महाराष्ट्र में जहां मराठी भाषा का ह्रास हो रहा है, वहीं अन्य राज्य अपनी भाषा को बचाने के लिए पहल कर रहे हैं।कर्नाटक राज्य को अक्सर मातृभाषा पर जोर देते देखा गया है।सीमावर्ती इलाकों में मराठी भाई अक्सर कन्नड़ में ही व्यापार करने के लिए वहां लड़ते रहे हैं।अब कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धारमैया की कन्नड़वासियों से की गई अपील चर्चा का विषय बन रही है| कन्नड़ वासियों को अपनी भाषा पर गर्व होना चाहिए। इसके लिए उन्होंने अपील की है कि राज्य में सभी लोग केवल कन्नड़ में ही बात करें और अन्य भाषाओं का इस्तेमाल न करें|
मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने कर्नाटक विधानमंडल के पश्चिमी गेट के पास बनी मां नंदा देवी भुवनेश्वरी की प्रतिमा का उद्घाटन करते हुए कन्नड़ भाषा पर अपने विचार व्यक्त किए|
कर्नाटक में रहने वाले प्रत्येक व्यक्ति को केवल कन्नड़ में बोलने का प्रयास करना चाहिए। सभी को शपथ लेनी चाहिए कि कन्नड़ के अलावा कोई अन्य भाषा नहीं बोली जाएगी। यह इसलिए है क्योंकि कन्नड़ लोग उदार हैं कि अब हम कर्नाटक में अन्य भाषाएँ बोलकर रह सकते हैं। यही स्थिति आपको तमिलनाडु, आंध्र प्रदेश या केरल में नहीं दिखेगी| वहां वे अपनी मातृभाषा में ही संवाद करते हैं।
इसलिए हमें भी अपनी मातृभाषा में ही संवाद करना चाहिए। यह हमारे लिए गर्व की बात होगी”, सिद्धारमैया ने समाचार एजेंसी एएनआई से बात करते हुए व्यक्त किया।
कर्नाटक में कन्नड़ माहौल बनाना हम सभी की जिम्मेदारी है।’ इसलिए यहां रहने वाले हर व्यक्ति को कन्नड़ में बात करनी चाहिए। उन्होंने यह आशा भी व्यक्त की कि कन्नड़ भाषा से परिचय बढ़े और सभी को कन्नड़ भाषा के साथ-साथ अपने देश, अपनी भूमि पर गर्व हो। मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने कर्नाटक विधानमंडल के पश्चिमी गेट के पास बनी मां नंदा देवी भुवनेश्वरी की प्रतिमा का उद्घाटन करते हुए कन्नड़ भाषा पर अपने विचार व्यक्त किए|
यह भी पढ़ें-