राज्य में शिवसेना मामले में लड़ाई अभी खत्म नहीं हुई है| ‘असली शिवसेना’ कौन है इसका फैसला विधानसभा अध्यक्ष और चुनाव आयोग ने दे दिया है, लेकिन विधानसभा स्पीकर के फैसले के खिलाफ शिवसेना फिर सुप्रीम कोर्ट चली गई है| इसकी सुनवाई गुरुवार को हुई|मुख्य न्यायाधीश धनंजय चंद्रचूड़ ने महाराष्ट्र विधानसभा अध्यक्ष राहुल नार्वेकर के फैसले पर सवाल उठाए| क्या विधानसभा अध्यक्ष राहुल नार्वेकर द्वारा दिया गया फैसला हमारी अदालत द्वारा दिये गये फैसले से असंगत नहीं है? ये सवाल चीफ जस्टिस ने उठाया था| अब इस मामले की अगली सुनवाई 8 अप्रैल को तय की गई है|
कोर्ट ने दस्तावेज मांगे: विधानसभा अध्यक्ष राहुल नार्वेकर ने एकनाथ शिंदे के नेतृत्व वाले शिवसेना गुट को “मूल राजनीतिक दल” घोषित करने का निर्णय पारित किया था। अब सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि राहुल नार्वेकर का फैसला सुप्रीम कोर्ट के मई 2023 के फैसले का उल्लंघन हो सकता है| सुप्रीम कोर्ट ने विधानसभा में विधायकों की संख्या के आधार पर फैसले पर रोक लगा दी थी| सुप्रीम कोर्ट ने विधानसभा अध्यक्ष राहुल नार्वेकर के कार्यालय से इस याचिका से जुड़े सबूत और दस्तावेज मांगे हैं|
कपिल सिब्बल का दावा: ठाकरे समूह के वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल और ए.एम.सिंघवी ने कोर्ट में कहा कि विधानसभा स्पीकर राहुल नार्वेकर ने 11 मई 2023 के सुप्रीम कोर्ट के फैसले का उल्लंघन किया है| विधानसभा अध्यक्ष ने सदन के बहुमत के आधार पर यह फैसला लिया है| कोर्ट ने सदन में बहुमत के आधार पर फैसले लेने पर रोक लगा दी| उन्होंने यह भी निर्देश दिया कि नार्वेकर ने फैसला सुनाते समय 2018 की घटना को ध्यान में रखने के बजाय 1999 की घटना को ध्यान में रखा।
तत्काल सुनवाई की मांग: महाराष्ट्र विधानसभा का कार्यकाल अक्टूबर, नवंबर में खत्म होगा| इसलिए ठाकरे समूह की मांग है कि इस मामले की तुरंत सुनवाई होनी चाहिए और फैसला सुनाया जाना चाहिए| यदि यह मामला उच्च न्यायालय में जाता है, तो परिणाम शून्य हो जाएगा। दावा किया जा रहा है कि शिंदे गुट को 40 विधायकों का समर्थन हासिल है|
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