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Saturday, November 23, 2024
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मोइत्रा के “काले कारनामे” पर TMC की चुप्पी, विवादों से है पुराना नाता   

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संसद में ऐसे कई नेता दिखाई देते हैं,जो खुद को जनता का सबसे बड़ा हितैषी बताते हैं, लेकिन जब इनकी पोल खुलती है। तो पता चलता है कि ये नेता जनता के पैसे पर खूब ऐश कर रहे है। पर इन्हें जनता के हित से कोई लेना देना नहीं होता है। ऐसी ही नेता टीएमसी की सांसद महुआ मोइत्रा है। जो जनता के हित की बात कम करती है, लेकिन अपने हित की ज्यादा बात करती देखी गई हैं। महुआ मोइत्रा वहीं है नेता है जिन पर महंगे बैग रखने का आरोप लग चुका है।

फिलहाल, मोइत्रा पर संसद में सवाल पूछने के एवज में एक बिजनेसमैन से पैसे लेने का आरोप लगा है और यह मामला अब संसद की एथिक्स समिति तक पहुंच गया है। सबसे बड़ी बात यह इस मामले में टीएमसी की ओर से कोई बयान नहीं आया है। ऐसे में सवाल उठ रहा है कि आखिर टीएमसी मोइत्रा से दूरी क्यों बना रखी है। तो आज हम इसी पूरे मामले पर बातचीत करने की कोशिश करेंगे। अगर आप हमारे चैनल पर नए है तो आपसे रिक्वेस्ट है कि हमारे चैनल को सब्सक्राइब जरूर करें।

दरअसल, बीजेपी नेता निशिकांत दुबे ने दावा किया है कि महुआ मोइत्रा ने पैसे और महंगे गिफ्ट लेकर लोकसभा में सवाल पूछती हैं। इस संबंध में दुबे ने लोकसभा के स्पीकर ओम बिरला को   चिट्टी लिखी है। लोकसभा स्पीकर ने इस मामले को लोकसभा की एथिक्स कमेटी के पास भेज दिया है। इस मामले की 26 अक्टूबर को सुनवाई होगी। इस मामले में जिस बिजनेसमैन से पैसे लेकर सवाल पूछने का आरोप है उनका नाम दर्शन हीरानंदानी हैं।

मीडिया रिपोर्ट में कहा गया है कि दर्शन हीरानंदानी ने यह बात कबूल कर ली है ,और साथ ही उन्होंने कहा है कि मोइत्रा को  कई मौकों पर मदद किये। दर्शन हीरानंदानी का एक हलफनामा सामने आया है जिसमें कहा गया है कि अडानी ग्रुप के बारे में सवाल पूछने के लिए मोइत्रा से कहा था। साथ ही दर्शन हीरानंदानी के हलफनामे में यह भी कहा गया है कि मोइत्रा को महंगे गिफ्ट दिए हैं और दिल्ली  के उनके आवास के मरम्मत कराने की बात कही गई है।

हलफनामा में कारोबारी ने कहा है कि मोइत्रा से 2017 में बंगाल ग्लोबल समिट के दौरान मुलाक़ात हुई थी। पिछले कुछ सालों से हम करीबी निजी मित्र बन गये हैं। उन्होंने कहा कि  मोइत्रा काफी महत्तकांक्षी है। जब हम पहली बार मिले थे तो उस समय मोइत्रा विधायक थीं। वह कम समय में राष्ट्रीय स्तर पर अपनी पहचान बनाना चाहती थी। इसके लिए उनके करीबियों ने पीएम मोदी पर निजी हमला करने का सुझाव दिया। लेकिन इसमें भी बड़ी समस्या थी, पीएम मोदी की नीति, आचरण पर कोई आरोप नहीं लगा सकता। ऐसे मे मोइत्रा को लगा कि पीएम मोदी को अडानी के मुद्दे पर घेरा जा सकता है, क्योंकि दोनों गुजरात से है और उन्होंने ऐसा ही किया।

हालांकि, मोइत्रा ने इस हलफनामे पर सवाल भी उठाया है। उन्होंने दो पेज का लेटर सोशल मीडिया पर शेयर कर पांच सवाल पूछे है, उन्होंने कहा है कि एक बिजनेसमैन सफ़ेद कागज़ पर हस्ताक्षर क्यों करेगा?  उन्होंने पूछा है कि दर्शन हीरानंदानी को अभी तक सीबीआई या जांच एजेंसी के जरिये क्यों नहीं बुलाया गया ? फिर उन्होंने इस हलफनामे को किसे दिया। इतना ही नहीं, उन्होंने चिट्टी में लिखे गए कंटेंट को पूरी तरह से मजाक बताया है। उन्होंने पूछा है कि अभी तक दर्शन ने प्रेस कॉन्फ्रेंस क्यों नहीं किया। वह चाहते तो ट्वीट कर सकते थे या इसकी जानकारी उनकी कंपनी दे सकती थी।

