कर्नाटक में पिछले पंचवर्षीय चुनाव के बाद कांग्रेस ने अपने सहयोगियों के साथ मिलकर सरकार बनाई थी|हालांकि, यह सरकार कुछ ही समय में गिर गई और भाजपा सत्ता में आ गई|हालांकि, इस पाँच-वर्षीय चुनाव में लोगों ने स्पष्ट रूप से कांग्रेस को वोट दिया और बहुमत की सरकार स्थापित हुई। हालांकि, मुख्यमंत्री सिद्धारमैया खुद कह चुके हैं कि कर्नाटक में एक बार फिर कांग्रेस सरकार को अस्थिर करने की कोशिश की जा रही है|तो चर्चा शुरू हो गई है|
कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने कहा, ”यह सच है कि भाजपा के लोग हमारी सरकार को अस्थिर करने की कोशिश कर रहे हैं| हालाँकि, वे इसमें सफल नहीं होंगे। भाजपा ने पहले भी हमारी सरकार को अस्थिर करने की कोशिश की थी और सफल रही|हालाँकि, वे दोबारा सफल नहीं होंगे।
‘भाजपा सत्ता के लिए कुछ भी कर सकती है’: ‘यह साफ है कि भाजपा सत्ता के लिए कुछ भी कर सकती है। हालांकि, वे कितनी भी कोशिश कर लें, हमारा कोई भी विधायक उनके साथ नहीं जाएगा,”सिद्धारमैया ने यह भी कहा। इस बीच कर्नाटक में राजनीतिक घटनाक्रम तेज हो गया है|पूर्व प्रधानमंत्री देवेगौड़ा, जो आजीवन धर्मनिरपेक्षता में विश्वास रखते थे, ने भाजपा से हाथ मिलाने का फैसला किया। इससे उनकी धर्मनिरपेक्ष जनता दल पार्टी में नाराज़गी भरी प्रतिक्रिया हुई।
कर्नाटक जनता दल के अध्यक्ष और पूर्व केंद्रीय मंत्री सी.एम. इब्राहीम ने विद्रोह का झंडा उठाया। इब्राहिम ने घोषणा की कि पार्टी का निर्णय उन्हें स्वीकार्य नहीं है, लेकिन जनता दल का स्वतंत्र अस्तित्व कायम रहेगा| इस पर देवगौड़ा ने एक समय अपने करीबी रहे इब्राहिम को प्रदेश अध्यक्ष पद से बर्खास्त कर दिया|
कर्नाटक जनता दल के कई नेता भाजपा से हाथ मिलाने के फैसले से सहमत नहीं हैं|इसी के चलते ये नेता पार्टी छोड़ने की तैयारी कर रहे हैं,जो लोग देवगौड़ा के फैसले से सहमत नहीं होंगे वे पार्टी छोड़ देंगे या पार्टी से निकाल दिये जायेंगे| यह साफ हो गया है कि सेक्युलर जनता दल में टूट होगी|
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