भारत में नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में एनडीए सरकार लगातार तीसरी बार सत्ता में आई है| मोदी को शपथ लिए अभी तीन दिन ही हुए हैं| पाकिस्तान ने बुधवार को वित्तीय वर्ष 2024-25 के लिए बजट पेश किया|इसने रक्षा क्षेत्र के लिए प्रावधान को 15 प्रतिशत बढ़ाकर 2,122 अरब रुपये कर दिया है। यह पिछले वित्तीय वर्ष के रक्षा बजट की तुलना में उल्लेखनीय वृद्धि है। कर्ज में डूबे पाकिस्तान ने यह कदम ऐसे समय उठाया है जब वह देश के बाहरी दायित्वों को पूरा करने के लिए अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) से नया कर्ज लेने की कोशिश कर रहा है।
वित्त मंत्री मोहम्मद औरंगजेब ने संसद के निचले सदन नेशनल असेंबली में वित्तीय वर्ष का बजट पेश किया| आठ फरवरी को हुए आम चुनाव के बाद सत्ता में आई पाकिस्तान मुस्लिम लीग नवाज और पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी की गठबंधन सरकार का यह पहला बजट है। पिछले साल सरकार ने रक्षा क्षेत्र के लिए 1,804 अरब रुपये आवंटित किये थे| यह आंकड़ा पिछले साल के 1,523 अरब रुपये से ज्यादा था|
वित्त मंत्री औरंगजेब ने कहा कि सरकार ने जुलाई 2024 से जून 2025 के लिए सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) में 3.6 प्रतिशत की वृद्धि का लक्ष्य रखा है। यह वित्त वर्ष 2023-24 के 3.5 प्रतिशत लक्ष्य से अधिक है। हालांकि, पाकिस्तान इस लक्ष्य से चूक गया है और उसकी विकास दर केवल 2.38 प्रतिशत है। उन्होंने कहा कि कुल बजट 18,877 अरब रुपये होगा और रक्षा व्यय के लिए 2,122 अरब रुपये आवंटित करने का प्रस्ताव है।
यह अनुपात पिछले वित्तीय वर्ष की तुलना में 14.98 प्रतिशत अधिक है। अगले वित्तीय वर्ष के लिए मुद्रास्फीति का लक्ष्य 12 प्रतिशत है जबकि बजट घाटा सकल घरेलू उत्पाद का 6.9 प्रतिशत तय किया गया है। वित्त मंत्री ने कहा कि कर संग्रह लक्ष्य 12,970 अरब रुपये होगा – जो पिछले वर्ष की तुलना में 38 प्रतिशत अधिक है।
विदेशी पूंजी निवेश की कमी के अलावा पाकिस्तान अंतरराष्ट्रीय कर्ज, गरीबी और महंगाई से जूझ रहा है| हमारे लोगों को आटा-चावल मिलना भी मुश्किल हो रहा है| उम्मीद थी कि नई सरकार बनने के बाद कुछ सुधार होगा| लेकिन, पाकिस्तान की हालत दिन-ब-दिन खराब होती गई। अब पाकिस्तान की नई सरकार ने वित्तीय वर्ष 2024-25 के लिए बजट पेश किया है| इसमें रक्षा क्षेत्र के लिए आवंटन 15 फीसदी बढ़ाया गया है| बजट में कर्मियों से संबंधित व्यय के लिए 815 अरब रुपये, परिचालन व्यय के लिए 513 अरब रुपये, हथियारों, गोला-बारूद और उपकरणों की खरीद के लिए 548 अरब रुपये, नागरिक कार्यों के लिए 244 अरब रुपये शामिल हैं।
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