल को सब्सक्राइब जरूर करें।

दरअसल, रविवार को उद्धव ठाकरे ने जलगांव में एक रैली में दावा किया कि ” ऐसी संभावना है कि सरकार राम मंदिर के उदघाटन के लिए बसों और ट्रकों में बड़ी संख्या में लोगों को आमंत्रित कर सकती है और उनकी वापसी के दौरान गोधरा जैसी घटना हो सकती है।” उनके इस बयान पर अयोध्या में राम मंदिर के मुख्य पुजारी आचार्य सतेंद्र दास ने पलटवार किया है। उन्होंने कहा कि उद्धव ठाकरे ऐसा बयान देकर लोगों को उकसाने और भड़काने का काम कर रहे हैं।

उन्होंने कहा कि सतपाल मलिक, प्रशांत भूषण और उद्धव ठाकरे ये तीनों लोगों को डराने का काम कर रहे हैं। तीनों इस तरह के बयान दे रहे है। उन्होंने कहा कि अयोध्या में बाल भी बांका न हो, ऐसी सुरक्षा तैनात की गई है। पत्ता भी नहीं हिलेगा, इस तरह से फ़ोर्स लगी हुई है। उन्होंने कहा कि, यही  तीनों दंगा कराएंगे। सारी तैयारियां हो रही हैं. रामलला विराजमान होंगे। सबकुछ शांतिपूर्वक होगा। पूरा कार्यक्रम 22 जनवरी को निश्चित किया गया है। इस कार्यक्रम में पीएम मोदी भी शामिल होंगे। ऐसे में देखा जाए तो उद्धव ठाकरे अयोध्या में राम मंदिर के उद्घाटन को डरे हुए हैं। उन्हें दंगे का डर नहीं है, बल्कि उद्धव ठाकरे को अपने वजूद का डर है। उन्हें पता है कि  राम मंदिर का उद्घाटन होने के बाद इंडिया गठबंधन को जनता नकार देगी।

उद्धव ठाकरे ने उदयनिधि स्टालिन के सनातन धर्म के बारे में की गई विवादित टिप्पणी की आलोचना करने के बजाय राम मंदिर को निशाना बना रहे हैं। बीजेपी से अलग होने के बाद उद्धव ठाकरे कहते रहे है कि शिवसेना ने हिंदुत्व को छोड़ा नहीं है। बल्कि वह हिन्दू को नए विचारों के साथ बढ़ रही है। ऐसा राहुल गांधी भी कहते हैं।  ऐसे में यह सवाल बनाता है कि आखिर उद्धव ठाकरे यह क्यों कह रहे हैं कि अयोध्या में राममंदिर के उद्घाटन के बाद दंगा होगा? यह सोचने वाली बात है। क्या उद्धव ठाकरे लोगों को दंगा कराने के लिए उकसा रहे हैं ? क्या उद्धव ठाकरे चाहते हैं कि श्रद्धालुओं की वापसी के दौरान गोधरा जैसा दंगा हो ? यह बड़ा सवाल है कि मुख्यमंत्री का पद संभाल चुके उद्धव ठाकरे ऐसी ओछी बयानबाजी कर रहे हैं।

उद्धव ठाकरे यह बयानबाजी राजनीति लाभ लेने के लिए कर रहे हैं। उन्हें पता है कि हिन्दू जनमानस में नरेंद्र मोदी की लोकप्रियता चरम पर है। यही वजह है कि पीएम मोदी से उद्धव ठाकरे ही नहीं, बल्कि पूरा विपक्ष डरा हुआ है। इसलिए विपक्ष के नेता कुछ भी बोल रहे हैं। सनातन धर्म की आड़ लेकर नरेंद्र मोदी को निशाना बनाया जा रहा है।  जो नेता कभी मंदिर  के चौखट को नहीं लांघे थे अब वे मंदिर में जाकर पूजा पाठ कर रहे हैं। अपनी तस्वीरें सोशल मीडिया पर शेयर कर रहे हैं।

गौरतलब है कि, डीएमके का उदय ही हिन्दू धर्म का विरोध करके हुआ है। और आज भी  डीएमके के नेता हिन्दू धर्म का विरोध ही कर रहे हैं। लेकिन क्या ऐसा उद्धव ठाकरे कर पा रहे हैं। नहीं, सवाल यह है कि क्या बाला साहेब ठाकरे होते तो उदयनिधि के बयान का समर्थन करते। जिस तरह से उदयनिधि के बयान उद्धव ने अपना मुंह छुपा लिया है। और अब राम मंदिर के उद्घाटन को गोधरा दंगा से जोड़  रहे हैं। बाला साहेब ठाकरे उदयनिधि के बयान पर चुप नहीं रहते। बाला साहेब ठाकरे उदयनिधि को मुंहतोड़ जवाब देते। लेकिन उद्धव ठाकरे ने ऐसा नहीं कर पाए। इसलिए हिन्दू जनमानस में उद्धव ठाकरे के प्रति वह भावना नहीं रह गई है जो बाला साहेब ठाकरे के लिए थी।

इसी तरह से जब राम मंदिर के निर्माण के लिए जमीनों का अधिग्रहण किया जा रहा था। उस समय भी आप नेता संजय सिंह और अन्य ने भी गलत बयानबाजी शुरू की थी। 2021 में संजय सिंह ने जमीन खरीदी में भ्रष्टाचार का आरोप लगाया था। अब एक बार फिर राम मंदिर के उद्घाटन के समय  ऐसा ही माहौल तैयार करने की कोशिश की जा रही है। ऐसे में क्या यह कहा जा सकता है कि उद्धव ठाकरे का बयान राजनीति से प्रेरित है। और विपक्ष के पास कोई और मुद्दा नहीं है। इसलिए गड़े मुर्दे को उखाड़ रहे हैं।

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