यह तो रहा पूरे मामले का सार। इस मामले में सबसे बड़ा मुद्दा टीएमसी है, जो पूरी तरह से इस मुद्दे पर चुप्पी साध रखी है। टीएमसी का कोई नेता इस मामले पर बोलने को तैयार नहीं है। ऐसे में सवाल उठ रहे हैं कि आखिर मोइत्रा के मामले में टीएमसी सामने क्यों नहीं आ रही है। क्या इसके पीछे कोई कारण है या टीएमसी मोइत्रा से किनारा करना चाहती है। हर बात को एक मुद्दे के तौर पर पेश करने वाली टीएमसी इस ओर से उदासीन क्यों है। यह सवाल अभी अनुत्तर है। गौरतलब है कि इंडिया गठबंधन की दूसरी बैठक मुंबई में हुई थी। तब राहुल गांधी ने 30 अगस्त को मुंबई में एक कॉन्फ्रेंस कर अडानी के मुद्दे को उछाला था। इसके बाद यह बात सामने आई थी की राहुल गांधी द्वारा इस तरह से प्रेस वार्ता करने पर ममता बनर्जी ने नाराजगी जताई थी।

इसके पीछे की वजह जो सामने आई थी, वह यह थी कि अडानी ग्रुप वेस्ट बंगाल में बड़े पैमाने पर निवेश किया है। जिसकी वजह से बंगाल में बड़ी संख्या में रोजगार के अवसर पैदा होंगे।  यही वजह है कि ममता बनर्जी अडानी के मुद्दे पर नहीं बोलती हैं। इतना ही नहीं यह भी देखा गया है कि टीएमसी का कोई नेता खुलकर इस मुद्दे पर बात नहीं करता है, जबकि अन्य विपक्षी दल के नेता इस मामले में मोदी सरकार को घेरते रहे है। लेकिन टीएमसी नेता इस मुद्दे को तवज्जो नहीं देते हैं। माना जा रहा है कि पार्टी जानबूझकर मोइत्रा से दूरी बना ली। “वेट और वाच”की नीति अपना ली है। वैसे, मोइत्रा के विवाद से हमेशा की टीएमसी की किरकिरी ही हुई है। यह पहला मौक़ा नहीं है। जब किसी विवाद में फंसी है। इससे पहले, मोइत्रा 2022 में काली डाक्यूमेंट्री फिल्म के पोस्टर पर उठे विवाद पर एक बयान देकर हलचल मचा दी थी। तब पार्टी ने उनके बयान से किनारा कर लिया।

दरअसल, काली डाक्यूमेंटी फिल्म के पोस्टर विवाद पर उन्होंने कहा था मां काली मांस खाने वाली और शराब पीने वाली देवी है। इसके बाद टीएमसी ने इस मामले से खुद को अलग कर लिया था औरकहा था कि यह बयान उनका निजी विचार है, पार्टी का नहीं। इसके बाद मोइत्रा ने  टीएमसी के आधिकारिक ट्वीटर हैंडल को अनफॉलो कर दिया था। बता दें कि काली फिल्म के पोस्टर में देवी को सिगरेट पीते हुए दिखाया गया था। इतना ही नहीं, मोइत्रा के कथनी और करनी में बहुत अंतर है।

काली देवी के विवाद के बाद ही 2022 में जब संसद के मानसून सत्र में महंगाई के मुद्दे पर चर्चा के दौरान मोइत्रा का डेढ़ लाख का बैग छुपाते हुए वीडियो वायरल हुआ था। जब टीएमसी नेता काकोली घोष दस्तीदार संसद में महंगाई के मुद्दे पर बोल रही थी। उनके बगल में बैठी महुआ मोइत्रा अपने महंगे बैग को पैर के पास रखती हुई देखी गई थी। यह वाकया कैमरे में कैद हो गया था। यह वीडियो सामने आने के बाद टीएमसी की खूब किरकिरी हुई थी। महुआ मोइत्रा का यह बैग लुई वुइटन का था जिसकी कीमत डेढ़ लाख बताई जाती है। माना जा रहा है कि टीएमसी अभी इस मुद्दे को देखेगी उसके बाद ही उसपर कुछ बोलेगी। पार्टी के नेताओं को भी इस मुद्दे पर नहीं  बोलने की नसीहत दी गई है। कहा जा रहा है अगर कि  मोइत्रा पर आरोप सिद्ध हुए तो उनकी सदस्यता जा सकती है। बहरहाल,अब देखना होगा कि  इस मामले में क्या सच्चाई सामने आती है।

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