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Sunday, November 24, 2024
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बांग्लादेशी घुसपेठों को बाहर निकालो: झारखंड उच्च न्यायलय का राज्य को आदेश।

स्थानिकों ने बताया है की ये घुसपैठियों ने जमीनों पर अवैध कब्ज़ा करना भी शुरू कर दिया है, जिसके बाद से यहां पर स्थानिक किसानों और महिलाओं पर भी जोर जबरदस्ती और उत्पीड़न की घटनाओं को देखा गया है।

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झारखंड में अनुसूचित जाति की लड़कियों को प्यार के जाल में फांसकर उन्हें विवाह के नाम पर मुसलमान बनाया जा रहा है और ऐसा करने में बांग्लादेश से भारत में अवैध घुसपेठ कर प्रतिबंधित मुस्लिम संघटन शामिल होने की बात की है। इस याचीका में संथाल परगना में ज़मीन पर होते कब्जो और अवैध मदरसों के निर्माण पर जोर दिया गया था।

झारखंड के न्यायालय ने फैसला सुनते हुए झारखंड राज्य सरकार को बांग्लादेश से अवैध घुसपेठों की पहचान कर उन्हें बाहर निकलने के आदेश दिए है। इस मामले में झारखंड उच्च न्यायालय के न्यायमूर्ती सुजीत नारायण प्रसाद और न्यायमूर्ति ए.के. राय डेनियल ने दानिश की याचिका पर सुनवाई की। याचिका में स्पष्ट रूप से कहा गया था की इन कन्वर्जन की घटनाओं को योजना के तहत अंजाम दिया जा रहा है और इसमें बांग्लादेश के प्रतिबंधित संगठन का स्पष्ट रूप से सहभाग है।

गौरतलब है की अचानक से संथाल परगना में मदरसों की संख्या धड़ल्ले से बढ़ रही है। कहा जा रहा है वहां कुछ ही महीनों में 46 नए मदरसे खुले है। स्थानिक लोगों का कहना है की इन मदरसों का उपयोग भारत विरोधी गतिविधियों के लिए किया जा रहा है। स्थानिकों ने बताया है की ये घुसपैठियों ने जमीनों पर अवैध कब्ज़ा करना भी शुरू कर दिया है, जिसके बाद से यहां पर स्थानिक किसानों और महिलाओं पर भी जोर जबरदस्ती और उत्पीड़न की घटनाओं को देखा गया है।

कोर्ट ने राज्य सरकर से इस मामले पर तुरंत संज्ञान लेकर मात्र 2 सप्ताह में कोर्ट को प्रोग्रेस रिपोर्ट भेजने को कहा है, जिसमें राज्य सरकार ने कितने अवैध कन्वर्जन रोके, कितने घुसपैठों की पहचान की और कितनों पर कार्रवाई की इसका स्पष्टीकरण हो। दूसरी तरफ याचिकाकर्ता का कहना है की राज्य सरकार बांग्लादेशियों के अवैध घुसपैठ को ही मान्य कर रही है, इसीलिए कार्रवाई करने पर उनकी मंशा नजर नहीं आती।

राज्य सरकार इतनी बड़ी कार्रवाई के लिए अक्षम होने के कारण राज्य सरकार को इस मामले में रेस्पॉन्स करने और इसे महत्वपूर्ण मुद्दा घोषित करने के आदेश केंद्र सरकार को भी दिए है, जिसके बाद केंद्र सरकार ने इस मामलें में उठाये कदमों की रिपोर्ट भी न्यायालय में जमा करनी है। इस मामले पर अपना पक्ष रखते हुए केंद्र सरकार ने कोर्ट में बताया है की केंद्र ने राज्य को घुसपैठों की पहचान करने और उन्हें बहार निकालने की उपयुक्त कार्रवाई करने की पूरी छूट और शक्तियां दी है।

मामले की गंभीरता को देखते हुए झारखंड राज्य के चीफ़ सेक्रेटरी को इस मामलें में योग्य कार्रवाई करने और संथाल परगना को मुक्त करने के लिए एक्शन प्लान तैयार करने के आदेश दिए है। इसी के साथ पाकर धुमा, जामतारा, साहेबगंज और गोड्डा के डिप्टी कमिशनरों को भी एक्शन प्लान तैयार कर कार्रवाई करने के आदेश दे दिए गए है।

न्यायालय का कहना है की अवैध घुसपैठ सिर्फ किसी जिले या राज्य का विषय नहीं यह सम्पूर्ण देश के लिए चिंता का विषय है। ऐसे कन्वर्जन के बलबूते संथाल परगना की डेमोग्राफी में अनपेक्षित बदलाव आ रहे है जो जनजातीय समुदाय के लिए घातक है।

महत्वपूर्ण बात यह है कि इससे पहले इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने धर्मांतरण के विषय पर कड़ी राय व्यक्त की थी। ईसाई धर्मांतरण के खतरे को देखते हुए, इसने चेतावनी दी कि यदि धर्मांतरण इसी प्रकार जारी रहा तो देश की बहुसंख्यक आबादी अंततः अल्पसंख्यक बन जाएगी।

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