शनिवार को शरद पवार ने पीएम मोदी द्वारा उनपर,बिना नाम लिए उठाए गए सवाल का जवाब दिया। गुरुवार को पांच साल बाद शिरडी पहुंचे पीएम मोदी ने कहा था कि महाराष्ट्र में कुछ लोगों ने किसानों के नाम पर केवल राजनीति की है। यहां के एक वरिष्ठ नेता देश के कृषि मंत्री थे, लेकिन उन्होंने किसानों के लिए क्या किया ? शनिवार को शरद पवार ने पीएम मोदी के बयान पर प्रेस वार्ता कर उसका जवाब दिया। सवाल यह है कि आखिर शरद पवार को पीएम मोदी के सवालों का जवाब क्यों देना पड़ा? इसकी जरूरत क्यों पड़ी ? यह बड़ा सवाल है ? क्या यह मान लिया जाए की शरद पवार यह मान कर चल रहे हैं कि पीएम मोदी जो कहते हैं उसे जनता मानती है? अगर ऐसा है तो विपक्ष को पीएम मोदी के हर सवाल का जवाब देना चाहिए।
मुख्य मुद्दे पर बात करने से पहले हम दोनों नेताओं के निजी संबंध के बारे में भी जान लेते हैं। तो कहा जा सकता है कि राजनीति बड़ी अजीब चीज है। यहां कोई स्थायी तौर पर दोस्त या दुश्मन नहीं होता है। पीएम मोदी और शरद पवार आज इसका सबसे अच्छा उदाहरण है। दोनों नेता एक दूसरे के धुर विरोधी हैं, लेकिन वे एक दूसरे का सम्मान भी करते हैं। पीएम मोदी शरद पवार को अपना गुरु बता चुके है। कई मौकों पर पीएम मोदी शरद पवार की प्रशंसा कर चुके हैं। पिछले कुछ समय से बिजनेसमैन गौतम अडानी को लेकर कांग्रेस और अन्य विपक्षी दल मोदी सरकार को घेरते रहे हैं। लेकिन, शरद पवार ने अडानी के समर्थन में बयान देकर विपक्ष की धार को कुंद कर दिया था। इतना ही नहीं इंडिया गठबंधन के नेताओं के पर सुर भी बदल गए थे।
अब यह जान लेते हैं कि गुरुवार को पीएम मोदी ने शिरडी में क्या कहा था। दरअसल, पांच साल बाद शिरडी पहुंचने पर पीएम मोदी ने विधि विधान से पूजा अर्चना करते हुए साईं बाबा का दर्शन किया और दर्शन कतार परिसर का उद्घाटन किया। इसके अलावा पीएम मोदी अन्य कार्यक्रम में भी शामिल हुए। इसके बाद उन्होंने उपस्थित लोगों को संबोधित किया। इस दौरान उन्होंने शरद पवार का बिना नाम लिये ही कहा था कि “महाराष्ट्र में कुछ लोगों ने किसानों के नाम पर सिर्फ राजनीति ही की है। उन्होंने आगे कहा था कि महाराष्ट्र के एक वरिष्ठ नेता ने देश के कृषि मंत्री रहे हैं। उनका मै बहुत सम्मान करता हूं। लेकिन उन्होंने किसानों के लिए क्या किया? उन्होंने कहा था कि अक्सर उनके कार्यकाल के आंकड़े बताये जाते थे। लेकिन उन आंकड़ों की हकीकत क्या है ?
इस बयान के बाद राजनीति गलियारे में हलचल तेज हो गई थी। पीएम मोदी के बयान पर सवाल सवाल उठाया गया था और कहा गया कि कई मौकों पर पीएम मोदी खुद शरद पवार के कार्यों की तारीफ़ कर चुके हैं। अब शरद पवार ने पीएम मोदी के सवाल पर जवाब दिया है। उन्होंने कहा कि वे 2004 से 2014 तक यूपीए सरकार में कृषि मंत्री थे। इस बात को स्पष्ट रूप से स्वीकार करता हूं। इसके साथ ही उन्होंने अपने कार्यकाल में किये गए कार्यों को जानकारी दी। अब दोस्तों जवाब उस सवाल का जिसे हम छोड़ आये थे। सवाल यह कि आखिर शरद पवार को प्रेस कॉन्फ्रेंस करने की जरुरत क्यों पड़ी ? जब विपक्ष के नेता या खुद शरद पवार यह कहते हैं कि पीएम मोदी ने कुछ नहीं किया तो वे इसका जवाब देने नहीं आते हैं। कहने का मतलब साफ है कि काम बोलता है, पीएम मोदी को विपक्ष या किसी नेता के आलोचना पर जवाब देने की जरूरत नहीं होती है। यह दीखता है कि मोदी सरकार ने क्या काम किया है। उन्हें प्रेस कॉन्फ्रेंस करके जवाब देने की जरुरत नहीं होती है।
लेकिन, जब शरद पवार जैसे वरिष्ठ नेता, पीएम मोदी के सवाल का जवाब देते हैं तो साफ हो जाता है कि पीएम मोदी की बातों को जनता गंभीरता से सुनती है और उसे सच मानती है। यह बात शरद पवार अच्छी तरह से जानते हैं। इसी बात को झुठलाने के लिए शरद पवार ने प्रेस वार्ता करके बताते हैं कि उन्होंने अपने कार्यकाल में क्या क्या किया ? शरद पवार इस बात को मान भीं चुके हैं कि पीएम मोदी जो कहते उस पर लोग यकीन भी करते हैं। जी हां ! यह बात 2017 की है। शरद पवार ने कहा था कि हां,मैंने उन्हें राजनीति में लाया, वे सहज तरीके से बात करने वाले व्यक्ति है। वह अपनी बातें ऐसे दमदार तरीके से करते हैं कि लोग उस पर यकीन कर लेते हैं। इस आदमी में जरूर कोई बात है। बता दें कि 2015 में पीएम मोदी ने बारामती के एक कार्यक्रम में कहा था कि शरद पवार मेरे राजनीति गुरु हैं। उनकी उनकी अंगुली पकड़कर राजनीति में आया। शनिवार को भी शरद पवार ने पीएम मोदी के साथ किसानों और कृषि से जुड़े एक प्रसंग भी सुनाया।
यहां भी शरद पवार ने पीएम मोदी के साहस की सराहना की। उन्होंने कहा कि पीएम मोदी ने जो बयान दिया वह सत्य पर आधारित नहीं है। शरद पवार ने कहा कि उन्होंने जो बयान दिया है वह गलत जानकारी के आधार पर दिया है। बिना जानकारी के बयान देने के लिए साहस चाहिए। पीएम मोदी ने वह साहस दिखाया। मगर वह सच नहीं है। बहरहाल, सवाल यह नहीं है कि कौन झूठ बोल रहा है और कौन सच? राजनीति में लोग एक दूसरे पर आरोप लगाते रहे हैं। सवाल यह है कि यूपीए सरकार में जो हालत देश की थी, उसे शरद पवार भी झुठला नहीं सकते हैं ? 2014 से पहले देश की बदहाल स्थिति के लिए कोई जिम्मेदार था तो केवल कांग्रेस, आज उसी कांग्रेस के साथ शरद पवार एक बार फिर हैं।
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