बांग्लादेश में लगता बढ़ती हिंसा के बाद बंगलदेश की सरकार ने पुरे देश में कर्फ्यू लगा दिए है। इस प्रदर्शन से शेख हसीना की सरकार को चिंताजनक स्तिथी से गुजरना पड़ रहा है। ऐसे में बांग्लादेश सरकार ने रास्ते पर बांग्लादेश मिल्ट्री और टैंक उतारने की बात भी सामने आ रहीं है। लाठी, डंडे, पत्थर, पेट्रोल बम-मोलोटोव लेकर प्रदर्शनकारी छात्र रास्तों पर सरकारी और निजी वाहन फूंक रहें है।
इस हिंसा को कम करने चक्कर में पुलिस के साथ छात्रों की कई बार झड़प हुई है। रिपोर्ट से आये आंकड़ों के मुताबिक इस हिंसा में पुलिस की चलाई रबर या लोहे की गोली से अब तक 105 छात्रों की मौत हुई है तो 2500 छात्र घायल है। डॉक्टर्स ने कहा है घायलों में कइयों की हालत नाजुक है।छात्रों के उग्र आंदोलन की परिस्थिती के कारण बांग्लादेश सरकार ने सभी विद्यालय, मदरसे, कॉलेज पॉलिटेक्निक इस्टीट्यूट बंद रखें है।
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बांग्लादेश की हिंसा से भयभीत 1000 भारतीय नागरिक एवं छात्र भारत में लौटे है। जिनमें 778 नागरिक रास्तों से आए है और बाकी ढाका और चितगांव एयरपोर्ट के जरिए हवाई जहाज़ से आए है। भारत के विदेश मंत्रालय से साप्ताहिक प्रेस ब्रीफ़िंग में इस बारें में भी सवाल किये गए। जिस पर भारत के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जयसवाल ने कहा है कि, बांग्लादेश में चल रहे छात्र आंदोलन एवं आरक्षण का मुद्दा बांग्लादेश का आंतरिक मामला है। भारत के करीब 14000 से अधिक नागरिक बांग्लादेश में फसें है, जिनमें 7500 से अधिक छात्र है। विदेश मंत्रालय ने कहा है की विदेश मंत्री एस जयशंकर खुद बांग्लादेश की स्थिती पर करीब से नज़र रखें हुए है।
रिपोर्ट के अनुसार फ़िलहाल उन्हें अपनी रक्षा के लिए घर से बाहर न निकलने और कर्फ्यू का पालन करने की नसीहत दी गई है। साथ ही में भारतीय उच्चायोग स्थानीय अधिकारियों के साथ समन्वय करने में जुड़ा है। भारतीय उच्चायोग ने बांग्लादेश में फसे 13 नेपाली छात्रों की भी वापसी में मदद की है। भारत ने फिलहाल पश्चिम बंगाल और त्रिपुरा में छात्रों के वापसी के मार्ग खुले रखने का निर्णय लिया है।
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