इस साल राज्य में पर्याप्त बारिश नहीं हुई है| बारिश की कमी के कारण राज्य के कई हिस्सों में फसलें खराब हो गई हैं| मानसून की शुरुआत में विदर्भ के कुछ हिस्से बाढ़ की चपेट में आ गए थे|बुलढाणा के कई गांव अभी तक इससे उबर नहीं पाए हैं| राज्य में किसानों को पिछले कुछ महीनों से लगातार नई चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है। बाढ़, बंजर होती भूमि, सूखा, कृषि उपज की गारंटी का अभाव जैसे अनेक कारणों से किसान परेशान है।
इस बीच राज्य में किसानों की आत्महत्या की दर भी बढ़ी है| पिछले सात महीनों में महाराष्ट्र में 1,555 किसानों ने आत्महत्या की है| विधानसभा में विपक्ष के नेता विजय वडेट्टीवार ने राज्य में किसानों की आत्महत्या के विभागवार आंकड़े दिये हैं|राज्य में कांग्रेस समेत विपक्षी दल लगातार मांग कर रहे हैं कि राज्य में सूखा घोषित किया जाए| इस बीच कांग्रेस नेता विजय विदेट्टीवार ने ट्वीट किया है| इस ट्वीट में उन्होंने कहा है कि 1 जनवरी से 31 जुलाई तक राज्य में 1,555 किसानों ने आत्महत्या की है| सबसे ज्यादा किसानों ने अमरावती संभाग में आत्महत्या की है| इस विभाग में पिछले 7 महीने में 637 किसानों ने आत्महत्या की है|
विजय वडेट्टीवार द्वारा दिए गए किसान आत्महत्या के आंकड़े: अमरावती डिवीजन में 637 किसानों ने आत्महत्या की – अमरावती 183, बुलढाणा 173, यवतमाल 149, अकोला 94 और वाशिम 38 | इसी तरह राज्य के औरंगाबाद संभाग में 584, बीड में 155, उस्मानाबाद (धाराशिव) में 102, नांदेड़ में 99, औरंगाबाद में 86, परभणी में 51, जालना में 36, लातूर में 35, हिंगोली में 20 किसानों ने आत्महत्या की है।
विजय वडेट्टीवार के अनुसार, नासिक डिवीजन में 174 किसानों ने आत्महत्या की: जलगांव 93, अहमदनगर 43, धुले 28, नासिक 07 और नंदुरबार 03।
नागपुर संभाग में 144 किसानों ने आत्महत्या की: चंद्रपुर 73, वर्धा 50, नागपुर 13, भंडारा 05 और गोंदिया 03 | पुणे संभाग में 16 किसानों ने आत्महत्या की, सोलापुर में 13, सतारा में 02 और सांगली में 01 (पुणे और कोल्हापुर में शून्य किसान आत्महत्या) कोंकण संभाग में किसी किसान ने आत्महत्या नहीं की |
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