पिछले साल अमेरिकी शॉर्ट सेलर कंपनी हिंडनबर्ग ने अडानी ग्रुप और उसके चेयरमन गौतम अडानी पर आरोप लगाते हुए एक रिपोर्ट जारी की थी,जिसके बाद भारत के शेयर मार्किट में बड़ा बवाल हुआ। हिंडनबर्ग की रिपोर्ट को जवाब देने वाली अडानी ग्रुप की रिपोर्ट को नजरअंदाज करते हुए अनेकों शार्ट सेलर्स और निवेशकों ने अडानी ग्रुप के शेयर्स की शार्ट सेल्लिंग की। नतीजन अडानी ग्रुप के शेयर्स धड़ल्ले से निचे गिरे और गौतम अडानी की संपत्ति को भी इससे झटका लगा। इस दौरान अडानी ग्रुप ने बेचे हुए 20,000 करोड़ के एफपीओ को भी निवेशकों को वापस किया गया।
पिछले साल हिंडनबर्ग के हमले झुलसकर इस साल अडानी ग्रुप बड़े प्रॉफिट मार्जिन्स के साथ मार्केट में तेजी से उभरा है। हाल ही में संपन्न हुई एजीएम में बोलते हुए गौतम अडानी ने उन पर शार्ट सेल्लिंग फर्म के किए गलत हमले और राजनितिक षड्यंत्रो का उल्लेख भी किया था।
हिंडनबर्ग के शार्ट सेलिंग के कार्यकाल के दौरान कई बार स्टॉक मार्केट्स के रेगुलेटर सेबी को भी कई बार कटघरे में खड़ा किया गया। जिसके उत्तर में सेबी अब उत्तर चुकी है। भारत के प्रतिभूति बाजार में हेरफेर करने और मार्किट को क्षति पहुंचा कर उससे प्रॉफिट करने की प्रेरणा रखकर रिपोर्ट पब्लिश की गई थी ऐसा सेबी का मानना है। सेबी का आरोप है की हिण्डनबर्ग और अंडरसन ने सेबी के कोड ऑफ़ कंडक्ट फॉर रिसर्च एंड एनालिसिस रेगुलेशन का उल्लंघन किया है। इसीलिए सेबी ने हिंडनबर्ग को 46 पन्नों का कारण बताओ नोटिस दिया है, इसी के साथ इस अमेरिकी कंपनी ने शार्ट सेलिंग से कितने रुपए कमाए है इसके भी सवाल पूछे जा रहे है।
सेबी के हरकत में आने के बाद हिंडनबर्ग पूरी तरह से बौखलाया दिखाई पद रहा है, इस बीच हिण्डनबर्ग अब सेबी पर ही उंगलियां उठाने लगा है। पर बातों बातों में अडानी ग्रुप को नुकसान पहुंचाकर इस फर्म ने 33 करोड़ की कमाई की बात को मान लिया है।
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